हफ्ते का खास दिन

By: Oct 9th, 2019 12:15 am

सीके नायडू

जन्मदिवस 13 अक्तूबर

सीके नायडू का जन्म 13 अक्तूबर, 1895 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ।  सीके नायडू क्रिकेट के साथ-साथ अपनी बेहतरीन फिटनेस के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने अपना अंतिम मैच 68 वर्ष की उम्र में खेला था। नायडू भारत की प्रथम टेस्ट टीम के कप्तान थे। वह भारत के पहले ऐसे क्रिकेटर थे, जिन्हें सरकार द्वारा वर्ष 1956 में ‘पद्मभूषण’ देकर सम्मानित किया गया था। कोट्टारी कंकैया नायडु भारत की क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान रहे थे। सीके नायडू उस उम्र तक क्रिकेट खेलते रहे, जिसके बारे में सोचना भी आज के खिलाडि़यों के लिए स्वप्न है। नायडू की उस समय की फिटनेस आज के उन खिलाडि़यों के लिए एक सबक है, जो दूसरे-तीसरे मैच के बाद ही चोटिल हो जाते हैं। 37 साल की उम्र में जब आज खिलाड़ी रिटायर होने लगते हैं, तब सीके नायडू ने टेस्ट मैच खेलना शुरू किया था। कर्नल कोट्टारी कंकैया नायडू को प्यार से सभी लोग सीके कहकर पुकारा करते थे। भारत के प्रथम टेस्ट मैच में वह भारतीय टीम के कप्तान थे। यह मैच 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध खेला गया था। यद्यपि इंग्लैंड की टीम पूरी तरह मजबूत थी, लेकिन सीके नायडू की कप्तानी में भारतीय टीम ने जमकर उनका मुकाबला किया। सीके नायडू का कद छह फुट से भी ऊंचा था। वह दाहिने हाथ के खिलाड़ी थे। उनकी शारीरिक बनावट किसी एथलीट की भांति हृष्ट-पुष्ट थी। अतः अपने जोरदार स्ट्रोक और तेज हिट के कारण विरोधियों के खेल के दबाव को कम कर देते थे। होल्कर महाराज ने उनकी शारीरिक मजबूती को देखते हुए उन्हें अपनी सेना में कैप्टन बनाया और यहीं से वह कर्नल सीके नायडू बन गए। वर्ष 1926-1927 में उन्होंने खासी लोकप्रियता प्राप्त की, जब उन्होंने बंबई वर्तमान मुंबई में 100 मिनट में 187 गेंदों पर 153 रन बना दिए, जिनमें 11 छक्के तथा 13 चौके शामिल थे। यह मैच ‘हिंदू’ टीम  की तरफ  से एई आर गिलीगन की एमसीसी के विरुद्ध खेल रहे थे। मुंबई के जिमखाना मैदान पर ‘हिंदू’ टीम के लिए उनकी आखिरी पारी पर उन्हें चांदी का बल्ला भी भेंट किया गया था। क्रिकेट जब अभिजात्य और राजा महाराजाओं का खेल हुआ करता था, तब उन्हें इग्लैंड जा रही भारतीय टीम का कप्तान बनाया जाना एक प्रसंग ही था। वर्ष 1932 में उस टीम के कप्तान पोरबंदर महाराज थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वह नहीं जा पाए और फिर कर्नल सीके नायडू को भारतीय टीम का पहला कप्तान बनने का गौरव प्राप्त हो गया। सीके नायडू ने आंध्र प्रदेश केंद्रीय भारत, केंद्रीय प्रोविंसेज एंड बरार, ‘हिंदू’,होल्कर यूनाइटेड प्रोविंस’ तथा भारतीय टीमों के लिए क्रिकेट खेला। 1932 में इंग्लैंड दौरे के दौरान सीके नायडू ने प्रथम श्रेणी के सभी 26 मैचों में हिस्सा लिया था, जिनमें 40-45 की औसत से 1618 रन बनाए और 65 विकेट लिए। 1933 में सीके नायडू को विजडन द्वारा ‘क्रिकेटर ऑफ दि ईयर’ चुना गया था। सीके नायडू के नाम किसी एक सीजन में इंग्लैंड में सर्वाधिक छक्के किसी विदेशी खिलाड़ी द्वारा लगाने का रिकार्ड भी है। 1932 में सीके नायडू ने कमाल का खेल दिखाते हुए 32 छक्के लगाए थे। सीके नायडू का अंतरराष्ट्रीय करियर बहुत छोटा रहा। उन्होंने मात्र 7 टेस्ट मैच खेले, लेकिन भारतीय क्रिकेट जगत में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 1956 में ‘पद्मभूषण’ प्रदान किया गया था, जो भारत का तीसरा बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार है। सीके नायडू की मृत्यु, 14 नवंबर 1967 को इंदौर में हुई ।


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