अगले चार महीने के लिए घास-चारा काटने में जुटे गिरिपार के लोग

नौहराधार – अगले चार महीने के लिए घास एकत्रित करने के लिए गिरिपार क्षेत्र के लोग भारी पसीना बहा रहे हैं। लोग सुबह छह बजे से पहले ही घास काटने के लिए निकल रहे हैं। दिन में लगभग 12 घंटे तक काम करने के बाद रात को अंधेरा होने के बाद अपने घर पहुंच रहे हैं। लोग अपने कार्य में इतने व्यस्त हो रहे हैं कि दिन का खाना भी घासन में ही खाना पड़ रहा है। पूरे साल में अक्तूबर व नवंबर के दो महीने गिरिपार क्षेत्र के लोगों के लिए व्यस्तता से भरे हुए होते हैं। इन दो महीनों के भीतर लोगों को जहां मक्की, मंड्या, चोलाई व मटर आदि फसलों को समेटना पड़ता है, वहीं चार महीनों के लिए पशुओं के लिए चारा भी एकत्रित करना पड़ता है। इस बीच दिवाली का पर्व भी आता है, जिसके कारण लगभग एक सप्ताह दिवाली की तैयारियों में लग जाते हैं। दिवाली के बाद लोग फिर एक बार घास काटने में जुट जाते हैं। गिरिपार में दिसंबर महीने से बर्फबारी शुरू हो जाती है। मार्च तक बर्फबारी का सिलसिला जारी रहता है, जिसके कारण ऊंचाई वाला क्षेत्र करीब चार महीने तक बर्फ से अटा रहता है। बर्फबारी के दौरान नौहराधार, हरिपुरधार, गताधार समेत कई क्षेत्रों का संपर्क कई दिनों तक शेष हिमाचल से कट जाता है। कई इलाकों में 15 से 20 दिनों तक विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो जाती है। नवंबर माह के अंतिम सप्ताह तक पूरे क्षेत्र में घास काटने का कार्य पूरा हो जाता है। क्षेत्र में जब बर्फबारी शुरू होती तो लोग अपने पशुओं को घर में ही चारा व पानी उपलब्ध करवाते हैं। लोग पशुओं के लिए जहां एक माह पहले ही चारे का भंडारण करते हैं, वहीं दिसंबर में राशन का भी भंडारण करते हैं। बर्फबारी के दौरान क्षेत्र की कई सड़कें बंद होती हैं इसलिए लोग मार्च तक के राशन के कोटे का दिसंबर से पहले ही अपने घरों में भंडारण करते हैं। गिरिपार क्षेत्र के हरिपुरधार, नौहराधार, गताधार व नैनीधार आदि क्षेत्र के सैकड़ों गांव तीन से चार महीने तक बर्फ से अटे रहते हैं। हैरानी की बात यह है कि गिरिपार क्षेत्र का कोई भी इलाका सरकार ने स्नोबोंड एरिया घोषित नहीं किया है। नतीजतन क्षेत्र के लोगों को सरकार की ओर से बर्फबारी के दौरान कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही है। मजे की बात यह है कि बर्फबारी के दौरान क्षेत्र की लगभग 125 किमी सड़कें बंद रहती हैं।