शहनाज को कैम्ब्रिज में पढ़ाना चाहते थे उसके पिता

By: Oct 12th, 2019 12:05 am

सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी मां को समर्पित करते हुए जो किताब ‘शहनाज हुसैन : एक खूबसूरत जिंदगी’ में लिखा है, उसे हम यहां शृंखलाबद्ध कर रहे हैं। पेश है अठाइसवीं किस्त…

-गतांक से आगे…

‘मल्लिका उतनी छोटी नहीं है, वह इस साल 18 की हो जाएगी’, सईदा बेगम ने कहा। ‘मैंने पहले भी कहा था वह उनके लिए ठीक रहेगी। हुसैन बहुत इबादती मालूम पड़ते हैं और मल्लिका भी दिन में पांच दफे नमाज पढ़ती है, और बहुत ही मजहबी है। इसके अलावा वह आगे पढ़ाई भी नहीं करना चाहती, तो हमें उसका घर बसाने के बारे में सोचना चाहिए। आप क्यों नहीं उन्हें लिखते, फिर उनका भी जवाब जान लें?’ जस्टिस बेग फिर से अपनी मेज पर बैठकर मि. हुसैन को खत लिखने लगे। उन्होंने शुरुआत में लिखा कि उनके बेटे ने उनका और उनकी बेगम का दिल जीत लिया है, लेकिन शहनाज अभी 14 साल की ही है और निकाह के लिए तैयार नहीं है। हालांकि, उन्होंने जोड़ा, शायद उनकी बड़ी बेटी उनके लिए ज्यादा सही रहेगी। कुछ दिनों बाद, मि. हुसैन का जवाब जस्टिस बेग की मेज पर रखा था। विनम्रता और नजाकत से लिखा हुआ, बशीर हुसैन ने जस्टिस बेग के सुझाव का शुक्रिया अदा किया, लेकिन अफसोस भी जाहिर किया कि वह इस मामले में बिल्कुल लाचार हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि उनके साहबजादे शहनाज को अपना दिल दे बैठे हैं और ताउम्र उनका इंतजार करने को तैयार हैं। दरअसल, खत में कहा गया था कि नासिर उनके प्रति इतने समर्पित हैं कि उन्होंने और किसी लड़की से भी मिलने से मना कर दिया है। मामले को खुदा के हाथों में छोड़ते हुए, मि. हुसैन ने खत की समाप्ति करते हुए कहा कि वह दुआ करेंगे कि उनके बेटे की दुआ कबूल हो, उन्हें अल्लाह में बहुत विश्वास है। हालांकि मल्लिका की बात नहीं बन पाई, लेकिन सईदा बेगम यह जानकर खुश थीं कि वह शहनाज का इंतजार करने को तैयार हैं। ऐसा शायद ही कभी हुआ हो कि ऐसे आकर्षक इनसान से मिलकर उसके बारे में इतनी बार बात की गई हो। लेकिन जस्टिस बेग जितना नासिर को पसंद करते थे, उतना ही इस मामले को आगे बढ़ाने के विरुद्ध थे। शहनाज अपनी क्लास में टॉप स्टूडेंट तो थी हीं, सेंट मैरी की स्टार स्टूडेंट में से भी एक थीं। उनका शैक्षिक रिकार्ड कमाल का था और यह साफ था कि उनका भविष्य बेहद उज्ज्वल है। जस्टिस बेग अपनी बेटी को वही अवसर देना चाहते थे जो उन्हें मिला था। वह चाहते थे कि वह कैम्ब्रिज में पढ़ाई करे क्योंकि वह जानते थे कि शहनाज में वह काबिलियत है। ‘बीबी फिर से शहनाज के निकाह की बात मत करना’, उन्होंने अपनी बेगम से कह दिया। ‘स्कूल खत्म होने के बाद, मैं उसे कैम्ब्रिज भेजने वाला हूं।’ निहायती रस्मी सईदा बेगम इस विचार से डर गईं। हालांकि वह अपने शौहर की योजनाओं से वाकिफ हो गई थीं, लेकिन जमीनी सच्चाई की वह कल्पना तक नहीं कर पा रही थीं।


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