आस्था की आड़ में आतंक

By: Nov 8th, 2019 12:05 am

करतारपुर कारिडोर का उद्घाटन 9 नवंबर को होने वाला है, तो गुरु नानक देव के प्रत्यक्ष दर्शन करने की चाह रखने वाले श्रद्धालुओं का सपना साकार होगा। सिखों के लिए गुरु नानक देव ‘प्रथम आराध्य’ हैं। उनका 550वां प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा है, लिहाजा भारतीय सिखों का पहला जत्था भी उसी दिन डेरा बाबा नानक से रवाना होगा। प्रधानमंत्री मोदी उस पल के साक्ष्य होंगे और जत्थे को रवाना करेंगे। करतारपुर कारिडोर के उद्घाटन के मौके पर पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान ने औपचारिक गीत और वीडियो भी जारी किए हैं। उस वीडियो में कथित खालिस्तान का सपना संजोने वाले खाड़कू जरनैल सिंह भिंडरावाले समेत तीन खालिस्तानी समर्थकों के फोटो भी दिखाए गए हैं। यहीं पाकिस्तान की नापाक मंशा साफ  होने लगती है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्हें इस मंशा पर आशंका है और वह आईएसआई की साजिश भी मान रहे हैं। सिखों के धार्मिक जत्थे में पंजाब मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सैकड़ों श्रद्धालु करतारपुर जाएंगे। उनमें पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, मौजूदा केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर और हरदीप पुरी भी शामिल होंगे। पाकिस्तान के इन मंसूबों के मद्देनजर सवाल किया जा सकता है कि क्या आस्था और श्रद्धा की आड़ में पाकिस्तान आतंक का खेल रचने जा रहा है? क्या पाकिस्तान के मुंह में करतारपुर और बगल में दहशतगर्दी छिपी है? क्या ऐसे आध्यात्मिक पर्व पर भी पाकिस्तान अपनी साजिशों से बाज नहीं आ सकता? मौजूदा सवाल तो यह है कि क्या पाकिस्तान हमारे पंजाब में खालिस्तान की वापसी का समर्थक है और उस आतंकवाद को भड़काना चाहता है? खबर यहां तक आई है कि पंजाब में डेरा बाबा नानक के पास में ही कई आतंकियों ने घुसपैठ की है। पाकिस्तान की हरकतों पर खुफिया एजेंसियों की निगाहें हैं। उनकी रपट है कि करतारपुर के आसपास आतंकी कैंप स्थापित किए गए हैं। उन्हें आतंक के सरगना हाफिज सईद का संगठन टे्रनिंग दे रहा है। रपट यह भी है कि आतंकी इस तीर्थ यात्रा के दौरान भी गड़बड़ी कर सकते हैं। पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद ने भी ऐसा बयान दिया है कि खालिस्तान वाले भी आएं, पाकिस्तान उनका स्वागत करेगा। विडंबना है कि पाकिस्तान आस्था और आतंक को भी अलग करके नहीं देखता है, यही उसका बुनियादी चरित्र है, लेकिन करतारपुर कारिडोर का आध्यात्मिक महत्त्व सिखों के लिए बहुत है। गुरु नानक देव 1522 में करतारपुर में पहुंचे और अपने जीवन के आखिरी 17 साल यहीं गुजारे। कारिडोर बनाने का सुझाव 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर बस-यात्रा के दौरान इस आशय का प्रस्ताव रखा था। प्रधानमंत्री रहते हुए डा. मनमोहन सिंह ने भी प्रस्ताव को आगे किया, लेकिन करतारपुर कारिडोर अब बनकर सामने आया है। अभी तक सिख श्रद्धालु दूरबीन से गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन कर पाते थे। दोनों देशों की सरकारों का आभार है कि किसी श्रद्धालु की आस्था अधूरी नहीं रहेगी। सवाल है कि ऐसे धार्मिक और श्रद्धा के समारोह पर आतंकवाद की छाया की जरूरत क्या है? पाकिस्तान पहले से ही खालिस्तान के आतंकवाद को प्रश्रय और पनाह देता रहा है। गोपाल चावला इसका ज्वलंत उदाहरण है, जो पाकिस्तान की हुकूमत और फौज का बगलगीर है। आशंका तो यहां तक जताई जा रही है कि पाकिस्तान कारिडोर के जरिए आतंकियों को श्रद्धालुओं के मुखौटे में भारत भेजने का रास्ता तैयार कर सकता है। विडंबना तो यह भी है कि भारत में ही एक और पाकिस्तान बसता है। वे पाकिस्तान के पक्षधर हैं और उसी की जुबान बोलते हैं। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी इसी जमात में आते हैं। उनके चुनाव क्षेत्र अमृतसर में ऐसे होर्डिंग लगाए गए, जिनमें कारिडोर का हीरो सिद्धू को बताया  गया है और पोस्टरों में इमरान खान का फोटो भी लगा है। हालांकि प्रशासन ने वे होर्डिंग हटवा दिए हैं, लेकिन इसकी व्यंजना क्या है? ठीक किया कि विदेश मंत्रालय ने सिद्धू को साफ  कह दिया कि जत्थे के साथ जाना है, तो संभव है। बिना जत्थे के पाकिस्तान नहीं जा सकते। यहां क्रिकेट की यारी नहीं चलेगी। यह राजनयिक रिश्तों का मामला है। बहरहाल जत्था करतारपुर जा रहा है। उसे आस्था की भरपूर शुभकामनाएं…!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App