बद्दी सीईटीपी को एक करोड़ रुपए जुर्माना

बीबीएन – राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कॉमन एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) बद्दी को प्रदूषण नियंत्रण मानकों की अवहेलना पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना ठोंका है। बोर्ड के चेयरमैन ने सीईटीपी संचालकों को जुर्माना पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि के तौर पर जल्द जमा करवाने के आदेश जारी किए गए हैं। इसके अलावा छह माह के भीतर सीईटीपी में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम लागू करना होगा। यही नहीं बोर्ड ने जल प्रबंधन और वायु अधिनियम के उल्लंघन के लिए सीईटीपी प्रबंधन के खिलाफ अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज करने को भी मंजूरी प्रदान कर दी है। फिलवक्त राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कड़े तेवरों ने जहां सीईटीपी संचालकों व उद्यमियों में खलबली मचा दी है, वहीं पर्यावरण सरंक्षण संस्थाओं ने इस कदम की सराहना की है। जानकारी के मुताबिक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष ने बददी के केंदुवाल गांव स्थित सीईटीपी को पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि के तौर पर एक करोड़ रुपए जमा करवाने के आदेश जारी किए है, यह कार्रवाई सीईटीपी संयंत्र द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करने में विफल रहने और सरसा नदी में जल प्रदूषण पर की गई है। काबिलेजिक्र है कि नौ सितंबर को एनजीटी की निगरानी समिति ने सीईटीपी का औचक निरिक्षण किया था। इस दौरान विभिन्न अनियमितताओं का पता लगाया गया था। निगरानी समिति के समक्ष जो अनियमितताएं सामने आई थी, उनमें सरसा नदी में बीओडी, टीडीएस, टीएसएस, सल्फाइड और बायोएसे निर्धारित मानकों से ज्यादा पाए गए थे, जो कि नदी के जल की गुणवत्ता को अत्यधिक कम करते हुए जलीय जीवन को भी प्रभावित करता है। समिति ने इस पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि को जल की गुणवत्ता सुधारने पर व्यय करने की सिफारिश की है।

नदी में न डाला जाए कोई अपशिष्ट

सीईटीपी प्रबंधन को यह भी निर्देशित किया गया है कि छह महीने के भीतर संयंत्र को शून्य डिस्चार्ज तरल तकनीक से संचालित किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि नदी में कोई अपशिष्ट नहीं डाला जाए। इसके अलावा समिति ने बोर्ड के अध्यक्ष को जल अधिनियम के प्रावधानों के तहत संयंत्र को प्रदान की गई कंसेंट टू आपरेट को भी रद्द करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उद्योगों से अपशिष्टों को इकट्ठा करने वाले सभी टैंकरों को राज्य बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वरों पर कनेक्टिविटी के लिए जीपीएस से लैस करने व विभिन्न घटकों की ई-निगरानी के लिए सीसीटीवी की स्थापना भी 15 दिन के भीतर करने की हिदायतें दी हैं। बतातें चलें कि एनजीटी की समिति ने निगरानी के दौरान सीईटीपी के ऑनलाइन मानीटरिंग सिस्टम में भी खामी पकड़ी थी।