किसान सम्मान के 2-2 हजार नहीं मिले तो यह उपाय करें

By: Nov 10th, 2019 12:10 am

मोदी सरकार ने किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम शुरू की है, लेकिन हिमाचल में ऐसे कई किसान हैं,जिन्हें आगे की किस्तें नहीं मिल पा रही हैं। अगर आपको किस्त नहीं मिली है,तो फिक्र न करें। हम आपको बताएंगे कि करना क्या है। सबसे पहले तो इस स्कीम का लाभ लेने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन कराते समय किसानों को आधार से लिंक बैंक खाते की जानकारी उपलब्ध करानी जरूरी है। बड़ी संख्या में किसान आधार से लिंक्ड बैंक खाता उपलब्ध नहीं करा पाए हैं, इस कारण उनको पीएम किसान सम्मान निधि की राशि नहीं मिल पाई है। किसानों की समस्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने बैंक खाते से आधार नंबर लिंक कराने की समय-सीमा बढ़ा दी है। अब किसान 30 नवंबर, पर अपने बैंक खाते से आधार नंबर लिंक करा सकते हैं। यानी किसानों के पास पीएम किसान सम्मान निधि की 6 हजार रुपए की राशि लेने के लिए करीब एक माह में अपने बैंक खाते को आधार नंबर से लिंक कराना होगा।

ऐसे करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन

यदि आपने अभी तक इस योजना के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो आप खुद भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके लिए आपको 222.श्चद्वद्मद्बह्यड्डठ्ठ.द्दश1.द्बठ्ठ पोर्टल पर जाना होगा। यहां दाईं ओर फारमर्स कॉर्न दिखाई देगा। यहां क्लिक करते ही एक नई विंडो खुलेगी। यहां पर आपको आधार नंबर और एक टेक्स्ट दर्ज करके क्लिक टू कंटीन्यू पर क्लिक करना होगा। यहां पर आपकी जानकारी आधार जानकारी वेरिफाई नहीं होती है तो एक नया फॉर्म खुलेगा। इस फॉर्म में आपको सारी जानकारी देनी होगी। इसके साथ आपको अपनी खेती की जमीन का ब्योरा भी देना होगा। इस प्रकार आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।

इन लोगों को नहीं मिलेगा योजना का लाभ

पीएम किसान योजना के तहत एमपी, एमएलए, मंत्री और मेयर लाभार्थी नहीं माने जाएंगे चाहे वे किसानी भी करते हों। इसके अलावा केंद्र या राज्य सरकार में अधिकारी एवं 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को भी इसका लाभ नहीं मिलेगा। पेशेवर, डाक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट भी इस योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे। पिछले वित्त वर्ष में टैक्स का भुगतान करने वाले भी योजना के लिए पात्र नहीं है।

खुद करें अपना पंजीकरण

प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत किसानों को एक वर्ष में 6000 रुपए की राशि दी जाएगी। इस राशि को 2000-2000 रुपए की तीन किस्तों देने की व्यवस्था है। बीते  20 अक्तूबर, तक 3.4 करोड़ किसानों को मिली अब तक तीसरी किस्त। खुद भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके लिए आपको 222.पोर्टल पर जाना होगा।

रिपोर्टः नरेंद्र शर्मा,करसोग

इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में शिरकत करेगा आईएचबीटी

सीएसआईआर आईएचबीटी पालमपुर के निदेशक डा. संजय कुमार ने बताया कि इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2019 के पांचवे संस्करण का आयोजन 5 से 8 नवंबर तक कोलकाता में किया जा रहा है। इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल एक अनूठा प्लैटफार्म है, जो कि भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने विज्ञान भारती के साथ मिलकर बनाया है। इस फेस्टिवल का मुख्य उद्देशय छात्रों, शोधार्थियों, इन्नोवेटर्स, आर्टिस्ट्स और आम जनता को एक मंच पर लाना तथा भारत द्वारा विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हासिल की गयी उप्लब्धियों को सेलिब्रेट करना इस बार का विषय रिसर्च, इन्नोवेशन और साइंस एम्पावरिंग द नेशन इंडिया है। विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर में भी फेस्टीवल बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके माध्यम से विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के छात्र व शिक्षक संस्थान में हो रहे कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

