संस्कृत में हैं रोजगार के व्यापक अवसर
नासा ने भी स्वीकार किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत की शिक्षा आपको केवल कर्मकांडों तक ही सीमित नहीं रखती बल्कि पारंपरिक ज्ञान के आधार को विस्तृत करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान समय में ऐसे युवाओं की संख्या फिर से बढ़ रही है, जो संस्कृत भाषा के जरिए अपने करियर को गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं…
संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति का बड़ा गहरा संबंध है। भारत की सैकड़ों -हजारों पीढि़यों का अनुभव संस्कृत भाषा में सुरक्षित है। इस प्राचीन ज्ञान को सहेजने के लिए भारत सरकार ने नेशनल ट्रेडिशनल डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण किया है। नासा ने भी स्वीकार किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत की शिक्षा आपको केवल कर्मकांडों तक ही सीमित नहीं रखती बल्कि पारंपरिक ज्ञान के आधार को विस्तृत करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान समय में ऐसे युवाओं की संख्या फिर से बढ़ रही है, जो संस्कृत भाषा के जरिए अपने करियर को गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। पश्चिमी परिवेश में पले-बढे़ कुछ तथाकथित विद्वान समय-समय पर इस बात की घोषणा करते रहते हैं कि संस्कृत एक मृत भाषा है। यह आकलन बहुत भ्रामक है। भारत का बढ़ता मध्यमवर्ग जहां उपभोक्तावादी जीवनशैली को अपना रहा है, वहीं दूसरी तरफ पारंपरिक संस्कारों के प्रति भी उसकी आस्था बढ़ रही है। ज्योतिष की लोकप्रियता में तो काफी वृद्धि हुई है। इस कारण संस्कृत को एक नया जीवन मिला है और वह करियर के लिहाज से एक सक्षम विषय बनकर उभरी है। संस्कृत से जुड़ी हुई सर्वाधिक रोचक बात यह है कि इसका पठन-पाठन करने वाले विद्यार्थियों को रोजगार के लिए सरकार का मुंह नहीं ताकना पड़ता। संस्कृत का ज्ञान पूजा-पाठ, कुंडली मिलान, सोलह संस्कारों का संपादन, विद्यार्थियों के लिए स्वरोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध कराता है। इन सब कारणों से संस्कृत दिन- प्रतिदिन का महत्त्व बढ़ता जा रहा है।
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान
संस्कृत भाषा में लोगों की रुचि पैदा हो, संस्कृत की तरफ अधिक से अधिक विद्यार्थी आकर्षित हों, इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान कई कार्यक्रमों का संचालन करता है। यह संस्थान संस्कृत में अध्ययनरत छात्रों को छात्रवृत्ति भी प्रदान करता है। संस्थान द्वारा देश भर में अपने से संबद्ध परिसरों तथा अन्य शैक्षिक संस्थाओं में अध्ययनरत संस्कृत के सुयोग्य छात्रों का चयन कर छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
संस्थान के उद्देश्य
* देश के विविध भागों में केंद्रीय संस्कृत परिसरों की स्थापना, अधिग्रहण तथा संचालन करना।
* संस्कृत विद्या की सभी विधाओं में शोध करना।
* केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठों का प्रबंधन तथा उनकी शैक्षणिक गतिविधियों में अधिकाधिक प्रभावी सहयोग करना।
* देश भर में संस्कृत भाषा का व्यापक प्रचार-प्रसार करने में सहयोग करना ।
करियर की संभावनाएं
इस क्षेत्र में करियर की भरपूर संभावनाएं हैं। संस्कृत संस्थानों से पढ़ाई करके आप बेहतरीन करियर बना सकते हैं। कर्मकांडों को कराने के अलावा संस्कृत भाषा के अनुवादक के रूप में भी काम किया जा सकता है। बड़े-बड़े मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर पुजारी का कार्य भी कर सकते हैं। इसके अलावा शासकीय नौकरियों में भी शास्त्री और आचार्यों की भर्ती की जाती है। सेना में भी आप इसकी पढ़ाई करके सेवारत हो सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता
ऐसे छात्र जिन्होंने किसी संस्थान की उत्तरमध्यमा या प्राक ् शास्त्री या समकक्ष परीक्षा 12वीं किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से संस्कृत के साथ उत्तीर्ण की हो, वह शास्त्री अथवा स्नातक के लिए आवेदन कर सकते हैं।
