किसी अजूबे से कम नहीं हैं महाभारत के पात्र

By: Nov 9th, 2019 12:20 am

विदुर (अर्थ कुशल, बुद्धिमान अथवा मनीषी) हिंदू ग्रंथ महाभारत के केंद्रीय पात्रों में से एक व हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवों और पांडवों के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है।

जन्म की कथा

हस्तिनापुर नरेश शांतनु और रानी सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुए। शांतनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था, इसलिए उनका पालन-पोषण भीष्म ने किया। भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया, लेकिन कुछ ही काल में गंधर्वों से युद्ध करते हुए चित्रांगद मारा गया। इस पर भीष्म ने उनके अनुज विचित्रवीर्य को राज्य सौंप दिया। अब भीष्म को विचित्रवीर्य के विवाह की चिंता हुई…

-गतांक से आगे…

गांधारी

गांधारी महाभारत की एक पात्र हैं। वो महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी थी और प्रमुख खलनायक दुर्योधन की मां थीं। गांधारी देख सकती थीं, लेकिन पति के आंखों से विकलांग होने के कारण उन्होंने खुद की आंखों पर भी हमेशा के लिए एक पट्टी बांध ली थी। महाभारत के अनुसार वो सौ पुत्रों की माता थीं।

विदुर

विदुर (अर्थ कुशल, बुद्धिमान अथवा मनीषी) हिंदू ग्रंथ महाभारत के केंद्रीय पात्रों में से एक व हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवों और पांडवों के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है।

जन्म की कथा

हस्तिनापुर नरेश शांतनु और रानी सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुए। शांतनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था, इसलिए उनका पालन-पोषण भीष्म ने किया। भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया, लेकिन कुछ ही काल में गंधर्वों से युद्ध करते हुए चित्रांगद मारा गया। इस पर भीष्म ने उनके अनुज विचित्रवीर्य को राज्य सौंप दिया। अब भीष्म को विचित्रवीर्य के विवाह की चिंता हुई। उन्हीं दिनों काशीराज की तीन कन्याओं- अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहां आए समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आए। बड़ी कन्या अम्बा ने भीष्म को बताया कि वह अपना तन-मन राजा शाल्व को अर्पित कर चुकी है। उसकी बात सुन कर भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवा दिया और अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ करवा दिया। राजा शाल्व ने अम्बा को ग्रहण नहीं किया, अतः वह हस्तिनापुर लौट कर आ गई और भीष्म से बोली, ‘हे आर्य! आप मुझे हर कर लाए हैं, अतएव आप मुझसे विवाह करें।’ किंतु भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। अम्बा रुष्ट होकर परशुराम के पास गई और उनसे अपनी व्यथा सुना कर सहायता मांगी। परशुराम ने अम्बा से कहा, ‘हे देवि! आप चिंता न करें, मैं आपका विवाह भीष्म के साथ करवाऊंगा।’ परशुराम ने भीष्म को बुलावा भेजा, किंतु भीष्म उनके पास नहीं गए। इस पर क्रोधित होकर परशुराम भीष्म के पास पहुंचे और दोनों वीरों में भयानक युद्ध छिड़ गया। दोनों ही अभूतपूर्व योद्धा थे, इसलिए हार-जीत का फैसला नहीं हो सका। आखिर देवताओं ने हस्तक्षेप करके इस युद्ध को बंद करवा दिया। अम्बा निराश होकर वन में तपस्या करने चली गई। विचित्रवीर्य अपनी दोनों रानियों के साथ भोग-विलास में रत हो गए, किंतु दोनों ही रानियों से उनकी कोई संतान नहीं हुई और वे क्षय रोग से पीडि़त होकर मृत्यु को प्राप्त हो गए। अब कुल नाश होने के भय से माता सत्यवती ने एक दिन भीष्म से कहा, ‘पुत्र! इस वंश को नष्ट होने से बचाने के लिए मेरी आज्ञा है कि तुम इन दोनों रानियों से पुत्र उत्पन्न करो।’ माता की बात सुन कर भीष्म ने कहा, ‘माता! मैं अपनी प्रतिज्ञा किसी भी स्थिति में भंग नहीं कर सकता।’ यह सुन कर माता सत्यवती को अत्यंत दुःख हुआ। अचानक उन्हें अपने पुत्र वेदव्यास का स्मरण हो आया।     


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