 रिपोर्ट: जयदीप रिहान, पालमपुर

जानिए रूट स्टॉक के बारे में

एमएम 111

यह रूट स्टॉक भीनॉर्दर्न स्पाई सेब के मेल से तैयार किया गया है। यह बिगोरस वर्ग का रूट स्टॉक है। इस पर कलम किए सेब के पौधे जंगली सेब पालू के तीन चौथाई ऊंचे हो जाते हैं। इन पेड़ों में फल आने में 5-7 साल का समय लग जाता हे। इस रूट स्टाक की जड़ें सूखे को बर्दाश्त कर लेती हैं चिकनी तथा रेतीली मिट्टी वाली भूमि में भी ठीक काम करती है। एमएम 111 पर तैयार किए गए पेड़ों को स्टेकिंग की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। एमएम 111 रूट स्टॉक में कई बार कॉलर रॉट रोग की संभावना रहती है क्योंकि इस रूट स्टॉक में इस रोग की बहुत प्रतिरोधक क्षमता नहीं है। इसलिए  बागीचों में सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।  एमएम 111 पर ग्राफ्ट किए पेड़ ऊपर की ओर सीधे बढ़ते हैं और आकर में ऊंचे ही जाते हैं।

भांदल पंचायत में मुगलों के जमाने की मक्की, मोदी सरकार ने दिया इनाम

आज के दौर में जहां हिमाचल के ज्यादातर किसान हाई ब्रिड बीजों की तरफ दौड़ रहे हैं, वहीं कुछ होनहार पंचायतें ऐसी भी हैं,जिन्होंने पुराने बीजों को सहेजा है। इन्हीं पंचायतों में से एक है चंबा जिला की भांदल पंचायत। स्यूल दरिया किनारे बसी इस पंचायत में मुगलों के जमाने के मक्की के बीज हैं। यही वजह रही कि हाल ही में इस पंचायत को मोदी सरकार ने नेशनल अवार्ड से नवाजा है। हाल ही में पंचायत को यह पुरस्कार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रदान किया। इसके लिए देश के 14 राज्यों में कड़ा कंपीटीशन हुआ। आखिर में पादप जीनोम के संरक्षण में भांदल ने देश भर में बाजी मार ली। यह अवार्ड उस समुदाय या समूह को दिया जाता है,जिन्होंने लीक से हटकर पारंपरिक खेती को सहेजा हो। भांदल चंबा जिला के तहत डलहौजी विधानसभा हलके में आती है। जम्मू कश्मीर सीमा के पास स्यूल दरिया किनारे बसी यह पंचायत बेहद खूबसूरत है। 4200 की आबादी और 8 वार्डों वाली इस पंचायत में 80 फीसदी खेती मक्की की होती है। यहां किसानों के पास मक्की की दुर्लभ किस्में रत्ती,चिटकू और सफेद अब भी मौजूद हैं,जिसके लिए आज पूरे देश को भांदल के किसानों पर नाज है। जबकि मटर, गोभी और फं्रासबीन भी खूब होती है। पंचायत के किसान जैविक खेती करते हैं तथा अंग्रेजी खाद भी नहीं डालते। फिलहाल भांदल पंचायत समूचे हिमाचल की तीन हजार से ज्यादा पंचायतों के लिए रोल माडल बनकर उभरी है।

रिपोर्ट: सुरेश ठाकुर,सलूणी

किसान पेड़ लगाएं बाकी एसी में बैठें

सोशल मीडिया से

इस दौर में हर कोई सोशल मीडिया पर विचार रखता है। हालांकि ज्यादातर सैल्फ प्रोमोशन होती है,लेकिन कुछ हस्तियां हैं जो किसानों के मसले तंज भरे अंदाज में उठाती हैं। अपनी माटी के इस अंक में हम आपको लोगों के कुछ कमेंट बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा है कि पराली का धुआं भी पक्का देशभक्त है।

* किसान ही पेड़ लगाएं, जल बचाएं और बाकि लोग एसी में बैठ मजे से प्लास्टिक पॉलिथीन फैलाएं! फिर एक पौधा लेकर 15 लोग फोटो खिचंवाएं।

