सब्जी मंडी कूहल ओबीसी भवन के मसलों से गरमाया धर्मशाला उपचुनाव

हिमाचल के पच्छाद और धर्मशाला में हो रहे उपचुनावों पर हजारों किसानों की पैनी नजर है। पिछली बार अपनी माटी टीम ने पच्छाद का दौरा कर हरड़ उगा रहे किसानों का दर्द बयां किया था। इस बार हमने धर्मशाला हलके में किसानों का दर्द बांटने की कोशिश की है। धर्मशाला हलके में कुल 88 बूथ हैं। इनमें करीब 70 बूथ किसान बहुल हैं। गांवों से घिरे स्मार्ट शहर को दूसरी राजधानी का दर्जा हासिल है,लेकिन गांवों किसानों और खेती की हालत बेहद पतली है। धर्मशाला हलके से निकलने वाली मुख्य खड्डों के नाम नाम मांझी और मनूणी है। इसके अलावा चरान, घुरलू , घियारी, नोड, दरूं, इक्कू जैसी खड्डें व नाले हैं। इन खड्डों से निकलने वाली कूहलों से खेतों की सिंचाई होती है,लेकिन बड़े दुख की बात है कि अंग्रेजों के जमाने से चल रही कूहलों की हालत दिनों दिन पतली होती जा रही है। ज्यादातर कूहलें अपने उदगम से लेकर अंतिम प्वाइंट तक बेहद दयनीय दशा में हैं। सरकार जायका और अन्य प्रोजेक्टों से इनके निखार के दावे करती है, लेकिन सच यह है कि कूहलों की हालत काफी खराब है। किसानों की दूसरी समस्या सब्जी मंडी है। सरकार ने पासू में सब्जी मंडी बनानी थी, लेकिन यह बीरबल की हांडी साबित हो रही है। इसी तरह पासू में ही ओबीसी भवन भी नहीं बन पाया है। अब बात करते हैं सबसे प्रमुख खड्ड मांझी की। मांझी में धर्मशाला से लेकर शीला,पास्सू,चैतड़ू आदि स्थानों में प्रवासियों ने झुग्गियां बसा रखी हैं। इनके कई नुकसान हैं। एक तो किनारों पर खुले में शौच से खड्ड दूषित होती है,दूसरे यही खराब पानी खेतों में पहुंचकर हिमाचल सरकार के प्राकृतिक  खेती के दावों की धज्जियां उड़ा रहा है। खैर बात उपचुनाव की हो रही है, तो हमने कुछ नेताओं से बात कर किसानों के लिए उनका विजन जानने का प्रयास किया। आइए सुनते हैं कौन क्या कह रहा है।  

रिपोर्ट : नितिन राव,पूजा चोपड़ा

मांझी से निकलने वाली कूहलें संवारूंगा

पुनीश पाधा आजाद प्रत्याशी

उपचुनावों में बतौर आजाद उम्मीदवार उतरे पुनीश पाधा कहते हैं कि उन्हें मौका मिला,तो वह प्राथमिकता के आधार पर मांझी से निकलने वाली 16 बड़ी कूहलों के रखरखाव को प्राथमिकता देंगे। पास्सू सब्जी मंडी और किसान भवन भी उनकी प्राथमिकता है। इसी तरह किसानों को अच्छे बीज और खाद भी मिलनी चाहिए।

सब्जी मंडी, ओबीसी भवन की लड़ाई जारी रहेगी

राकेश चौधरी आजाद प्रत्याशी

उपचुनाव में आजाद प्रत्याशी राकेश चौधरी का कहना है कि उन्होंने ही सबसे पहले पास्सू सब्जी मंडी और ओबीसी भवन का मुद्दा उठाया था। वह कहते हैं कि अगर कूहलों की दुर्दशा होगी, तो खेती खत्म हो जाएगी। विधायक बनने पर वह कूहलों को संवारेंगे। साथ ही मांझी खड्ड के किनारों पर बसे प्रवासियों को सुरक्षित जगह मुहैया करवाएंगे।

