रुसलाह में तेंदुए की डरावनी दहाड़

नेरवा – नेरवा तहसील की रुसलाह पंचायत के तीन गांव के लोग बीते दो सालों से तेंदुओं के खौफ  के साए में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। पंचायत के शाणग, डकोली और शेइला गांव में तीन तेंदुए आतंक का पर्याय बन कर घूम रहे हैं। इनमें एक मादा तेंदुआ है एवं इसके साथ इसके दो व्यस्क शावक भी हैं। मादा तेंदुआ पिछले दो सालों से अपने दो शावकों के साथ क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन कर घूम रही है। यह तेंदुए दिन दहाड़े ही कई जगह अठखेलियां करते देखे जा सकते हैं। इन तेंदुओं के आतंक का आलम यह है कि लोग पालतू कुत्ते और मवेशी पालने से भी तौबा कर चुके हैं। बीते दो सालों में ये तेंदुए उपरोक्त तीन गांव में तीस से ज्यादा पालतू पशुओं और कुत्तों को अपना शिकार बना चुके हैं। बीते सप्ताह भी इन तेंदुओं ने शाणग गांव के मांगू राम की एक बकरीएएक बछड़े व एक कुत्ते को अपना शिकार बना डाला। इसके अलावा शाणग के ही प्रेम मोख्टा के एक गाय और एक बछड़े, मदन लाल के दो कुत्ते डकोली के बसिया राम की एक बकरी एवं कई अन्य लोगों के दर्जनों पशुओं को यह तेंदुए चट कर चुके हैं। इन तीन गांव में आज हालत यह हो चुकी है कि यहां पर एक भी पालतू कुत्ता नजर नहीं आता। यदि कोई व्यक्ति नया कुत्ता लाकर पालने का प्रयास करता है तो वह भी कुछ ही दिनों में इन तेंदुओं का शिकार हो जाता है यही वजह है कि अधिकांश लोगों ने कुत्ते पालने तक का ख्याल ही छोड़ दिया है। स्थानीय निवासी सोहन लाल,  मदन लाल, सूरत राम, वीरेंद्र मोख्टा,मांगू राम मदन लाल व बसिया राम ने बताया कि गांव के लोगों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने में भी डर लग रहा है। बच्चों को स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाने के लिए हर दिन परिवार के दो तीन लोगों को उनके साथ जाना पड़ता है। शेइला, डकोली, शाणग और बेलग गांव के दर्जनों बच्चे मिडल स्कूल शेइला में पढ़ाई करने को जाते हैं परंतु इलाके में बेखौफ  घूम रहे इन तेंदुओं के डर के मारे ये बच्चे अकेले स्कूल आना जाना नहीं कर पा रहे हैं जिस वह से इनके अभिभावकों को अपने कई जरूरी काम छोड़ कर रोजाना इन्हें स्कूल भेजने और स्कूल से घर लाने की ड्यूटी निभानी पड़ रही है। तेंदुओं के खौफ  से प्रभावित उक्त तीन गांव के लोगों ने वन्य प्राणी विभाग से गुहार लगाई है कि इन तेंदुओं को पकड़ कर सेंक्चुरी एरिया में छोड़ उन्हें तेंदुओं के खौफ से निजात दिलवाई जाए, ताकि गांव के लोग बेखौफ  जिंदगी जी सकें।