* जिस फसल के डंठल को जलाने का धुंआ 2 दिन में दिल्ली पहुंच जाता है। उसी फसल के बर्बाद होने पर खबर तहसील तक पहुंचने में भी महीनों लग जाते हैं।

* मजदूर का वेतन 3000 ढाबे पर समोसा 10/ रुपए मंत्री का वेतन 2 लाख संसद में समोसा 2/ रुपए गजब व्यवस्था है।

तीन पंचायतों पर होगी स्पेशल सब्जी मंडी बड़ी कंपनियां खुद उठाएंगी माल

हिमाचल के 10 लाख किसानों के लिए राहत भरी खबर है। खासकर सब्जी मंडी न जा पाने वालों के लिए किसान भाइयों के भी अच्छे दिन आने वाले हैं। जयराम सरकार प्रदेश भर में 1200 छोटे छोटे कल्स्टर बनाने वाली है। तीन पंचायतों का एक क्लस्टर होगा, जहां हफ्ते में एक बार स्पेशल मंडी सजेगी। खास बात यह कि इस मंडी में छोटे कारोबारियों से लेकर बड़ी कंपनियों के नुमाइंदे मौजूद रहेंगे,जो किसानों का माल उठाएंगे। किसानों के पास च्वाइस होगी, तो कंपीटीशन बढ़ने से उन्हें अपने उत्पादों के अच्छे दाम मिल जाएंगे। हिमाचल सरकार इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम शुरू कर रही है।  वर्तमान समय में हिमाचल में पंचायतों की संख्या 3226 है। बताते हैं कि पंचायतों का  पुनर्गठन होेने के बाद नया भूगोल किसान भाइयों के माफिक होगा। इससे खेती को बढ़ावा मिलेगा। अपनी माटी टीम को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए वह हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस परियोजना के शानदार रिजल्ट मिलेंगे।         – शिमला

गन्ने के साथ सूख जाते हैं किसानों के अरमान

हिमाचल के किसान बहुत मेहनती हैं, लेकिन उनकी किस्मत पंजाब-हरियाणा जैसे किसान भाइयों की तरह नहीं है। ये दर्द भरे शब्द हैं कांगड़ा जिला के मंड एरिया में हजारों कनाल पर गन्ने की खेती करने वाले किसानों के। पंजाब बार्डर पर मंड में करीब पांच हजार किसान गन्ने की खेती कर रहे हैं। किसानों की समस्या यह है कि हिमाचल में एक भी गन्ना मिल नहीं है। उन्हें मजबूरी में अपना गन्ना पंजाब में  इंडियन सुक्रोज  लिमिटेड मुकेरियां मिल में सप्लाई करना पड़ता है। पंजाब में गन्ना बेचने के दो बड़े नुकसान हैं। पहला तो यह कि वहां पहले पंजाब का माल उठाया जाता है। ऐसे में हिमाचली गन्ना सूखकर आधा रह जाता है। दूसरी समस्या रेट की है। हिमाचल का माल पंजाब के मुकाबले कम दाम पर बिकता है। किसानों का कहना है कि इन्वेस्टर मीट करवा रही जयराम सरकार अगर मंड में अपनी शुगर मिल खोल दे,तो पूरे हिमाचल को मंड से चीनी मिल सकती है। साथ ही किसानों की आय भी अपने आप दोगुनी हो जाएगी।

 -रिपोर्ट: गगन ललगोत्रा

भांग एक गुण अनेक

भांग जिसका वानस्पतिक नाम कैनाविस सैटीवा है। कुछ स्थानों में इसकी खेती की जाती है, पर ज्यादातर स्थानों में अब इसकी खेती पर प्रतिबंध लगा हुआ है। भांग का पौधा प्रायः तीन प्रकार का होता है। नर, मादा और उभयलिंगी। भांग के नार पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तैयार की जाती है और मादा पौधा के पौधों से जो गोंद या चिपचिपा पदार्थ निकलता है  जिसे चरस या सुल्फा कहते हैं। जिनका सेवन खतरनाक है और इससे बचना चाहिए पर यदि हम इस पौधे का दूसरा पहलू देखें तो यह पौधा अत्यधिक गुणों से भरपूर है। इस पौधे का हर एक  भाग अत्यंत ही गुणकारी और लाभदायक है।

