ऐसे नहीं मिलेगा सड़क को फिटनेस सर्टिफिकेट

रोड सेफ्टी पर सरकार सख्त, कड़ी होंगी शर्तें और तय होगी अफसरों की जिम्मेदारी

शिमला –प्रदेश में खराब सड़कों की वजह से होने वाले हादसों को रोकने के लिए सरकार चिंतित है। लिहाजा उसने किसी भी सड़क को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से पूर्व शर्तों को कड़ा करने की सोची है। फिटनेस सर्टिफिकेट देने वाले अफसरों की जिम्मेदारी तय होगी और एक तय परफोर्मा उन्हें भरना होगा। इसमें कई तरह की शर्तें तय है। बता दें कि कई सड़कों को राजनीतिक दबाव के चलते मंजूरी दे दी जाती थी, ऐसा पूर्व में हो भी चुका है। राजनीतिक दबाव के चलते सड़कों की मंजूरी में वाहन चलाने की इजाजत भी मिलती रही है, जो बाद में घातक साबित हुई। ऐसे में सरकार ने लोक निर्माण विभाग को साफ निर्देश दिए हैं कि फिटनेस सर्टिफिकेट देने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। बताया जाता है कि फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए जो परफोर्मा बनाया गया है, उसके तहत जेई से लेकर एक्सईएन स्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी इसमें तय है। सड़क कितने किलोमीटर लंबी है, इसकी चौड़ाई क्या है, पानी के ड्रेनेज की प्रॉपर व्यवस्था है या नहीं, सड़क में लैंड स्लाइडिंग होने का खतरा तो नहीं है, सड़क में जो पुलिया लगी है, वह किस तरह की है, पानी की निकासी के लिए नालियां बनी हैं या फिर प्रॉपर नहीं हैं, इन सभी बातों को विशेष रूप से उल्लेखित किया जाएगा। विभागीय कमेटी स्पॉट विजिट कर इन सारी बातों की वेरिफिकेशन करेगी। उसके बाद ही रोड फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाएगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बंजार व झंझीड़ी बस हादसे के बाद सभी सड़कों को रोड सेफ्टी ऑडिट के बाद ही पास करने के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर विभागीय स्तर पर यह प्रक्रिया चल रही है।

पासिंग के बाद ही गाडि़यां चलाने की इजाजत

सरकार ने निर्णय लिया है कि अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। सड़क के पूरी तरह सुरक्षित होने पर ही उसे मंजूरी मिलेगी और पासिंग के बाद ही यहां वाहनों को चलाए जाने की इजाजत मिलेगी। लोक निर्माण विभाग ने इस मामले को लेकर समीक्षा की है और फील्ड में सभी को नए परफॉर्मा के आधार पर ही मंजूरियां देने का मामला आगे भेजने को कहा गया है।