बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे बाबा बड़भाग सिंह

By: Oct 23rd, 2019 12:20 am

बड़भाग सिंह बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। करतारपुर में अफगान सैनिकों  द्वारा तंग करने के कारण उन्होंने  मैड़ी में अपना जीवन व्यतीत करने का इरादा बना लिया था किंतु उन्हें सैनिकों द्वारा यहां आकर भी तंग करने का प्रयास किया गया और दर्शनी खड्ड के पास उनका अफगानी फौज के साथ  युद्ध हुआ…

 गतांक से आगे …

मेला बाबा बड़भाग सिंह  :

वह नैहरी के समीप दर्शनी खड्ड में पहुंच गए। बड़भाग सिंह बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। करतारपुर में अफगान सैनिकों  द्वारा तंग करने के कारण उन्होंने  मैड़ी में अपना जीवन व्यतीत करने का इरादा बना लिया था किंतु उन्हें सैनिकों द्वारा यहां आकर भी तंग करने का प्रयास किया गया और दर्शनी खड्ड के पास उनका अफगानी फौज के साथ  युद्ध हुआ। बताते हैं कि उन्होंने आध्यात्मिक प्रभाव से अफगान फौज को वहां से खदेड़ दिया और मैड़ी को अपनी तपस्या स्थली बना लिया उस समय यह स्थान वीरान था। यह भी कहा जाता है कि यदि इस क्षेत्र में कोई व्यक्ति भूल से प्रवेश करता था तो भूत-प्रेत, दुष्ट आत्माएं उसे बीमार या पागल कर देती थीं। कहा जाता है कि बाबा बड़भाग सिंह जब तपस्या में लीन थे तो उन्हें भी प्रेत आत्माओं ने अपने वश में करने का प्रयास किया किंतु उन्होंने तपोविद्या से इन प्रेत आत्माओं को अपने वश में कर लिया द्वारा अलग करके  स्वर्गलोक में विचरने के बाद फिर  अपने स्थूल शरीर में वापिस ले आते थे।  इसी क्रम में एक बाबा जी की आत्मा पहले की तरह शरीर त्याग कर स्वर्ग लोक में चक्कर लगाने गई हुई थी। कुछ दिनों तक उनका  संस्कार कर लिया। कहते हैं कि बाबा जी की आत्मा वापस आई तो शरीर न पाकर वह विचलित हो उठी और वापस चली गई। बाबाजी के परिवारजन इस दुखद मौत से बहुत दुखी रहने लगे। बाबा जी की पत्नी को एक रात स्वप्न में एक अजीब रहस्मयी घटना का अनुभव हुआ। उनकी पत्नी को बाबा जी ने स्वप्न में कहा कि वह इस रहस्यमयी मौत से दुखी न रहे। उन्होंने  वचन दिया कि वह अपने घर में गोबर का लेपन करे। जब तक गोबर सूखेगा नहीं वह सारी रात्रि उनके पास आकर रहा करेंगे। यह क्रम काफी दिनों तक चलता रहा। गर्मियों का मौसम था उनकी पत्नी ने इस आशय के साथ गोबर में कोई तरल पदार्थ मिला कर लेपन कर दिया ताकि यह काफी देर तक न सूखे और बाबा जी काफी देर तक उनके पास रहें। रोज की भांति बाबा जी उस रात्रि को अपनी पत्नी के पास साक्षात्कार करने पधारे हुए थे, लेकिन गोबर प्रातः होने तक भी नहीं सुख पाया।             -क्रमशः

 


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