अगले महीने बदल जाएगी नगर निगम की सरदारी

By: Nov 12th, 2019 12:20 am

 महापौर की कुर्सी को भाजपा पार्षदों में छिड़ी सियासी जंग दिसंबर महीने में पूरा होने जा रहा है कुसुम सदरेट का कार्यकाल

शिमला –अगले महीने नगर निगम शिमला की सरदारी बदल जाएगी। नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट का कार्यकाल अढ़ाई साल के लिए है, जो दिसंबर महीने में पूरा होने जा रहा है। नगर निगम एक्ट के मुताबिक पांच साल के कार्यकाल में महापौर दो बार बनेंगे। यानी अढ़ाई-अढाई साल के लिए। पहले अढ़ाई वर्ष के लिए एससी महिला के लिए आरक्षित है। हालांकि अगले अढ़ाई साल के लिए एसटी के लिए आरक्षित है, लेकिन शिमला में एसटी वर्ग के लोगों की संख्या पांच प्रतिशत से भी कम हैं। इसे देखते हुए एसटी वर्ग के लिए नहीं, बल्कि सामान्य वर्ग के लिए होगा, जिसमें महिला या पुरूष कोई भी महापौर बन सकता है। निगम शिमला में अंतिम अढ़ाई साल के कार्यकाल की सरदारी के लिए भाजपा पार्षदों में सियासी जंग शुरू हो चुकी है। हालंाकि सरकार और संगठन के बीच विचार-विमर्श के बाद ही महापौर की कुर्सी का फैसला होना है, लेकिन हॉट सीट के चाह्वान अभी से ही दिल्ली से लेकर सरकार के मुखिया तक तार बिछाने में जुट गए हैं। कारण यह है कि वर्तमान महापौर कुसुम सदरेट का कार्यकाल इस साल दिसंबर महीने में पूरा होने जा रहा है। महापौर कुसुम सदरेट का कार्यकाल अढ़ाई वर्ष के लिए है और उन्होंने अब तक दो साल पांच महीने का सफर पूरा कर लिया है। यानी कुल मिलाकर अब कुसुम सदरेट मेयर की कुर्सी पर अगले महीने तक ही बैठ पाएंगी। नगर निगम शिमला में 34 वार्ड में, जिसमें से भाजपा के पास 23, कांग्रेस 10 और एक सीट माकपा समर्थक हैं। ऐसे में अब अगले अढ़ाई साल के लिए भाजपा के किसी पार्षद को महापौर की कुर्सी मिलेगी। नगर निगम में उप महापौर राकेश शर्मा और शैलेंद्र चौहान महापौर की कुर्सी के लिए पहली लाइन में हैं। ऐसे में इन दोनों पार्षदों की निगाहें अब महापौर की कुर्सी पर दौड़ रही हैं।

स्मार्ट सिटी के टै्रक पर एमसी का कैटवॉक

स्मार्ट सिटी शिमला के ट्रैक पर नगर निगम का कैटवॉक पिछले दो साल से जारी है। हालांकि एनजीटी के आदेशों से पहले ही शिमला को स्मार्ट सिटी का तोहफा मोदी सरकार ने दिया था, लेकिन नगर निगम और शहरी विकास विभाग ने कंसल्टेंट का चयन ही नहीं किया। अब एनजीटी में मामला फंसा है तो नगर निगम के पास भी बोलने को कुछ नहीं हैं। शिमला स्मार्ट सिटी के तहत 53 प्रोजेक्ट्स पर काम होना है, लेकिन एनजीटी के आदेशों के चलते मात्र छह पर ही काम हो सकते हैं। यानी 47 प्रोजेक्ट्स पर काम सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के बाद ही हो सकते हैं।  


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