बंपर धान का काले गोले ने बिगाड़ा काम, उपचुनाव में किसानों ने उछाला मसला

By: Oct 20th, 2019 12:05 am

प्रो. अश्वनी, डीन पालमपुर

डा.  प्रवीण भाटिया, विशेषज्ञ आईजीएससी  

समूचे हिमाचल पर इन दिनों दो बड़ी घटनाएं असर डाल रही हैं। इनमें  पहली है उपचुनाव और दूसरा धान की पकी फसल को समेटने का टाइम। इसे संयोग ही कहा जा सकता है कि धर्मशाला में धान की फसल उपचुनाव पर गहरा असर डाल रही है। इसका कारण यह है कि इस बार भी धान की पकी पकाई फसल में काले रंग चनेनुमा दाना आ गया है। इससे झड़ने वाला काले रंग का पोलन धान में मिलकर उसे बदरंग कर रहा है। अब धर्मशाला के चालीस हजार किसान यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वे क्या करें। क्योंकि इससे चावल में भी कालिख आ जाती है। मायूस किसान अब नेताओं से पूछ रहे हैं कि क्या वे भविष्य में इस रोग को दूर करने का प्रोमिस करेंगे। धर्मशाला के मनेड और मसरेहड़ गांवों के किसानों मोती लाल, ख्याली राम, लोकेश ठाकुर,जीवन ठाकुर आदि ने बताया कि इस रोग के कारण धान और चावल खराब हो जाते हैं। वे नेताओं से लेकर विभाग तक अपनी समस्या रख चुके हैं,लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। असल में किसानों का दर्द समझने वाला कोई नेता नहीं है। खैर, इसका नेताओं के पास शायद ही कोई जवाब हो। ऐसे में कृषि कालेज पालमपुर के डीन प्रो. अश्वनी से बात की। उन्होंने कहा कि इस बीमारी को फाल्स बड कहते हैं। इससे किसानों को काफी नुकसान होता है। जब धान के सिल्ले निकलने लगते हैं,तब कॉपर आक्सीक्लोराइड नामक दवा की स्प्रे करनी होती है। एक लीटर पानी में तीन ग्राम दवा डाकती है। प्रदेश में 10 लाख किसान किसी न किसी तरह धान की ख्ेती करते हैं। हिमाचल की प्रमुख फसल है धान। इस बार 1.34 लाख टन धान पैदावार का है लक्ष्य। कांगड़ा, चंबा, मंडी, सोलन लाख टन धान पैदावार का है लक्ष्य। कांगड़ा, चंबा, मंडी, सोलन, पांवटा, ऊना में खूब लहलहाता है धान।  शाख टन धान पैदावार का है लक्ष्य। कांगड़ा,  में खूब लहलहातलकर स्पे्र करनी होती है। प्रो अश्वनी के बाद हमने प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएससी में विशेषज्ञ डा.  प्रवीण भाटिया  से बात की। उन्होंने कहा कि फाल्स बड धान को नुकसान पहुंचाता है। इस तरह का चावल खाने से फूड प्वाइजनिंग हो सकती है

रिपोर्ट :  जयदीप रिहान, दीपिका शर्मा, विमुक्त शर्मा

पच्छाद हलके में किसानों का एक ही सवाल क्यों बंद किया बाग पशोग का कृषि फार्म

आइए अब पच्छाद के हाल जानते हैं। उपचुनाव के दौरान पच्छाद में किसानों-बागबानों को हिमाचल निर्माता डा. वाईएस परमार की खूब याद आती है। खेती हो या फिर बागबानी,डा. परमार ने हर दिशा में शानदार काम किया था। इन्ही कार्यों में एक था पच्छाद की सबसे बड़ी पंचायत बाग पशोग का कृषि फार्म। इस फार्म में मक्की, गेंहू, अदरक, आलू आदि के बीज तैयार कर किसानों को बांटे जाते थे। यही नहीं 60 के दशक में इस फर्म में आलू अनुसंधान केंद्र भी स्थापित किया गया था। किसानों को आलू के उन्नत बीज मिलते थे। किसान कहते हैं कि 60 व 70 के दशक में सेन धार के क्षेत्र में तो बहुत बड़ी तादाद में आलू का उत्पादन होता था और लोग खच्चरों पर अपने उत्पाद को लाद कर मार्केट तक पहुंचते थे, लेकिन नेताओं और सरकारों की उपेक्षा के चलते लगभग 250 बीघे में फैला यह फार्म बंद हो गया। इन उपचुनावों में किसानों की यही मांग है कि वे इस फार्म को दोबारा चालू करवाने वाले नेता का साथ देंगे।

