शहनाई की धुन पर नाचे देवता-हारियान

अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के चौथे दिन जलेब यात्रा में खूबसूरत दिखा नजारा

कुल्लू –अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के चौथे दिन निकली भगवान नरसिंह जलेब यात्रा में शहनाई की धूनों पर देवता भी नाचने पर मजबूर हो गए। वहीं, देवलुआें ने ढोल-नगाडों की थाप पर कुल्लवी गीतों को ठेठ कुल्लवी बोली में गाकर इस जलेब यात्रा को आकर्षक बनाया। जलेब यात्रा में कमला माता गोही, देवता लक्ष्मी नारयाण जेष्ठा, खरीहडू पल्दी, बासुकी नाग थाटीबीड़, करथानाग कंडी और बड़ाग्रां पल्दी के देवता छमांहू ने विराजमान हुए। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की तीसरी जलेब यात्रा में पल्दी घाटी के देवी-देवताओं के साथ-साथ हारियानों ने भाग लिया। ढोल-नगाड़ों की थाप पर हुई परिक्रमा में खास यह रहा कि देवी-देवताओं संग देवलु भी नाचे। नरसिंह भगवान ने जलेब के माध्यम से मैदान के चारों तरफ  परिक्रमा की। हर जलेब यात्रा में अलग-अलग घाटी के देवी-देवता भाग लेते हैं। ढोल नगाड़ों की थाप पर महाराजा कोठी के देवताओं के साथ-साथ कारकून और अन्य श्रद्धालु भी नाचे। मान्यता है कि सुख-शांति के लिए यह जलेब यात्रा निकली। करीब साढ़े चार बजे के निकाली गई जलेब राजा की चानणी से शुरू हुई। पालकी के दोनों ओर देवताओं के रथ चले तो आगे-आगे देवताओं के नरसिंह भगवान की घोड़ी और वाद्य यंत्र की धुनें गुंजती रही। चानणी, अस्पताल सड़क, कालेज चौक, कलाकेंद्र के पीछे होकर जलेब अततः राजा की चानणी के पास ही जलेब संपन्न हुई। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का मुख्य आकर्षण में भव्य जलेब यात्रा भी है