लंका नरेश रावण का साधना स्थलः राक्षसताल

By: Oct 19th, 2019 12:14 am

मानसरोवर पवित्र तीर्थ स्थल… प्रकृति का यह अनुपम सौंदर्य शब्द सीमा से बिल्कुल परे है। ‘ऐ भइया, यहीं से थोड़ी ही दूरी पर राक्षस ताल है, जहां लंका के राजा रावण ने घोर तपस्या की थी। भगवान शिव को प्रसन्न किया था। यह पश्चिम से कोई चार-पांच मील दूर है।’ एक यात्री कह रहा था। ‘अरे शुभ-शुभ बोल।’ सुनने वाले ने उसे डांट दिया-‘राक्षस ताल का नाम क्यों लेता है? वो भी कोई तीर्थ है। वहां कोई भी न जाए। मरा रावण…हट।’

-गतांक से आगे..

एकदम शांत वातावरण…स्वर्गीय छटा…सचमुच भगवान शंकर की कलिक्रीड़ा है। तंत्र के जन्मदाता भगवान शंकर को मैंने श्रद्धापूर्वक स्मरण किया, तभी सभी यात्रियों का दल जोरों से पुकार उठा-‘हर-हर महादेव।’ ‘हर-हर महादेव…।’ मैं भी दुहरा उठा। मानसरोवर पवित्र तीर्थ स्थल… प्रकृति का यह अनुपम सौंदर्य शब्द सीमा से बिल्कुल परे है। ‘ऐ भइया, यहीं से थोड़ी ही दूरी पर राक्षस ताल है, जहां लंका के राजा रावण ने घोर तपस्या की थी। भगवान शिव को प्रसन्न किया था। यह पश्चिम से कोई चार-पांच मील दूर है।’ एक यात्री कह रहा था। ‘अरे शुभ-शुभ बोल।’ सुनने वाले ने उसे डांट दिया-‘राक्षस ताल का नाम क्यों लेता है? वो भी कोई तीर्थ है। वहां कोई भी न जाए। मरा रावण…हट।’ वार्तालाप सुनकर मैं मुस्करा उठा। सचमुच धारणा यही है। रावण से संबंधित होने के कारण राक्षस ताल कोई तीर्थ नहीं है। वह पाप का स्थान माना जाता है। ज्ञात तो सबको है, पर सबको इससे घृणा है। भला रावण की तपस्या स्थली राक्षस ताल कौन जाएगा? सबको घृणा है। फलतः उस ओर जाने वाला कोई यात्री न था। ‘हम दोनों को ही राक्षस ताल जाना पड़ेगा।’ वामाखेपा ने कहा। ‘हां, दूर तो है ही नहीं। सुबह चलकर घूम-फिरकर हम शाम से पहले वापस आ सकते हैं। अधिक से अधिक पांच मील।’ हम दोनों सहमत थे। मानसरोवर में एक रात ठहरने के लिए हमने एक स्थान खोज लिया। मानसरोवर झील से उत्तर-पूर्व में त्रिपुल गोम्फा है। यहां मानसरोवर के यात्री आराम से ठहर सकते हैं। यह स्थान लगभग आधे घंटे के रास्ते पर है। यहां से, इतने समय में मानसरोवर तक आराम से पहुंचा जा सकता है। हमने अपना डेरा त्रिपुल गोम्फा में जमाया और बिना किसी को कुछ बतलाए राक्षस ताल के लिए रवाना हो गए। वामाखेपा को दिशा का अच्छा ज्ञान था। मानसरोवर से पश्चिम की ओर हम लगभग पांच मील पैदल चले। ऊबड़-खाबड़ रास्ता और संकरीली घाटियां थीं। सारा वातावरण सांय-सांय कर रहा था। शांति इतनी कि सुई तक गिरने की आवाज सुनाई पड़ जाए। सूरज चमक रहा था। सामने हिमालय पर्वतमाला थी। चमकीली बर्फ की चोटियां, नीचे एकदम निर्जन…कुछ बर्फीली चट्टानें तो एकदम राक्षस के समान लग रही थीं। वामाखेपा के साथ मैं भी आश्चर्यचकित था। सामने आ गया ताल…राक्षस ताल। उसका जल दूर से एकदम काला दिख रहा था। ताल काफी दूर तक चला गया था। यह ताल 77 वर्ग मील में है। चारों ओर इसकी लंबाई, चौड़ाई 18, 22, साढ़े 28, साढ़े आठ मील है।                                                         -क्रमशः

 


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