 रिपोर्ट संजय राजन, सराहा

जानिए, रूट स्टॉक के बारे में

यह भी अर्ध-बीबी श्रेणी का एक रूट स्टॉक है हिमाचल प्रदेश में इस रूट स्टॉक पर लगे पेड़ 4-5 से 5-5 मीटर तक ऊंचे हो जाते हैं। यह भी देखा गया है इस रूट स्टॉक पर लगे पेड़ भूमि पर टिके रहते हैं और इनको किसी किस्म का बाहरी सहारे की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। यह स्टाक लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में हो जाता है और सर्दी का भी सामना कर लेता है। पर यह बढ़ने में थोड़ा धीमा है। इसलिए इस रूट स्टॉक पर लगे पेड़ों  के फलने के लिए 3-5 साल तक लग जाते हैं। ये पेड़ किनारों की ओर अधिक बढ़ते हैं। यह  रूट स्टॉक भूमि में पानी की कमी को भी बर्दाश्त कर लेता है। पर इस रूटस्टॉक में एक कमी है। इसकी जड़ों से बहुत कल्ले फूटते हैं। जिनकों बार-बार निकालना पड़ता है।

शिमला मिर्च 100 रुपए किलो क्यों

नेरवा में आसमान लिए यह मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है। डा. परमार के अनुसार यह मध्य अमरीकी फल समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई तक होता है। भारत में शुरू में इसे बंगलूर और पूणे में लगाया गया था। जहां वर्ष भर एक ही जलवायु रहती है। कुर्ग में भी यह बहुत अच्छा फलता है। हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार ने अपने गांव बागथन में यह फल उगाया था, जो उनकी मृत्यु के बाद भी फल देता रहा। उसी प्रकार डा. डीआर ठाकुर जो स्वयं वरिष्ठ फल वैज्ञानिक रहे उनके फार्म में ऐवोकैडो के फल रहे हैं। डा. परमार बताते हैं कि उन्होंने मंडी और बिलासपुर में ऐवोकैडो के कुछ पेड़ लगवाए, जो अच्छी तरह फल फूल रहे हैं। उनका दावा है कि यह फल हिमाचल की वादियों में फल फूल सकता है और यहां के लोगों की आर्थिकी का संबल बन सकता है। लोगों को इसे लगाने के प्रयास करने चाहिए। जिसके लिए वे मदद करने को तैयार हैं। इस फार्म में मक्की, गेंहू, अदरक ,आलू आदि के बीज तैयार कर किसानों को बांटे जाते थे।  यही नहीं 6000 सब्जियों के दाम नित नए रिकार्ड कायम कर रहे हैं। प्याज टमाटर के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी के बाद अब शिमला मिर्च ने भी पिछले सारे रिकार्ड तोड़ते हुए शतक जड़ दिया है। सब्जियों के दाम में आए इस भारी उछाल के चलते आम आदमी की थाली से सब्जियां गायब हो चुकी हैं। जहां टमाटर पिछले दो हफ्ते से अस्सी रुपए प्रति किलो के साथ तमतमाया हुआ है। वहीं प्याज भी दस रुपए की गिरावट के बाद पच्चास रुपए प्रति किलो होने के बावजूद आम लोगों के खूब आंसू निकाल रहा है।  शिमला मिर्च इन सब से दो कदम आगे बढ़ते हुए शतकधारी हो गई है। नेरवा में शिमला मिर्च के दाम सौ रुपए प्रति किलो पहुंच गए हैं।  इन दिनों नेरवा में उत्तराखंड की देहरादून और विकासनगर की मंडियों से ही अधिकांश सब्जियां नेरवा पहुंच रही है। बताया जा रहा है कि इन दिनों देहरादून व विकासनगर की सब्जी मंडियों में शिमला मिर्च के थोक भाव 70 से 80 रुपए प्रति किलो हैं, जबकि टमाटर की एक क्रेट का होलसेल रेट साढ़े बारह सौ रुपए प्रति क्रेट से अधिक है। इन दिनों क्षेत्र में विवाह शादियों के साथ-साथ त्योहारी सीजन भी चला हुआ है। ऐसे में आसमान छूती सब्जी की कीमतों ने आम आदमी के बजट को बुरी तरह गड़बड़ा कर रख दिया है। हरहाल, आसमान छूती कीमतों से थाली से सब्जियां गायब हो चुकी हैं।  

