महानाटी से स्वच्छता-पोषण अभियान का संदेश

By: Oct 13th, 2019 12:25 am

31 साल बाद दशहरे में आए देवता रिंगू नाग

प्रशासन ने दिया निमंत्रण, पुत्र प्राप्ति का वर दने के लिए विख्यात हैं देवता

कुल्लू-विश्व के सबसे बड़े देव समागम में देवभूमि कुल्लू के भूपन गांव के देवता रिंगू नाग 31 सालों बाद आए। इतने सालों में प्रशासन ने देवता को निमंत्रण भेजा और देवता भी शान-बान के साथ ढालपुर पहुंचे हैं। देवता को स्थान उस जगह मिला है, जहां राजा की चानणी लगी हुई है। देवता की खासियत यह है कि इनके टमूहल ठाणा नामक देव स्थल में जो भी फरियादी आए तो उसे आवश्य मनचाह वरदान मिलता है। देवता का इतिहास अद्भूत है। बता दें कि कोठी भलाण फाटी रैला के दुर्गम गांव भूपन में विराजमान देवता रिंगू नाग पुत्र प्राप्ति का वर देने के लिए विख्यात देवी-देवताओं में माने जाते हैं। देवता का टमूहल ठाणा देव स्थल विख्यात हैं। बता दें कि देवता का घौटगडू नाम में 100 बीघे का जंगल भी है, जहां पर पुरुष और कन्याएं ही जाने के लिए अनुमति हैं। यहां पर विवाहिता जाने के लिए प्रतिबंध है। बता दें कि विवाह से पहले युवतियां यहां जा  सकती है और उन्हें भी इस तपोस्थली के जाना होगा तो भूखे पेट ही। देवता के इस जंगल में कई प्रजाति के पेड़-पौधे हैं, जिनमें दियार, राय, तोष, कायल, वान, मोहरू, डोडरू, कलूछा, रखाल, चरख, खौड़की, कछण आदि अन्य  कई पेड़ हैं। बता दें कि इस जंगल में उगे पेड़ों  पर कोई भी काट नहीं सकता है। यहां पर कुल्हाड़ी, आरा चलाने पर भी प्रतिबंध रहता है। देवता के गूर वेद राम ने बताया कि देवता 1988 के बाद इस बार दशहरा उत्सव में आए हैं। निमंत्रण नहीं मिलने के चलते देवता यहां नहीं आते थे, इस बार प्रशासन ने निमंत्रण भेजा था और देवता लाव-लश्कर के साथ देव समागम की शोभा बढ़ाने आए हैं। उन्होंने कहा कि देवता के 70 टोल हैं। देवता के नौ बैशाख और भादो के 17-18 प्रविष्टे को मुख्य मेले होते हैं। इन मेलों में देवता का आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।


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