मीठा जहर… शुगर का शिकार हो रहे बच्चे

पिछले दिनों मशहूर फिल्म स्टार प्रियंका चोपड़ा के पति होने के कारण भारत में लोकप्रियता हासिल कर लेने वाले निक जोनास के एक खुलासे ने भारत में भी बच्चों में मधुमेह (डायबिटीज) के बढ़ते मामलों को एक बार फिर गंभीर चर्चा का मुद्दा बना दिया है। जोनास ने हाल ही में खुलासा किया है कि वह बचपन में ही डायबिटीज (मधुमेह) की चपेट में आ गए थे। अमरीका के मशहूर गायक, गीतकार और एक्टर जोनास ने सात बरस की उम्र में थिएटर की दुनिया में पहला कदम रखा था और 2005 में 13 वर्ष की उम्र में वह डायबिटीज के शिकार हो गए। बचपन में डायबिटीज होना अब एक चौंकाने वाली बात नहीं रही। स्कूल जाने की उम्र वाले दस बच्चों में से एक डायबिटीज की कगार पर है। पांच से नौ वर्ष के बच्चों और 10 से 19 वर्ष के किशोंरों पर किए गए व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (सीएनएनएस) 2016-18 के हाल ही में जारी हुए नतीजों में भी यह बात सामने आई है। यह भी पता चला है कि इन बच्चों में से एक फीसदी बच्चे डायबिटीज के मरीज हैं। दुनिया की डायबिटिक केपिटल बनते जा रहे भारत में ही कुछ आनुवांशिक कारणों और कई मर्तबा जीवनशैलीए खान.पान के कारण बच्चे टाइप-1 और टाइप-2 दोनों ही किस्म के डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं। दक्षिण एशियाई देशों में बच्चों में डायबिटीज के मामले में भारत में ही स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। इस बाबत पूरा ध्यान दिए जाने की इसलिए भी जरूरत है कि मधुमेह बच्चों की आंखों और किडनियों पर बुरा असर डाल सकता है। एम्स के डॉण् अनुराग शाही के मुताबिक टाइप-2 डायबिटीज का पूरा इलाज तो संभव नहीं है, लेकिन इसे दवा और जीवनशैली में बदलाव के साथ नियंत्रण में रखा जा सकता है। टाइप-1 डायबिटीज की बात करते हुए वह बताते हैं कि इसका कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन अब तक की जानकारी के मुताबिक यह आनुवांशिक दोष है।

पेरेंट्स की भूमिका अहम

बच्चों के डायबिटीज से जंग में पेरेंट्स की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण हो जाती है। उन्हें बच्चों में स्वस्थ जीवनशैली विकसित करना चाहिए और पौष्टिक आहार को लेकर उनकी रुचि में इजाफे की कोशिश करना चाहिए। रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, शुगर, मिठाई, मैदे वाली सफेद रोटी, पेस्ट्री, सोडा और जंक फूड से बच्चों को दूर रखें। बच्चे को नियमित एक्सरसाइज की आदत डालें। उन्हें इन्डोर की बजाय आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। डायबिटिक बच्चे की सेहत का निश्चित तौर पर पूरा खयाल रखेंए लेकिन उसे भी वास्तविकता से अवगत कराएं। उसे यह बात समझाएं कि डायबिटीज पर नियंत्रण उसे जिंदगी और अधिक खुलकर जीने में मदद करेगा। बच्चे को घर में भी अलग व्यवहार न दें। उसे सामान्य जिंदगी जीने का हक है।