किराया बढ़ाने पर उखड़ी सीटू

शिमला – शिमला पोर्टरज़ यूनियन संबंधित सीटू का प्रतिनिधिमंडल लेबर होस्टलों में भारी किराया वृद्धि के खिलाफ नगर निगम शिमला के आयुक्त से मिला। इस दौरान प्रतिनिधिमंड़ल ने निगम आयुक्त से  किराया बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की। यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि आयुक्त ने आश्वासन दिया कि बढ़ा हुआ किराया अभी नहीं वसूला जाएगा। यूनियन ने नगर निगम शिमला को चेताया है कि अगर किराया वृद्धि वापस न ली तो प्रशासन के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में सीटू राज्याध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, राज्य उपाध्यक्ष जगत राम, जिला सचिव बाबू राम, हेमराज, विरेंद्र, हेम सिंह, मोहम्मद यूसुफ, गुलाम नवी, फैज अहमद यतू, रूप लाल, बसंत राम, राजकुमार व दानिश  शामिल रहे। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन(सीटू) के प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि नगर निगम शिमला के अधीन कार्य कर रहे पांच लेबर होस्टलों में रहने वाले चार सौ से ज़्यादा मजदूरों के लेबर होस्टल अंग्रेजों के जमाने से विद्यमान हैं व उस ज़माने में इन लेबर होस्टलों में गरीब मजदूरों को बिल्कुल मुफ्त में रहने की सुविधा दी जाती थी, ताकि गरीब मजदूरों को रहने में कोई दिक्कत न हो। समय बीतने के साथ इन लेबर होस्टलों में रहने वाले मजदूरों से किराया लेना शुरू कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह किराया 283 रुपए वार्षिक था। मगर इस वर्ष इस किराए में एकदम से अप्रत्याशित वृद्धि करके इसे 7080 रुपए कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हालांकि होना यह चाहिए था कि मजदूरों के लिए और ज़्यादा लेबर होस्टल बनते व इसमें रहने की मुफ्त सुविधा दी जाती। मगर इसके बजाय विद्यमान लेबर होस्टलों में रहने वाले मजदूरों पर किराए का भारी बोझ लादकर उन्हें लेबर होस्टलों से बाहर खदेड़ने की कोशिश की जा रही है। यह अमान्य, नाजायज व गैर वाजिब है। यह वृद्धि 25 गुणा है व यह दो हजार पांच सौ प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके साथ ही लगातार भारी किराया वृद्धि के मसले पर लगातार नोटिसों के माध्यम से मजदूरों को लेबर होस्टलों से बाहर करने की धमकियां दी जा रही हैं। उनसे बदसलूकी व धक्कामुक्की करके भारी किराया वृद्धि को लादने की कोशिश की जा रही है। नगर निगम की कार्रवाई से मजदूर बेहद परेशान हैं। उन्होंने चेतावनी दी  है कि अगर नगर निगम शिमला ने लेबर होस्टलों से गरीब मजदूरों को निकालने व बढ़े हुए भारी किराए को जबरन लेने की कोशिश की तो मजदूर सड़कों पर उतरकर इसका कड़ा विरोध करेंगे।