मां चंडी के दरबार भक्तों की कतार

चंडी-जिला सोलन के पट्टा महलों रियासत के प्रसिद्ध मां चंडी मंदिर में नवरात्र के आठवें दिन मंदिर में शीश नवाकर माता के आशीर्वाद के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर समिति के प्रधान चंद्रमोहन शर्मा ने बताया कि अष्टमी के दिन चंडी माता और गुरु महाराज को झंडा चढ़ाया गया, जिसमें सभी मंदिर कमेटी के सदस्यों और लोगों ने अपनी हाजिरी माता के चरणों मे दर्ज करवाई। अष्टमी के पर्व पर मंदिर परिसर में भंडारे का भी आयोजन किया गया। यहां पर विभिन्न स्थानों से आए भक्तों एवं श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। मौसम अनुकूल होने के चलते श्रद्धालुओं की भीड़ में इजाफा हुआ है, हर वर्ष की भांति नवरात्रों के पावन अवसर पर भक्त अपनी मनोवांछित मनोकामना पूर्ण होने पर मां के दर पर माथा टेकते हैं। कहा जाता है कि मां चंडी के दर से कोई भी भक्त खाली नहीं गया है। वैसे तो मां चंडी के मंदिर में वर्षभर भक्तों और श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, परंतु नवरात्र के विशेष अवसर पर यहां का दृश्य अपने आपमें ही विहंगम एवं अद्वितीय हो जाता है। नवरात्र  के शुभ अवसर पर सुबह से ही श्रद्धालु वाहनों में चंडी पहुंच रहे थे और लंबी-लंबी कतारों में मां चंडी के मंदिर में शीश नवाने के लिए खड़े थे। मां चंडी मंदिर कमेटी भी यहां हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नवरात्र में सुचारू व्यवस्था को बनाए रखने में अपना अथक प्रयास कर रही है। यहां पर भक्त हर वर्ष नवरात्र में मां का आशीर्वाद प्राप्त करने दूर-दूर से आते हैं, क्योंकि मां चंडी कई लोगों की कुलदेवी भी है। विशेषकर नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है, जिसके लिए मंदिर कमेटी भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था करती है। लोग यहां सुबह से लेकर देर रात तक शीश नवाने आते हैं और पूजा-अर्चना करने के बाद मां का आशीर्वाद प्राप्त कर घरों को लौटते हैं। बताया जाता है कि मोक्ष का द्वार खोलने वाली माता परम सुखदाई है और वह अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है। मां कात्यायनी की भक्ति से मनुष्य को सुख-शांति की प्राप्ति होती है और प्राणी धन-धान्य और संतान सुख प्राप्ति करता है। इसके बाद सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री मां की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्र पर्व पर मां दुर्गा के चरणों में सारे दुख दर्द में समर्पित करने चाहिए और बिना क्षण गवाएं दुर्गा अष्टमी पर मां की विशेष आराधना करनी चाहिए।