फिर निकाला आयुर्वेद घोटाले का जिन्न

By: Oct 17th, 2019 12:30 am

चार्जशीट होने के बाद विभाग के पूर्व निदेशक ने मांगे 55 सवालों के दस्तावेज, महंगी खरीद पर मुश्किल

शिमला  – 55 सवालों पर मांगे गए दस्तावेज ने आयुर्वेद घोटाले का जिन्न फिर से बाहर निकाल दिया है, जिसमें जांच को गलत मोड़ देने की आवाज उठी है। आयुर्वेद विभाग के पूर्व निदेशक ने 55 बिंदुआें के सवाल पर आयुर्वेद विभाग से जो दस्तावेज मांगे हैं, जिस पर सवाल खड़े हुए हैं, उसका जवाब उन्हें लगभग दो माह से ही विभाग नहीं दे पाया है। गौर हो कि इस मसले पर आयुर्वेद विभाग के पूर्व निदेशक को चार्जशीट किया जा चुका है। 55 बिंदुआें पर पूर्व आयुर्वेद निदेशक द्वारा मांगे गए दस्तावेजों में कई ऐसे सवाल उठाए गए हैं, जिसमें आयुर्वेद में महंगी खरीद को लेकर नया मोड़ आ सकता हैं। इसमें एक दस्तावेज तो यह भी मांगा है कि 345 एएचसी जहां के लिए जरूरी उपकरण स्वीकृत किए गए थे, जिसमें प्रति एएचसी के लिए 81 हजार का मूल्य था, उसके दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए पूर्व निदेशक द्वारा कहा गया है। वहीं 16 मार्च की वह अहम नोटिंग कापी भी मांगी गई है, जो टेक्निकल कमेटी ज्वाइंट डायरेक्टर द्वारा बनाई गई है, जिसमें निदेशक की कोई मंजूरी नहीं ली गई है। टेक्निकल कमेटी द्वारा सैंपल के टेस्ट और मंजूरी की प्रक्रिया का दस्तावेज देने के लिए भी क हा गया है। गौर हो कि अभी तक इस पूरे मसले में अभी पूर्व निदेशक को चार्जशीट कर रखा है, जिस पर जांच कोे निष्पक्ष तौर पर करने के लिए आयुर्वेद विभाग की अफसरशाही को पूर्व निदेशक द्वारा लिखा गया है। इस मामले पर गौर करें, तो महंगे दामों में सामान खरीद को लेकर प्रदेश सरकार ने आयुर्वेद विभाग के तीन अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है। राज्य सरकार ने आयुर्वेद विभाग के तीन अधिकारियों को विभाग में उपकरणों की खरीद में कथित अनियमिता के आरोपों में निलंबित किया जा चुका है। फिलहाल सवाल ये उठाए गए हैं, जिसमें कुछ कथित आरोपियों को शेल्टर करने की बात सामने आई है। बहरहाल अब इस केस पर नजरें ये टिकी हैं कि महंगे उपकरण खरीदारी में यह घोटाला जानबूझ कर हुआ या फिर इसमें एक लापरवाही थी, लेकिन इस केस में दोबारा जांच की आवाज जरूरी उठ गई है।  अब देखना ये हैं कि 55 सवालों के जवाब दस्तावेज के साथ आयुर्वेद विभाग कब तक दे पाता है। प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने यह भी साफ किया है कि खरीद को लेकर यदि सरकार को चूना लगाया जाएगा, तो वह बक्शा नहीं जाएगा।

अफसरों की गलती या कोई और शामिल

घोटाले में ये भी सवाल उठे हैं कि क्या चार्जशीट किए गए संबंधित सभी अधिकारियों की गलती थी या क ोई और भी शामिल था। हालांकि इस केस के बारे में मंत्री विपिन सिंह परमार ने अधिकारियों को विभाग में उपकरणों व अन्य वस्तुओं की खरीद में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखने के निर्देश भी जारी किए हैं।


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