प्रकृति का संरक्षण है ईको टूरिज्म

By: Oct 16th, 2019 12:05 am

कपिल चटर्जी

लेखक, मंडी से हैं

आज शहरी चिन्हित पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों का जमावड़ा निरंतर बढ़ रहा है, जो केवल कुछ ही क्षेत्रों तक सिमट कर रह गया है। ईको टूरिज्म के तहत प्रदेश के अनछुए, रमणीक स्थलों को चिन्हित कर जो अपने आप में एक धार्मिक व ऐतिहासिक महत्त्व को संजोए प्रकृति की सुंदर चादर लपेटे इन स्थलों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाना है व पर्यटकों के रुख को इन स्थलों की तरफ मोड़ना है। ईको टूरिज्म जो प्रकृति का संरक्षण भी है और पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए पर्यटन के इस क्षेत्र में एक नयापन सा  लाकर पर्यटन जो भारत के शीर्ष दस उद्यमों में एक व हिमाचल के प्रमुख उद्यमों  में शामिल है…

प्रकृति के सुरम्य आंचल में बसा हिमाचल प्रदेश जिसे प्रकृति ने भरपूर नैसर्गिक सौंदर्य, प्राकृतिक सुंदरता रमणीक व मनमोहक नजारों से संवारा है व इसके कोने-कोने पर बिखरी पड़ी इसकी कला संस्कृति कदम-कदम पर  बदलतें रीति-रिवाज, परंपराएं और प्राचीन धरोहरों का भरपूर खजानों से समृद्ध प्रदेश में आए पर्यटकों को एक यहां का अलौकिक सौंदर्य एक ठहराव सा प्रदान करता है व इसके सौंदर्य को दमकाता है। सरकार द्वारा इस क्षेत्रों में समय-समय पर  कई नए आयाम जोडे़ हैं जो पर्यटकों को एक मील का पत्थर साबित हुए हैं। जिनमें प्रमुख है हर गांव की कहानी, नई राहें नई मंजिलें, हिमाचल प्रदेश होम स्टे, आज पुरानी राहों के नाम से चली भिन्न-भिन्न योजनाओं के तहत पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोड़ना व इसके दोहन की क्षमता को बढ़ाना था।आज शहरी चिन्हित पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों का जमावड़ा निरंतर बढ़ रहा है, जो केवल कुछ ही क्षेत्रों तक सिमट कर रह गया है। ईको टूरिज्म के तहत प्रदेश के अनछु,  रमणीक स्थलों को चिन्हित कर जो अपने आप में एक धार्मिक व ऐतिहासिक महत्त्व को संजोएं प्रकृति की सुंदर चादर लपेटे इन स्थलों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाना है व पर्यटकों के रुख को इन स्थलों की तरफ  मोड़ना है। ईको टूरिज्म जो प्रकृति का संरक्षण भी है और पर्यावरण को बिना नुकसान पंहुचाएं पर्यटन के इस  क्षेत्र में एक नयापन सा  लाकर पर्यटन जो भारत के शीर्ष दस उद्यमों  में एक व हिमाचल  का प्रमुख उद्यमों  में  शामिल है  में इस योजना से पर्यटकों को नयापन दे कर  एक ठहराव प्रदान कर  पर्यावरण से जुड़ने व प्रकृति को पास से जानने व समझने का एक अवसर मिलेगा।

