29937 करोड़ से दूर करेंगे कंगाली

नई दिल्ली – सरकार ने घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों एमटीएनएल और बीएसएनएल के पुनरुत्थान पैकेज के तहत बुधवार को दोनों कंपनियों के विलय का फैसला किया। वित्तीय तंगी से गुजर रही सार्वजनिक क्षेत्र की इन दोनों कंपनियों के लिए पुनरुत्थान योजना के तहत सरकारी बांड जारी किए जाएंगे, संपत्तियों का मौद्रीकरण होगा और कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की पेशकश की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक लिए गए फैसलों के बारे में दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने संवाददाताओं को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार दोनों सार्वजनिक कंपनियों को पटरी पर लाने के लिए 29937 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। योजना के तहत 15000 करोड़ रुपए के सरकारी बांड जारी किए जाएंगे और अगले चार साल में 38000 करोड़ रुपए की संपत्ति की बिक्री या उसे पट्टे पर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लागत में कटौती के लिए कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना लाई जाएगी। श्री प्रसाद ने कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल का विलय किया जाएगा। दोनों कंपनियों का विलय होने तक, एमटीएनएल प्रमुख दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल की अनुषंगी के रूप में काम करेगी।

वीआरएस की घोषणा

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम लुभावना वीआरएस पैकेज लेकर आ रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने भी इसकी सराहना की है। अगर किसी कर्मचारी की उम्र 53 साल है, तो 60 साल तक उसे 125 पर्सेंट वेतन मिलेगा। वीआरएस का मतलब है स्वेच्छा से नाकि बलपूर्वक। अन्य टेलिकॉम कंपनियां का खर्चा मानव संसाधन पर केवल पांच पर्सेंट है, लेकिन इन दोनों कंपनियों का 70 पर्सेंट है।