हाईटेक होती संस्कृत
संस्कृत अब प्राचीन परंपराओं तक ही सीमित न होकर वर्तमान के कम्प्यूटर युग के साथ भी स्पर्धा कर रही है। आजकल ज्यातिषी कुंडली का पूरा अंक गणित कम्प्यूटर पर एक क्लिक में ही कर देते हैं।
वेतनमान
इस क्षेत्र में युवाओं का वेतनमान उनकी अपनी स्वयं की रुचि इच्छाशक्ति और व्यवहार कुशलता पर निर्भर है। स्वरोजगार में आमदनी योग्यता पर निर्भर करती है सरकारी क्षेत्र में शुरुआती वेतन 15 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह तक होता है, जो सीनियोरिटी के साथ बढ़ता है।
कैसे होगा प्रवेश
संस्कृत से जुड़े प्रोफेशनल्स कोर्स शिक्षा शास्त्री और शिक्षाचार्य के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम देने पड़ते हैं। एंट्रेंस एग्जाम में लिखित परीक्षा ली जाती है। दिल्ली के राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान व लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के शास्त्री कोर्स में भी एंट्रेंस एग्जाम लिया जाता है। यह परीक्षा अमूमन जून महीने में ली जाती है। बाकी संस्कृत विश्वविद्यालयों में फॉर्म भरने की प्रक्रिया जून से शुरू होकर जुलाई तक चलती है। महत्त्वपूर्ण तिथियों का ध्यान रखने के लिए अखबारों और इन संस्कृत संस्थानों की वेबसाइट्स पर भी नजर बनाए रखें। साथ ही संस्कृत से संबंधित सामान्य जानकारियां पढ़ते रहें और तैयारी पर जोर दें।
ऐसे रहें अपडेट
संस्कृत में स्कोप खोजने के लिए आपको कड़ी मेहनत की प्रक्रिया से गुजरना होगा। खुद को संस्कृत जॉब से जोड़ने के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन से हर रोज प्रसारित होने वाले संस्कृत समाचारों से आपको जुड़ना होगा। इसके साथ संस्कृत विश्वविद्यालयों व संस्कृत अकादमियों के साथ ही अनेक संस्थाओं के द्वारा प्रकाशित होने वाली संस्कृत पत्रिकाओं पर लगातार नजर बनाए रखना भी बेहद जरूरी है। संस्कृत सुनना और बोलना सीखने के लिए यू – ट्यूब का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। संस्कृत से जुड़ी मैगजींस आपको संस्कृत की समझ हासिल करने में मदद करेंगी। संस्कृत में क्रिएटिव और नया करके आप लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच सकते हैं।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
* राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ गरली परिसर, (हिप्र)
* हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला (हिप्र)
* हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र, धर्मशाला (हिप्र)
* राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर(हिप्र)
* राजकीय संस्कृत महाविद्यालय नाहन(हिप्र)
* राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सोलन(हिप्र)
* राजकीय संस्कृत महाविद्यालय फागली (हिप्र)
* राजकीय संस्कृत महाविद्यालय क्यारटू (हिप्र)
* लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, दिल्ली
* संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
विभिन्न कोर्सेज
* प्राक् शास्त्री प्रथम (11वीं संस्कृत विषय)
* प्राक् शास्त्री द्वितीय (12वीं संस्कृत विषय)
* शास्त्री (स्नातक)
* आचार्य (स्नातकोत्तर)
सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं
आपको जानकर शायद हैरानी हो कि पूरे देश में भाषायी तौर पर सबसे ज्यादा 15 विश्वविद्यालय संस्कृत भाषा से जुड़े हैं। भारत के कोन-कोने में बने इन विश्वविद्यालयों में लाखों की संख्या में छात्र संस्कृत पढ़ते और इस पर रिसर्च करते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि एक ओर संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषा होने का गौरव प्राप्त है, वहीं दूसरी ओर विज्ञान सम्मत व्याकरण होने से सर्वाधिक परिष्कृत भाषा होने का खिताब भी इसी के नाम है। भारत से बाहर संस्कृत पूरी दुनिया के 250 से भी ज्यादा विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है।
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