कांग्रेस और भाजपा कैंडीडेट की कुछ ऐसी है राय

विजय करण कांग्रेस प्रत्याशी

विशाल नेहरिया भाजपा प्रत्याशी

कांगे्रस प्रत्याशी विजय करण का कहना है कि भाजपा ने पास्सू में सब्जी मंडी के नाम पर छल किया है। विजय करण किसानों के हितों की पैरवी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कांग्रेस ने हमेशा किसानों की भलाई की है। दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी विशाल नेहरिया का कहना है कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। भाजपा हमेशा ही किसान हितैषी फैसले लेती है।

बीएस माहल कई बार  उठा चुके हैं मसला

बीएस महल समाजसेवी

मांझी में बढ़ रहे प्रदूषण का मसला सबसे पहले उठाने वाले रिटायर्ड फायर आफिसर एवं पर्यावरणविद बीएस माहल कहते हैं कि कोई भी इस खड्ड की सुध लेने वाला नहीं है। वह कई बार प्रशासन और नेताओं से गुहार लगा चुके हैं।  प्रदूषण बढ़ता रहा,तो प्राकृतिक खेती का सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा। वह हर रोज  खड्ड से कचरा उठाते हैं। 

माटी के लाल

राजिंदर ने थामी जैविक खेती की मशाल

रोजमर्रा खाए जाने बाले भोजन में पहले जैसी ताकत नहीं रही यह बात सबको स्वीकार  करनी ही होगी। भोजन में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की कमी अनाज, दालोंए, फलों और सब्जियों में पाए जाने की बजह से आम आदमी आजकल बीमारियों की चपेट में है। जिस कीटनाशक स्प्रे की बिक्री पर अमरीका ने भारी भरकम जुर्माना लगा रखा वही हमारी गली, मुहल्ले की दुकानों पर आसानी से मिल जा रहा है। को अपनाकर निरोगी नहीं बन सकते हैं। किसान खेतों में बिना कैमिकल डाले फसलों, सब्जियों और फलों की पैदावार अच्छी निकाले, इसके लिए कुछ लोग काम कर रहे हैं। इन्ही मे से एक उपमंडल नुरपुर रिट गांव का युवा राजिंदर सिंह इस मुहिम में दिन रात काम कर रहा है। जैविक खेतीबाड़ी का परिशिक्षण प्राप्त कर चुका राजिंदर सिंह एक वेस्टेज नामक कंपनी में काम करके किसानों को जैविक खेती अपनाए जाने के लिए प्रेरित कर रहा है। उसका मानना की बिना कीटनाशक स्प्रेएजहरीली दवाइयों और रसायन उर्वकर डाले भी किसान प्राकृतिक खेतीबाड़ी करके मुनाफा कमा सकते हैं। राजिंदर सिंह बैसे तो अकेडमिक शिक्षा में भी कई डिग्रियां प्राप्त करने के बाद अब जल्द ही बतौर शिक्षक भी अपनी सेवाएं देने बाले हैं। मगर फिलहाल बह वर्तमान में किसानों को जैविक खेती के फायदे बताकर एक किस्म से समाज सेवा भी कर रहे हैं।

 रिपोर्ट -सुखदेव सिंह, नुरपुर

चनन सिंह के पंडोल देख हर कोई दंग

गांव थाथ पंचायत इंदपुर ब्लॉक इंदौरा के एक सब्जी उगाने वाले  किसान चनन सिंह पुत्र बहादुर सिंह ने पांच फुट से अधिक लंबे पंडोल जिनकी मोटाई 8 इंच है को उगा कर एक मिसाल कायम की है। फोटो भी संलग्न है। इसी किसान ने पहले 1 किलो 200 ग्राम का बैंगन तथा 3.50 किलोग्राम गोभी का फूल पैदा किया था जिसकी सभी ने सराहना की थी।

