मशीनी युग से बैलों के कारोबार पर पूर्णविराम

By: Oct 14th, 2019 12:20 am

भुंतर – कृषि बागबानी के मशीनी दौर ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के दौरान बिकने वाले बैलों बिक्री पर पूर्णविराम लगा दिया है। करीब एक दशक पहले तक दशहरा उत्सव में होने वाले पशु कारोबार में हट्टे-कट्टे बैलों को खरीदने के लिए जो लोग मुहमांगा दाम देने को तैयार रहते थे वे किसान-बागबान अब खेतीबाड़ी के लिए पावर टिल्लर और अन्य मशीनों की खरीददारी कर रहे हैं। लिहाजा, दशहरा उत्सव के दौरान अब पशु कारोबारी गिनती के बैलों को बिक्री के लिए ला रहे हैं। कुल्लू दशहरा उत्सव के दौरान सजे पशु कारोबार में इस बार भी करीब एक दर्जन कारोबारियों ने सौ से अधिक पशुओं को बिक्री के लिए ढालपुर के पशु मैदान में लाया है, लेकिन इनमें बैलों की संख्या महज दस फीसदी से भी कम है।  कारोबारियों के अनुसार कभी उत्सव के दौरान बिक्री के लिए उपलब्ध होने वाले पशुओं में बैलों व गउओंं की संख्या बराबर रहती थी, लेकिन अब कुछ सालों से गउओं की ही बिक्री हो रही है। यहां पर जर्सी, सिंधी, हेलिस्टन, साहीवाल जैसी किस्मों की गाय उपलब्ध है। उत्सव के दौरान गर्भवती गउओं से लेकर दूध देने वाली गाय व बछडि़यां तक उपलब्ध करवाई जा रही हंै। कारोबारियों सुंदर सिंह, केहर सिंह आदि ने बताया कि हर साल दशहरा में पशुओं की बिक्री होती है। इस बार भी यहां पर पशुओं को खरीदने के लिए लोग पहुंच रहे हैं और मनपसंद की गाय को घर ले जा रहे हैं। यहां पर जो गाय बेचने के लिए रखी गई है वह दिन में पांच लीटर से 30 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है और इनकी औसत कीमत दस हजार से 40 हजार तक रखी गई है। मेले में करीब एक दर्जन बैलों को भी रखा गया है, लेकिन बैलों की बिक्री न के बराबर ही है। खेतीबाड़ी में मशीनों का प्रयोग होने के बाद बैलों की डिमंाड कम है और अब अगर गाय बछड़ा भी पैदा करती है तो उसे संभालना भी मुश्किल हो जाता है। इनके अनुसार गाय की मांग पहले ही तरह ही है। दिया है।


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