औषधीय पौधों की खेती करने को ‘न’

हमीरपुर –जिला में औषधीय पौधों की खेती करने का प्लान सिरे चढ़ने से पहले ही बीच मझधार लटक गया है। कारण साफ है कि हमीरपुर के लोगों ने आयुर्वेदा विभाग का साथ नहीं दिया। यहां लोग औषधीय पौधों की खेती नहीं करना चाहते। हमीरपुर को छोड़ ऊना व कांगड़ा में औषधीय पौधों की खेती शुरू हो गई है। यहां पर औषधीय पौधे क्लस्टर स्तर पर तैयार हो रहे हैं। कुल मिलाकर आयुर्वेदा विभाग को हमीरपुर में तगड़ा झटका लगा है। क्लस्टर  बनाने की कवायद कभी सरकार के निर्णय तो कभी लोगों की रुचि पर आकर फंस जाती है। वर्तमान में भी हमीरपुर में औषधीय पौधों की खेती करने पर विचार ही चल रहा है। बता दें कि लोगों के स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुए आयुर्वेद की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। इसी कड़ी में औषधीय पौधों की खेती करने के लिए योजना तैयार की गई। दस किलोमीटर के एरिया में दो हेक्टेयर जमीन कर क्लस्टर  बनाकर औषधीय पौधों की खेती की जानी थी। क्लस्टर  कई किसानों की जमीन को मिलकर बनाया जाना था। हमीरपुर में भी यह कवायद शुरू हो गई। जिला के लोगों ने इस कार्य के लिए हामी भर दी, लेकिन बाद में शुरू हुई प्रक्रिया में कई जमीनी पेंच फंस गए। जमीन किसी और की तथा अप्लाई किसी और ने कर दिया। जांच में भी इस बात का खुलासा हो गया। इसके बाद फिर से मामला लटक गया। वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि औषधीय खेती के लिए हमीरपुर में एक भी क्लस्टर  नहीं बन पाया है। अगर क्लस्टर  बन जाते तो यहां अश्वगंधा, सर्पगंधा, तुलसी, अतीश, गुटकी, वनककड़ी व सुगंधबाला की खेती की जानी थी।