रिपोर्ट : एसपी राणा, इंदौरा

इटली का सेब फेल, हिमाचल को फिर अमरीका पर यकीन

इटली से लाई गई सेब पौध के रिजल्ट हिमाचल में अच्छे नहीं रहे हैं। इस कारण हिमाचल ने एक बार फिर से अमरीका पर भरोसा जताया है। हिमाचल के बागबानी विशेषज्ञ शीघ्र अमरीका का दौरा करने वाले हैं। वे वहां पर रूट स्टाक की परख करेंगे। इसके बाद रूट स्टाक का आर्डर दिया जाएगा। अपनी माटी को मिली जानकारी के अनुसार बागबानी विभाग व नौणी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों को अमरीका जाने की अनुमति मिल गई है। जल्दी ही ये लोग अमरीका जाएंगे। इससे पहले विभाग से इन्हें मंजूरी मिली है ,जिसका प्रस्ताव सरकार के पास गया था। बागबानी मंत्री ने इसे अनुमति दी थी,जहां से मामला मुख्यमंत्री तक गया और अब वहां से अनुमति मिल गई है। जल्दी ही चार विशेषज्ञ अमरीका जाएंगे। यहां पर अभी तक इटली से लाए जाने वाले पौधों को ही बागबानों को दिया जा रहा है। इसी पौध की नर्सरी यहां पर डिवेलप की जा रही है, लेकिन इसके रिजल्ट ठीक नहीं है। बागबानी विकास परियोजना के तहत इटली से लाए गए पौधों की हालत यहां पहले ही देखी जा चुकी है जिसमें अधिकांश पौधे खराब निकले थे। इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि अब इटली से पौधे न लाकर अमरीका से लाए जाएं। विशेषज्ञों ने इसे लेकर अमरीका के अलग-अलग क्षेत्रों में विशेषज्ञों से संपर्क साधा है,जहां पर उन्हें बेहतरीन नर्सरी के बारे में जानकारी मिलेगी वहीं पर जाएंगे। फिलहाल अधिकारियों को वीजा की मंजूरी मिल चुकी है और जल्द वह अमरीका के दौरे पर निकलेंगे। इटली से अब तक 5 लाख से ज्यादा पौधे लाए जा चुके हैं और करीब तीन लाख पौधे बागबानों को वितरित कर दिए गए हैं। बागबानी निदेशक एमएल धीमान का कहना है कि प्रदेश सरकार से अमरीका जाने को लेकर मंजूरी मिल गई है अब वीजा की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं। अमरीका में जहां भी सेब पौध की बेहतरीन नर्सरी मिलेगी। वहां से हिमाचल के लिए सेब के रूट स्टॉक लाए जाएंगे।

-रिपोर्ट शकील कुरैशी, शिमला

मक्की कटाई में जुटे किसान, इस बार अच्छी फसल

हिमाचल में मक्की को साल भर का अनाज माना जाता है। इस फसल की पड़ताल करने की कोशिश की है। सिरमौर के अधिकतर इलाकों में मक्की की फसल तैयार है। बारिश के डर से इन दिनों किसान फसल को  निकालने व सुखाने में जुटे हुए हैं। जिला में करीब 19 हजार हेक्टेयर  पर मक्की  उगाई जाती है। इसमें अकेले विकास खंड संगड़ाह में 4200 हेक्टेयर पर इसका उत्पादन किया जाता है। मक्की का  सत्तू हो या फिर आटा, भूनकर को पूरे साल खाया जा सकता है। मक्की के भुटटे हों या फिर आटा, भूनकर खाने योग्य बनाई जाने वाली सूखी मक्की हो या फिर सत्तू…मक्की को खाने का अपना ही मजा है। जहां तक हिमाचल की बात है, तो किन्नौर और लाहुल के कुछ हिस्सों को छोड़ दें, तो पूरे प्रदेश में मक्की उगाई जाती है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2017-18 में मक्की की प्रोडक्शन सालाना 644 टन पहुंच गई है, जो 1951-52 में महज 67 टन थी। किसान कहते हैं कि इस बार फसल अच्छी है, पर बारिश ने उनका प्लान बिगाड़ दिया है। मक्की का उत्पादन इससे भी कहीं ज्यादा होता, अगर हिमाचल की सरकारें उत्पाती बंदरों का पक्का इलाज करती। बहरहाल कहीं-कहीं बारिश ने जरूर रोड़ा अटकाया है, लेकिन किसानों का टारगेट है कि दिवाली तक हर हाल में मक्की की फसल को किसी तरह वसूला जाए।

