एचजीटीयू के नाम का दुरुपयोग न हो
राजकीय अध्यापक संघ ने प्रदेश सरकार से लगाई गुहार
शिमला – हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के नाम को दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। यह संगठन कई सालों से कार्य कर रहा है, वहीं शिक्षा विभाग में भी रजिस्टर है। ऐसे में शिक्षकों के हित के लिए गठित किए इस संगठन का दुरुपयोग न हो, इसके लिए सरकार व शिक्षा विभाग दूसरे गुट से जवाब तलब करे। यह बात शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान एचजीटीयू के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कही। एचजीटीयू के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि एचजीटीयू का दूसरा गुट बनाने वाले सात शिक्षकों को संघ से निष्कासित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने भी दूसरे जिले में संघ के चुनाव करवाने पर निष्कासित हुए शिक्षकों से जवाब तलब किया है। वहीं, चुनाव में कितना पैसा खर्च किया गया, इसकी भी जानकारी मांगी गई है। संघ के चिन्ह का दुरुपयोग न हो, इसको लेकर भी मांग उठाई गई है। राजकीय अध्यापक संघ की ओर से न्यायालय में बर्खास्त किए गए सदस्यों के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया है। वीरेंद्र चौहान ने कहा कि न्यायालय से भी निष्कासित सदस्यों को संघ के सदस्य शुल्क को खर्च करने पर 30 नवंबर तक कारण बताओ नोटिस व सदस्य शुल्य के खर्च करने पर रोक संबधी अंतरिम आदेश जारी किए हैं।
अनुबंध शिक्षकों को नियमित किया जाए
एचजीटीयू अध्यक्ष ने कहा कि 1-10-2019 को तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके अनुबंध अध्यापकों को नियमित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही मुख्यमंत्री को विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन भी सौंपेगे। इसमें प्रारंभिक शिक्षा प्रणाली के आदेश लागू करवाने, प्राथमिक स्कूलों में प्रति कक्षा एक अध्यापक का प्रावधान करने, नर्सरी के लिए प्रशिक्षित अध्यापकों, पुरानी पेंशन बहाली, संशोधित ग्रेड-पे को सभी वर्गों के लिए लागू करना आदि मांगों को रखा जाएगा।
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