-सुरेश सूद-नेरवा

ऐवोकैडो की बढ़ने लगी है डिमांड

डा. चिरंजीत परमार बागबानी विशेषज्ञ

ऐवोकैडो अमरीकी का एक ऐसा फल, जो न तो मीठा है और न ही खट्टा है। फल स्वाद और गंधविहीन है। इसके बावजूद भी अपने गुणों की वजह से यह फल दुनिया के करोड़ों लोगों के भोजन का हिस्सा है। यह मध्य अमरीका का फल है और वहां के करोड़ों लोगों के भोजन में शामिल है। बागबानी विशेषज्ञ डा. चिरंजीत परमार का कहना है कि वर्ष 1982 में उन्होंने पश्चिम अफ्रीक  जिसमें फैट होती है। इसलिए इसे बटर फ्रूट भी कहते हैं, लेकिन इससे कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता है। इसमें शक्कर न के बराबर है। इसस। इसट होती है। इसलिए इसे बटर फ्रूट भी कहते हैं, लेकिन इससे का प्रवास के दौरान इस फल का स्वाद चखा था। उन्होंने अपने परिवार को भी यह फल चखाया। मगर उन्हें यह फल जचा ही नहीं। डा. परमार का कहना है कि हम भारतीय फलों का सेवन स्वाद के लिए करते है चालीस के दशक में एक बार फिर इस फल की खेती शुरू हुई पर व्यापारिक स्तर पर नहीं हो पाई। डा. चिरंजीत परमार के अनुसार ऐवोकैडो के गूदे में फैट यानी वसा होती है। जिसकी मात्रा 12 से 24 प्रतिशत तक हो सकती है। यह दुनिया का एकमात्र फल है गुठलियों को बीज कर उनसे पेड़ तैयार किए जा सकते हैं।

 

माटी के लाल

यहां अक्तूबर माह में पेड़ों पर महक रहे आम  

सीता राम

यदि फलों की बात होती है तो सबसे पहले आम का नाम सामने आता है। जब आम की बात हो और मुंह में पानी न आए ऐसा हो नहीं सकता है। आम ऐसा फल है जो सभी को पसंद होता है। इन दिनों बागीचों में फलों के राजा कहलाने वाले आम का लगना किसी अचम्भे से कम नहीं है। जी हां अभी भी इन दिनों कोल डैम क्षेत्र के ग्राम पंचायत हरनोड़ा निवासी सीता राम ठाकुर और बलदेव ठाकुर दोनों भाईयों के बागीचों में अभी भी आमों के गुच्छे झूमते दिखाई दे रहे है। उनके बागीचे में एक पेड़ आमों के फलों से लबालब भरा पड़ा है।

क्या कहते है विशेषज्ञ

जिला बिलासपुर के बागबानी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. विनोद शर्मा ने बताया कि फलों के राजा कहलाने वाले फल आम का अब तक लगे रहना जलवायु पर निर्भर करता है। जलवायु के अनुकूल इन क्षेत्रों में अभी तक पेड़ों में आम के फलों का टिका रहना संभव है। इस तरह के पेड़ों की दो किस्मे होती हैं जिन्हें हम सदाबहार पौधे भी कह सकते हैं। आम इन महीनों में अन्य क्षेत्रों में देखे गए हैं।

-निजी संवाददाता, बरमाणा

गोभी बचाने के लिए करें मैलाथियॉन का छिड़काव

पिछले सप्ताह मौसम साफ व शुष्क रहा। दिन का तापमान 27.0 डिग्री सेलसीयस व रात का तापमान 10.40 डिग्री सेलसीयस रिकार्ड किया गया। आने वाले पांच दिनों के मौसम का पूर्वानुमान अगले पांच दिनों में मौसम बादलों के साथ परिवतनशील रहने की संभावना है। दिन व रात के  तापमान में 1-2 कमी होने की संभावना है। हवा दक्षिण-पश्चिम दिशा से 6-8 किमी प्रति घंटा चलने तथा औसतन सापेक्षित आर्द्रता 20-61 प्रतिशत तक रहने की संभावना है।

सप्ताहिक कृषि कार्य

सब्जी फसलों संबंधित कार्य-

गोभी वर्गीय फसलों में तेले की रोकथाम के लिए मैलाथियॉन 15 मिलीलीटर /15 लीटर पानी का छिड़काव करें। टमाटर में पछेता झुलसा रोग की रोकथाम हेतु रिडोमिल गोल्ड / कुरजेट एम-837.5 ग्राम /15 लीटर पानी का छिड़काव करें। तथा 7-10 दिन के अंतराल पर पुनः छिड़काव करें।

बागबानी संबंधित कार्य-

आम में सिला कीट की रोकथाम के लिए गांठों को काट दें तथा रोगोर 30 ईसी या मैटासिस्टॉक्स 25 इसी 200 मिलीलीटर /200 लीटर पानी के घोल बनाकर छिड़काव करें। पौधों के तनों को सूर्य की किरणें से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए तने पर चूने का लेप करें। लेप सामाग्री तैयार करने के लिए 100 लीटर पानी में 30 किलो चूना, 500 ग्राम नीला थोया और 500 मिलीलीटर अलसी का तेल मिलाएं।

-मोहिनी सूद, नौणी

सीधे खेत से

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