आखिर क्यों चुप रहता है समाज

By: Nov 21st, 2019 12:20 am

बिलासपुर – भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा संस्कृति भवन के बैठक कक्ष में नशा निवारण पर कवि संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम इंद्र सिंह चंदेल द्वारा संगोष्ठी में आए सभी साहित्यकारों का धन्यवाद किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरैणू राम हितैषी ने की तथा मंच का संचालन साहित्यकार एवं पत्रकार श्री अरुण डोगरा रितू द्वारा किया गया। इस संगोष्ठी में नशे से होने वाले दुष्प्रभावों पर साहित्यकारों द्वारा अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। सर्वप्रथम साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती की ज्योति प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के आरंभ में सभी साहित्यकारों द्वारा हाल ही में रामलाल पुंडीर जी के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन ररखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके उपरांत सन्देश शर्मा द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। जीतराम सुमन ने  नसेयां मुक्कवाणे गबरू म्हारे शीर्षक से रचना प्रस्तुत की पक्तियां थी-घरां रे दिऊवे नशा बुवांदा, आंण द्वारा री खुशियां मुक्वांदा…, बुद्धि सिंह चन्देल ने छड़ी देवा लोको इस नशे वाले टबडे…., कविता सिसोदिया ने तन मन हो जब धीरे-धीरे आने लगी झपकी.., गोबिंद घोष ने निदा फाज़ली की गज़ल सुनाई , पंक्तियां थीं सफर में धूप तो होगी, सुरेंद्र मिन्हास ने दपैरां तकर धुई, कम्म रोकदी मुंई, हत्थ रख काहला, आई ग्या स्याला, अमरनाथ धीमान ने पहाड़ी रचना बंदले रीए धारे मुई, तूने मांह इक गल गलाणी, हरी-हरी चिल्लां होर खजूरी ने भरूरी तेरिया गोद्धा ते बगदा पाणी…, रविंद्र चंदेल ने  वीरों की इस पावन धरा पर, हर पग आगे बढ़ता हूं, नरैणू राम हितैषी ने बैहरे बन बैठे हैं हुक्कमरान, प्रदीप गुप्ता ने खुदा ने जो दिया लाजवाब दिया, चलो शुक्रिया उसका बार-बार करते हैं, रविंद्र शर्मा ने सुन ओ मेरी सरकार, हऊं आ इक बेरोजगार, मिन्जो नौकरी देईदे, हऊं आं बड़ा भारी लाचार…, डा. अनेक राम सांख्यान ने आई गई ठंडी-ठंडी रूत सयाले री, सोनू देवी ने बचपन है ऐसा खजाना, आता है ना दोबारा मुश्किल है इसको भूल पाना…, संदेश शर्मा की रचना की पंक्तियां थीं कुछ फैसलों से फासले बढ़ते गए ऐसे, महफिल में साथ-साथ थे पर मिल नहीं पाए, शिवपाल गर्ग ने जाणे क्या ग्लाया, शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, लश्करी राम ने म्हाचला रे माणुआं री बखरी नुवार ऐ, ठंडा-ठंडा पानी कन्नें बड़ा करे प्यार व पूनम शर्मा ने आखिर क्यूं चुप रहता है समाज। इस अवसर पर विभागीय कर्मचारी इन्द्र सिंह चन्देल, रविन्द्र कुमार दुर्वासा, अमर सिंह भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे। अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष नरैणू राम हितैषी ने सभी कवियों एवं साहित्यकारों द्वारा नशे के ऊपर संगोष्ठी में प्रस्तुत करने के लिए आभार व्यक्त किया।


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