प्रदेश की संस्कृति को करीब से जानने के लिए  ईको टूरिज्म एक बेहतरीन  माध्यम हो  सकता है व पर्यावरण से जुड़ने के लिए शहरी मानसिकता की छाप को भी मन से निकालना होगा व बडे़-बड़े पांच सितारा होटलों की   रहन-सहन की सुविधाओं को  छोड़कर  अगर आप कुछ पल पर्वत शृंखलाओं  के आंचल में  बसे ग्रामीणों की जीवन शैली और  पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए सादगी से भरे ग्रामीणों के रहन-सहन व जन-जीवन के तौर तरीकों, समृद्ध लोक संस्कृति, लोक कलाओं, लोक गीतों, लोक नृत्यों, विविध पारंपरिक लोक व्यंजनों की खुशबू व स्वाद के साथ  प्राकृतिक वातावरण में बिताना चाहतें हैं तो ईको टूरिज्म के तहत प्रदेश में प्रबल सभावनाएं  संजोएं हैं। हजारों किलोमीटर तक फैले प्रदेश के कोने-कोने पर बिखरे पड़े सुंदर नजारें, कल-कल बहती नदियां व गीत गाते झरनें, कदम-कदम पर बदलती बोलियां ,भाषा व वेशभूषाएं प्राकृतिक नजारें, रीति-रिवाज व लोक संस्कृति को संजोएं ग्रामीण जनपद को जानने  का पर्यटकों को ईको टूरिज्म के तहत प्रकृति के बेहद करीब ले जाने का माध्यम हो सकता है । प्रदेश में हाल ही में पर्यटन के क्षेत्र की गतिविधियों में आई विविधता के कारण पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है। आज  शहरों की भीड़-भाड़ व शोरगुल से भाग कर भी  पर्यटक अब गांवों की तरफ  रुख करने लगे हैं चाहे उन्हें पर्यटन विभाग की हिमाचल प्रदेश होम स्टे, हर गांव की कहानी, नई राहें-नई मंजिलें व आज पुरानी राहों से सब की सब पर्यटन नीतियां पर्यटकों को गांवों के रहन- सहन व जन जीवन का हिम दर्शन करवा रही है। सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधताओं से भरे पड़े प्रदेश में  ईको टूरिज्म के तहत अनछुए  पर्यटन स्थलों को विकसित कर पर्यटकों के नए गंतव्य स्थलों  को उभार  कर स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसरों को पैदा करना हैं। इस क्षेत्र में सरकार द्वारा किए जा रहे नित नए-नए प्रयासों से प्रदेश के पर्यटन उद्योग से स्थान विशेष से संबंधित युवा वर्ग में एक नई आस पैदा हुई है जो स्वरोजगार सृजन का एक स्रोत साबित हो सकती है।

इस नीति के तहत स्थानीय लोगों  को अधिक से अधिक संख्या में जोड़ना चाहिए ताकि उन लोगों  को रोजगार के अवसर मिल सकें  व उन लोगों का आर्थिक विकास हो सके व स्थान विशेष की लोकल चीजों ‘दालें, देसी घी, शहद’ को एक नया खरीददार मिल सकता है। पर्यटकों को ईको टूरिज्म से जोड़कर  प्रकृति से एकाकार कराए जाने की इस पहल में पर्यटकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा की पर्यावरण को कोई नुकसान न हो प्राकृतिक जल स्रोतों को दूषित होने से व प्लास्टिक की बोतलों व चम्मच, प्लेटों इत्यादि  पोलिथीनों व अन्य खाद्य पदार्थों के रेपर वाले कूड़े-कचरे से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाया जाए यह पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। यही नहीं इस नीति के तहत होने वाले निर्माण में पर्यावरण हितषी उपाय  होने चाहिए। शरद ऋतु में कैंप फायर के लिए पेड़ों को न काट कर जंगलों में पड़ी टूटी-फूटी टहनियों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए । जब भी हमें ऐसे स्थानों पर जाने का सौभाग्य मिलेगा तो हम टूरिस्ट बनकर नहीं बल्कि अपने ही देश में यात्री बन कर घूमें व साथ लाए अपने देश की सभ्यताएं संस्कृति, परंपराओं व वहां की मिट्टी की सौंधी-सौंधी सुगंध वातावरण में फैली पर्यावरण की भीनी -भीनी खुशबू की इन स्मृतियों को याद  व पुनः से महसूस करने यात्री बनकर आना ही सही मायने में प्रकृति से जुड़ना होगा। 

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।  

-संपादक


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