बागियों की बिगड़ी चाल लाएगी भूचाल

By: Oct 4th, 2019 12:01 am

धर्मशाला से राकेश चौधरी, पच्छाद से दयाल प्यारी बन सकते हैं गेम चेंजर, दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ीं

शिमला – उपचुनाव में नामांकन के बाद दोनों सीटों पर भाजपा-कांग्रेस की नजर निर्दलीय प्रत्याशियों पर रहेगी। धर्मशाला से राकेश चौधरी और पच्छाद से दयाल प्यारी गेम चेंजर हो सकते हैं। धर्मशाला में भाजपा और कांग्रेस के लिए निर्दलीय राकेश चौधरी सिरदर्द बन सकते हैं। इस सीट पर दोनों दलों ने गद्दी समुदाय के चेहरों पर दांव खेला है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी ओपन सीट पर भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियों ने ट्राइबल से ताल्लुक रखने वाले युवा नेताओं को टिकट दिया है। इस कारण अब धर्मशाला में जातीय समीकरणों के अलावा किशन कपूर व सुधीर शर्मा का अपना फैक्टर चुनावी नतीजों की दिशा को तय करेगा। पिछले चुनावों में सुधीर शर्मा से नाराज होकर किशन कपूर के गले का हार बने राकेश चौधरी का दंगल में उतरना कई सियासी संकेत कर रहा है।  इसके अलावा कांग्रेस के भावी सीएम आंके जाने वाले सुधीर शर्मा का मौन भी अपने प्रत्याशी के लिए सुनामी का संकेत दे रहा है। विद्यार्थी परिषद की प्रयोगशाला से निकले भाजपा प्रत्याशी विशाल नैहरिया की छवि और प्रोफाइल बेशक सार्थक संदेश दे रहे हैं, लेकिन साढ़े तीन दशक से धर्मशाला में भाजपा का काडर खड़ा करने वाले किशन कपूर के बिना भाजपा की नैया सुरक्षित पार नहीं लग सकती। यही कारण है कि राजनीतिक पंडित राकेश चौधरी के सियासी रण में डटे रहने के कई मायने निकाल रहे हैं। अनुशासन के लिए सबसे ऊपर रही भाजपा के पास आज कांगड़ा जिला में एक अदद नेता का अकाल पड़ गया है। इस कारण बागी राकेश चौधरी को मनाने में अनुशासन वाली पार्टी फेल हो गई। इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण-राजपूत वोटों को खींचना दोनों पार्टियों के लिए आसमान से तारे तोड़ने के बराबर होगा। कमोवेश यही स्थिति पच्छाद के उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी दयाल प्यारी ने खड़ी कर दी है। उपचुनाव में जीत का चमत्कार देख रही कांग्रेस अब यही दुआ मांग रही है कि दयाल प्यारी ज्यादा से ज्यादा वोट लेने में कामयाब हो जाए। युवा चेहरे के साथ मैदान में उतरी भाजपा पच्छाद में आशीष सिक्टा को मनाने के बावजूद गुटबाजी के दाग नहीं धो पाई। हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को आश्वासन देकर दयाल प्यारी नामांकन पत्र वापस लेने को तैयार हो गई थी। इसके बाद बागबानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की सारी प्लानिंग पच्छाद में फेल हो गई। लिहाजा लक्ष्मी से दुर्गा बनने का आह्वान कर दयाल प्यारी अब चुनावी रण के दंगल का आइकॉन बन गई है।


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