वजीफा घोटाला : बैंक मैनेजर से पूछताछ

By: Oct 9th, 2019 12:30 am

सीबीआई के शिमला थाने में छह और कर्मचारियों से भी सवाल-जवाब

शिमला – सीबीआई के शिमला थाने में एक राष्ट्रीय बैंक के तत्कालीन मेनेजर और छह अन्य कर्मचारियों से सीबीआई ने पूछताछ की है। करोड़ों रुपए के छात्रवृत्ति घोटाले में यह पूछताछ की गई है। सीबीआई ने मामले में शिकंजा कस दिया है। इससे पहले शिक्षा विभाग के एक अधीक्षक से भी यहां पर पूछताछ हो चुकी है। बताया जा रहा है कि सीबीआई की टीम ने शिमला स्थित थाने में जद में आए एक राष्ट्रीयकृत बैंक के उस समय मैनेजर रहे व्यक्ति से करीब करीब चार घंटे तक पूछताछ की। बैंक मैनेजर के बयानों को कलमबद्ध करने के साथ ही वीडियोग्राफी भी की गई। इसके साथ ही बैंक के अन्य कर्मचारियों से भी चरणबद्ध ढंग से पूछताछ की गई। सूत्रों की मानें तो सीबीआई के शिमला थाना में पूछताछ का यह दौर तीन दिन से चल रहा था। सीबीआई टीम को पूछताछ के दौरान कुछ ऐसे तथ्य भी हाथ लगे हैं, जिससे छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल बड़े लोग बेनकाब हो सकते हैं। सीबीआई ने एक चार्जशीट भी तैयार कर ली है, जिसे अदालत में दायर किया जाना है।  जांच टीम ने इस मामले में शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधिकारी व कर्मचारी को भी पूछताछ के लिए तलब किया है। यह वे अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिनके नाम का खुलासा सीबीआई के सामने उस अधीक्षक ने किया था, जिसे कुछ दिन पूर्व दबोचा गया था। अधीक्षक ने राज उगला था कि किस अधिकारी के कहने पर बिना जांच पड़ताल किए ही छात्रवृत्तियां जारी की गई थीं। निजी शिक्षण संस्थानों से शिक्षा विभाग को कितनी कमीशन दी जाती थी, यह भी खुलासा उसके द्वारा किया गया है। सीबीआई के राडार पर अब इस मामले में विभिन्न निजी शिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और शिक्षा विभाग के कई तत्कालीन अधिकारी व कर्मचारी हैं, चूंकि स्कॉलरशिप घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है, ऐसे में कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं। शिक्षा विभाग की जांच में पाया जा चुका है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी दाखिला दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया गया। साल 2013-14 से लेकर साल 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं हुई। जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ  निजी संस्थानों में बांटा गया, जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला।

ऐसा था मामला

विभागीय जांच में सामने आया था कि बीते चार साल में 2.38 लाख छात्रों में से 19,915 को चार मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति की राशि जारी कर दी गई। इसी तरह 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति चार ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। 5729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है। छात्रवृत्ति आबंटन में निजी शिक्षण संस्थानों ने सभी नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया।


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