कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी भंग

By: Nov 21st, 2019 12:05 am

सोनिया गांधी ने कुलदीप राठौर को दिया नई टीम बनाने का मौका

शिमला – कांग्रेस पार्टी में आखिर लंबे इंतजार के बाद वही हुआ, जिसके कयास लगाए जा रहे थे। कांग्रेस हाइकमान ने प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। केवल कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को उनके पद पर बरकरार रखा गया है, जिनके अलावा प्रदेश कार्यकारिणी, जिला कार्यकारिणी व ब्लाक कार्यकारिणी को पूरी तरह से भंग कर दिया गया है। इस फैसले से वीरभद्र सिंह के हाथ भी मजबूत होंगे। कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी नई कार्यकारिणी के गठन का अधिकार दिया गया है, जिन पर सोनिया गांधी ने विश्वास जताया है। बता दें कि कुलदीप सिंह राठौर काफी समय से कार्यकारिणी में फेरबदल करने की बात कह रहे थे, लेकिन हाइकमान से उन्हें सहयोग नहीं मिल पा रहा था। इतना ही नहीं, कई नेता उनकी खिलाफत पर भी उतर आए थे और लगातार दिल्ली में उनकी शिकायतेें की जा रही थीं। ब्लाक कांग्रेस अध्यक्षों की नए सिरे से नियुक्ति को लेकर श्री राठौर ने मुहिम चला रखी थी, जिसमें भी कई नेता रोड़ा बने थे। ऐसे में अब कांग्रेस हाइकमान ने पूरी कार्यकारिणी को ही भंग कर दिया है, जिससे यहां श्री राठौर को मजबूती मिली है, जो कयास लगाए जा रहे थे उनके विपरीत अब श्री राठौर को अपनी नई कार्यकारिणी बनाने का मौका मिलेगा और वह नए जोश के साथ काम कर सकेंगे। यहां बता दें कि जिन ब्लाक अध्यक्षों की नए सिरे से नियुक्तियां की गई थीं, वे भी रद्द समझी जाएंगी और अब नए सिरे से ही ब्लाकों, जिलों व प्रदेश कार्यकारिणी में नेताओं को जगह मिलेगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेशों से महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कार्यकारिणी भंग करने के आदेश जारी किए हैं। कुलदीप सिंह राठौर की नियुक्ति राहुल गांधी ने की थी, जिन्हें सोनिया गांधी ने भी पद पर बरकरार रखा है। कुलदीप सिंह राठौर अब अपने हिसाब से अपने सेना को तैयार करेंगे, जो अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा से लड़ेगी। उधर, बताया जा रहा है कि श्री राठौर खुद राजपूत हैं और अब उन्हें अपनी कार्यकारिणी में पूरा संतुलन बनाना होगा। इसमें जहां क्षेत्रीय संतुलन बनाना जरूरी होगा, वहीं जातीय संतुलन के साथ पुराने व नए चेहरों को भी मौका देना होगा। उनकी कार्यकारिणी में कौन-कौन उनके सिपहसालार होंगे, यह जल्दी सामने आ जाएगा।

वीरभद्र सिंह होंगे मजबूत

कुलदीप सिंह राठौर अध्यक्ष बनने के बाद से वीरभद्र सिंह के साथ मिलकर चल रह हैं। उनके इस रवैये से दूसरे नेता परेशान हैं और विरोध कर रहे थे। मगर अब श्री राठौर को हाइकमान द्वारा जिम्मेदारी देने से वीरभद्र सिंह भी मजबूत होंगे, क्योंकि श्री राठौर को उनका समर्थन हासिल है। सूत्र बताते हैं कि इसे लेकर हाइकमान ने फीडबैक भी लिया है।


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