औषधिय गुण: कैंसर और कीमोथेरेपी में कारगार कई रोगों में यह स्पष्ट हो चुका है कि भांग के सही इस्तेमाल से कीमोथेरेपी के साइड इफेक्टस जैसे कि नाक बहना, उल्टी और भूखन  लगना दूर हो जाते हैं। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और दर्द निवारक का काम करता है। ग्लूकोमा , कान दर्द और चक्कर आने से बचाव करता है।

अन्य उपयोग: इसके पौधे की छाल से फाइबर प्राप्त किया जाता है जिसकी रस्सियां बनाई जाती हैं। डंठल का इस्तेमाल मशाल के तौर पर किया जाता है। इसके फाइवर से पैरों के लिए चप्पल, पुलें बनाई जाती हैं। इसके बीज को भूनकर चटनी बनाई जाती है जो कि बहुत ही स्वादिष्ट होती है। पहाड़ों की लोक कला में भांग से बनाया गया प्रोडक्ट बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन भांग की खेती पर प्रतिबंध के कारण ये लोक कला समाप्त होने की कगार में है।

मंजु लता सिसोदिया

सहायक प्राध्यापक वनस्पति विज्ञान, एमएलएसएम कालेज सुंदरनगर एवं भूतपूर्व सहायक प्राध्यापक वनस्पाति विज्ञान केंद्रीय विश्वविद्यालय वाराणासी

ऊना के किसानों ने डेयरी से लिखी कामयाबी की इबारत

हिमाचल में ऐसे कई किसान हैं,जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर कामयाबी की की कहानी लिखी है। इन्हीं होनहारों में से एक हैं ईसपुर के यादविंदर पाल। सफल किसानों में से एक यादविंदर  पाल वर्ष 2015 में डेयरी फार्मिंग से जुड़े थे। नाबार्ड के तहत 35 फीसदी सबसिडी पर 5.22 लाख रुपए का ऋण लेने वाला यह किसान आज हर माह  अढ़ाई लाख रुपए का दूध बेच रहा है। कृष्णा डेयरी नाम से उनका 40 कनाल पर फार्म है,जिसमें कुल 27 गाय व भैंसें हैं। यादविंदर अपना कर्ज भर चुके हैं। दूसरी ओर  इसी तरह लोअर बढेड़ा के अजय कुमार भी  ऐसे ही सफल डेयरी चला रहे हैं। आज उनके डेयरी फार्म में 11 बड़े तथा 8 छोटे पशु हैं। रोजाना दूध का उत्पादन एक क्विंटल है और सीजन आने पर उत्पादन बढ़कर अढ़ाई क्विंटल तक पहुंच जाता है। अजय का कहना है कि वह दूध की प्रोसेसिंग में स्वयं उतरें। दूसरी ओर वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी ऊना डा. राकेश भट्टी ने कहा कि नाबार्ड के तहत सरकार डेयरी के लिए अधिकतम 10 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान करती है। वहीं पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार ऊना जिला को पशु पालन का हब बनाने के प्रयास कर रही है, तो किसान भाइयों आप भी डेयरी से अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

रिपोर्ट:  मुनिंद्र अरोड़ा, अनिल पटियाल, ऊना

‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ की राज्य इकाई ने सराहे ‘अपनी माटी’ के प्रयास

‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ योजना के कार्यकारी निदेशक डा राजेश्वर सिंह चंदेल ने अपनी माटी मैगजीन में प्रकाशित विभिन्न रिपोर्ट्स को किसानों के लिए लाभदायक बताया है। उन्होंने किसानों के लिए दी जा रही सूचनाओं को बहूपयोगी बताया है। इससे किसानों को सुभाष पालेकर खेती या प्राकृतिक खेती से जुड़ने में लगातार मदद मिल रही है। वहीं उन्हें खेती की अन्य विधियों मसलन जैविक और जीरो बजट खेती को समझने में भी मदद मिल रही है।

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