सात बेघर परिवारों को अब तक ठिकाना नहीं

By: Oct 28th, 2019 12:01 am

शिमला – घुमारवीं-कसारू पंचायत के कठलग (करयालग) गांव में बरसात के दौरान बेघर हुए परिवारों को बसाने के लिए दी जाने वाली जमीन का इंतजाम अभी तक नहीं हो सका है। राजस्व विभाग ने यहां उद्योग विभाग के सेरीकल्चर विंग की जमीन देखी थी, जिसकी एनओसी अभी तक राजस्व विभाग के नाम पर नहीं हो सकी है। सूत्रों के अनुसार उद्योग विभाग को इसके लिए रिमाइंडर भी भेजा गया है, परंतु अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला। इसके चलते राजस्व विभाग भी जमीन का आबंटन करने में फंस गया है। मुख्य सचिव के कार्यालय से इस संबंध में जानकारी मांगे जाने के बाद भी कोई प्रगति नहीं हो पाई है, जिससे सरकारी तंत्र की निष्क्रियता का पता चलता है। बरसात में बेघर हुए लोगों को रहने के लिए अपना ठिकाना नहीं मिल रहा और यह परिवार बुरी तरह से प्रभावित हैं। इनकी दशा देखने के बाद भी सरकारी तंत्र इनकी मदद नहीं कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि उद्योग विभाग को राजस्व महकमे ने रिमाइंडर भी भेजा था, लेकिन उस रिमाइंडर पर भी कोई जवाब नहीं आया है। यहां तक कि संबंधित स्थान पर जमीन की पैमाइश आदि का काम भी नहीं हो पाया है। अब सर्दियां आ गई हैं और ऐसे में ये परिवार बिना मकान के अपनी गुजर कैसे करेंगे, कोई इसके बारे में नहीं सोच रहा। पिछले दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यहां जाकर लोगों को वित्तीय मदद देने का ऐलान किया था। साथ ही उन्हें बसाने के लिए जमीन देने को कहा गया था, लेकिन बिना जमीन के मकान कैसे बनेगा। यहां सेरीकल्चर की जमीन से दो-दो बीघा जमीन इन परिवारों को सरकार ने मुहैया करवाने को कहा है, जिसकी एनओसी अभी तक नहीं मिल पाई है।

बलोह गांव के पास जगह सिलेक्ट

प्रत्येक परिवार को दो-दो बिस्वा भूमि देने के लिए जमीन पंचायत के बलोह गांव के पास चिन्हित कर ली है। जमीन का ततीमा व अन्य जरूरी दस्तावेजों की फाइल तैयार कर रेवेन्यू सेक्रेटरी के पास भेज दी गई थी। चिन्हित जमीन आपदा पीडि़त परिवारों के नाम ट्रांसफर की जाएगी, जिसके बाद बेघर परिवारों के नाम जमीन कर दी जाएगी, लेकिन इससे पहले सेरीकल्चर विंग, जिसकी जमीन है, वह राजस्व विभाग को एनओसी देगा, जो कि नहीं दे रहा है। इस मामले को लेकर जल्द ही उद्योग विभाग से रिपोर्ट मांगी जाएगी। बताया जाता है कि उद्योग विभाग भी अपनी इन्वेस्टर्स मीट में व्यस्त है, लेकिन उसकी यह व्यस्तता बेघर हुए परिवारों पर भारी पड़ रही है।


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