अब सस्ता लोन दिलाएगा अच्छा क्रेडिट स्कोर

By: Nov 11th, 2019 2:54 pm

लोन की ब्याज दर रीपो रेट से जुड़ने के कारण और बढ़ गया है क्रेडिट स्कोर का महत्व, जानें कैसेक्रेडिट स्कोर से एक व्यक्ति की वित्तीय सेहत का पता चलता है। कर्ज देने वाले बैंक या नॉन-बैंकिंग कंपनियां क्रेडिट स्कोर से ही पता लगाती हैं कि किसी व्यक्ति को कर्ज दिया जा सकता है या नहीं। 750 या उससे अधिक नंबर वाला क्रेडिट स्कोर एक अच्छे फाइनैंशल हेल्थ की तरफ इशारा करता है जबकि कम स्कोर से खराब फाइनैंशल हेल्थ का संकेत मिलता है। इसलिए एक अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति को आम तौर पर आसानी से लोन मिल जाता है। यानी, हमारे पर्सनल फाइनैंस के मामले में क्रेडिट स्कोर का बहुत महत्व है।

रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में बैंक लोन को जरूरी तौर पर रीपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से लिंक करने का आदेश दिया है जिससे क्रेडिट स्कोर का महत्व बढ़ गया है क्योंकि अब लोन इंट्रेस्ट रेट को लोन के लिए अप्लाइ करने वाले के क्रेडिट स्कोर के अनुसार कैलिब्रेट किया जा रहा है। ऐसे में भविष्य में अपनी लोन से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्रेडिट स्कोर के सभी पहलुओं को समझना बेहद जरूरी है।

सारे लोन क्रेडिट स्कोर से जुड़े होते हैं
इससे पहले सभी बैंक और अन्य लोन कंपनियां, लोन के लिए अप्लाइ करने वाले के क्रेडिट प्रोफाइल का मूल्यांकन करने के बाद लोन देती थीं। इससे उन उधारकर्ताओं को भी लोन मिल जाता था जिन्होंने अतीत में अन्य लोन कंपनियों का लोन चुकाने में डिफॉल्ट किया था। बाद में लगातार कई सुधार कार्यों के कारण सभी अलग-अलग लोन के बारे में क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट करने के लिए क्रेडिट स्कोर वाला सिस्टम शुरू हो गया। इससे लोन डिफॉल्टरों को किसी दूसरे लोन के लिए अप्लाइ करना या उन्हें कोई दूसरा लोन मिलना कठिन हो गया।

हालांकि, लोन इंट्रेस्ट रेट उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर के साथ जुड़ा नहीं था, इसलिए बहुत अच्छे स्कोर वाले लोगों के साथ कम क्रेडिट स्कोर वाले उधारकर्ताओं के समान ही बर्ताव किया जा रहा था। हाल ही में आरबीआई ने सभी कमर्शल बैंकों को अपने रिटेल लोन को रीपो रेट जैसे किसी क्वॉलिफाइड बाहरी बेंचमार्क रेट के साथ लिंक करने का आदेश दिया है। इस नियम से पहले बैंक अपनी आतंरिक नीतियों के अनुसार लोन का इंट्रेस्ट रेट घटाते या बढ़ाते थे।


क्रेडिट स्कोर पर तय होगी ब्याज दर
आरबीआई ने इस नए सिस्टम के तहत लोन कंपनियों को बाहरी बेंचमार्क के अलावा क्रेडिट रिस्क प्रीमियम चार्ज करने का ऑप्शन दिया है जिससे उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर, इंट्रेस्ट रेट का निर्धारण करने में मदद करने वाला एक निर्णयकारी कारक बन गया है। इसलिए, क्रेडिट स्कोर कम रहने पर बैंकों द्वारा अधिक रिस्क प्रीमियम और क्रेडिट स्कोर अधिक रहने पर कम रिस्क प्रीमियम लिया जा सकता है। अधिकांश बैंकों ने अब अपने रिटेल लोन जैसे पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन आदि को रीपो रेट के साथ लिंक कर दिया है। इसलिए, यदि आप लोन के लिए अप्लाइ करने की सोच रहे हैं तो याद रखें कि आपके क्रेडिट स्कोर के आधार पर बैंकों द्वारा चार्ज किए जाने वाले क्रेडिट रिस्क प्रीमियम के आधार पर इंट्रेस्ट रेट अलग-अलग हो सकता है।


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