क्यों बिगड़ते हैं बच्चे

By: Nov 16th, 2019 12:15 am

पहले  बच्चों की सारी जिदें पूरी नहीं होती थीं, लेकिन फिर भी संस्कार इतने पूछो मत और आज के बच्चे हर चीज मुंह आगे, फिर भी इतने बिगड़े हुए और उनको बिगाड़ने का कारण हम खुद हैं। अगर हम घर में एक-दूसरे के साथ झगड़ा करते हैं और अपने बड़ों का सम्मान नहीं करते और यह सब होता है बच्चों के सामने, जिसका असर बच्चों के ऊपर जल्दी पड़ता है…बचपन से ही बच्चों को अच्छा-बुरा कौन सिखाता है घर के बड़े। कहते हैं कि बच्चों को सही परिवरिश और संस्कार देना माता-पिता का कर्त्तव्य बनता है, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चा थोड़ा सा रोया नहीं कि थमा दिया उसके हाथ में फोन। क्या पहले की औरतें भी ऐसा करती थीं नहीं, लेकिन सच में जमाना इतना बदल गया है कि पुराने संस्कार, पुरानी संस्कृति दिखाई ही नहीं देती। पहले बच्चों की सारी जिदें पूरी नहीं होती थीं, लेकिन फिर भी संस्कार इतने पूछो मत और आज के बच्चे हर चीज मुंह आगे, फिर भी इतने बिगड़े हुए और उनको बिगाड़ने का कारण हम खुद हैं। अगर हम घर में एक-दूसरे के साथ झगड़ा करते हैं और अपने बड़ों का सम्मान नहीं करते और यह सब होता है बच्चों के सामने, जिसका असर बच्चों के ऊपर जल्दी पड़ता है। वास्तव में बच्चे बहुत भोले होते हैं। वे घर में जो भी सुनते हैं उसे उसी रूप में ग्रहण करके अपनी धारणा बना लेते हैं और अवसर आने पर दूसरों के सामने प्रस्तुत कर देते हैं और आपने कभी-कभी देखा भी होगा कि जैसे हम उनसे चिला कर बात करते हैं वे भी हमसे उसी अंदाज में बात करने लगते हैं। इसलिए माता-पिता बच्चों से सदैव उनके मानसिक स्तर की ही बातचीत करें और उन्हें ईर्ष्या, द्वेष, आलोचना या दूसरों की टोह लेने जैसी भावनाओं से दूर रखें, क्योंकि उनकी यह उम्र खेलने-कूदने और पढ़ाई करने की होती है, न कि इस प्रकार की व्यर्थ की दुनियादारी की बातों में पड़ने की। बचपन में बच्चों को जब इस प्रकार की बातों में भाग लेने और अपना मत व्यक्त करने की आदत पड़ जाती है, तो यह आदत उनके चरित्र का एक नेगेटिव प्वाइंट बन जाती है, इसलिए ध्यान रखें। दरअसल, माता-पिता, अभिभावक व घर-परिवार के बड़े-बूढ़े बच्चों को बेहतरीन इनसान बनाएं।  अपने बच्चों को बेकार की बातों में समय बर्बाद करने की बजाय उनका ध्यान रचनात्मक कार्यों की ओर लगाएं। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी भाग लेने के लिए प्रेरित करें। एक दूसरे के साथ सहयोग की भावना सिखाएं। विनम्रता को उनका आभूषण बनाएं। जब आपका बच्चा अपने चारों और एक सुखद और प्रेरणात्मक माहौल पाएगा, तो उसके मन के किसी भी प्रकार का द्वेष, ईर्ष्या या अपने सहपाठियों से झगड़ने का ख्याल ही नहीं आएगा। इस तरह बच्चा पढ़ाई में हमेशा सबसे आगे रहेगा और सबका प्रिय भी।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App