हमीरपुर में बारिश ने रोकी मक्की की कटाई

हमीरपुर जिला के कई इलाकों में ताजा बारिश ने मक्की की कटाई का काम रोक दिया है। अब किसान मौसम के खुलने का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ही आगामी कार्रवाई आगे बढ़गी। हमीरपुर के अलावा बिलासपुर और ऊना में भी बारिश ने मक्की फसल पर असर डाला है।

–   रिपोर्ट जय प्रकाश संगड़ाह

कांगड़ा से भटियात तक खेतों में बिछा धान

बारिश ने किसानों की 6 माह की मेहनत मिट्टी कर दी है। कांगड़ा जिला के बैजनाथ, पालमपुर, नगरोटा बगवां से होते हुए चंबा के भटियात-सलूणी तक धान की बंपर फसल को नुकसान हुआ है। किसानों ने बताया कि उनकी छह महीने की मेहनत पर पानी फिर गया है। कांगड़ा जिला के बैजनाथ के ऊपरी इलाकों सेहल, गनखेतर, धरेड़, दियोल व फटाहर के आसपास के दर्जनों गांवों के सैकड़ों किसानों की छह माह की मेहनत पर पानी फेर दिया है। सेहल के पंचायत प्रधान रविंद्र कुमार व गनखेतर के रतन चौधरी का कहना है कि इस कुदरती कहर ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। जयराम सरकार को तुरंत किसानों को इसका मुआवजा देना चाहिए।

-रिपोर्ट चमन डोहरू-बैजनाथ, कुलदीप शर्मा, चुवाड़ी

एपीएमसी ने धर्मशाला सब्जी मंडी में मारा छापा

एपीएमसी ने धर्मशाला सब्जी मंडी में छापा मारा। साथ ही कारोबारियों को हिदायत दी कि वे नियमों के तहत व्यापार करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। कृषि उत्पाद विपणन समिति के सचिव आरके भारद्वाज ने निर्देश दिए कि मंडी में आने वाले सभी किसानों को विशेष स्थान दिया जाए।  इन उपचुनावों में धर्मशाला की सब्जी मंडी 40 हजार किसानों का सबसे बड़ा मुद्दा बनी हुई है।

– नरेन कुमार, धर्मशाला 

जानिए, रूट स्टॉक के बारे में

एम-26- यह एक सैंमी इवार्फ रूटस्टॉक है। इस रूटस्टॉक को इंग्लैंड के ईस्ट मालिंग अनुसंधान केंद्र में एम 9 और एम 16 के मेल से विकसित किया गया था। इस रूटस्टॉक पर लगे पेड़ 3 से 4 मीटर तक ऊंचे हो सकते हैं। एम 26 पर पेड़ तीन साल में फल देने लगते हैं। चिकनी और गीली मिट्टी वाले क्षेत्रों में इस रूटस्टॉक पर कलम किए पेड़ ठीक से नहीं चलते इसलिए ऐसे स्थानों में इस रूटस्टॉक का उपयोग करने से बचना चाहिए। एम 26 की जड़ें भी जमीन में बहुत दृढ़ता से नहीं गड़ी होती इसलिए पेड़ों में स्टेकिंग की आवश्यकता भी पड़ जाती है। यह रूटस्टॉक ठंड को तो सहन कर लेता है, परंतु कॉलर रॉट से अपने आप को नहीं बचा पाता।

सीधे खेत से

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