गंगा की तर्ज पर साफ की जाएंगी हिमाचली नदियां

By: Nov 12th, 2019 12:05 am

सोलन – गंगा व अन्य आठ नदियों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश की सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब को भी गाद व कचरा मुक्त किया जाएगा। अरबों रुपए की इस प्रस्तावित वृहद परियोजना के लिए प्रदेश में सर्वे शुरू किया जा रहा है। भारत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान को इस योजना का पूर्व सर्वे करके इसकी डीपीआर भेजने के निर्देश दिए गए हैं। यह संस्थान प्रदेश की प्रमुख नदियों के साथ-साथ सिंधु नदी बेसिन का सर्वे करेगा तथा श्रीनगर की झेलम नदी की भारतीय सीमाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा। देश की नदियों में लगातार कम हो रहे जलस्तर व बढ़ रहे कचरे से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने गंगा, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, लूनी, यमुना, ब्रह्मपुत्र इत्यादि कई अन्य प्रमुख नदियों के लिए एक वृहद परियोजना बनाई है। इसी तर्ज पर अब हिमाचल प्रदेश की प्रमुख नदियों पर सर्वेक्षण कार्य शुरू किया जा रहा है। इन बड़ी नदियों में किन-किन सहायक नदियों, खड्डों व नालों से बहकर गाद व कचरा पहुंचता है, उस पर पूरी रिपोर्ट बनाई जाएगी। इसके बाद कहां-कहां पर इन खड्डों, नालों व छोटी नदियों में चैक डैम लगाए जाएं, किस स्थान पर बहुतायत मात्रा में पौधारोपण तथा कहां-कहां पर भूमि कटाव रोकने हेतु निर्माण कार्य किया जाए, इसका प्रारूप तैयार किया जाएगा। इस सर्वे में बेशक कई विभागों से संबंधित कार्य हैं, लेकिन डीपीआर के लिए नोडल एजेंसी के रूप में वन विभाग को ही चुना गया है। वन विभाग के ही वनरक्षक व अन्य स्टाफ फील्ड में जाकर पूरा डाटा तैयार करेंगे तथा गाद व कचरा यदि निजी भूमि के नालों में से भी इन बड़ी नदियों में मिलता है, तो उस भूमि पर भी कटाव, पौधारोपण, चैक डैम निर्मित किए जाएंगे। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि गाद के कारण नदियों की गहराई कम होती जा रही है तथा बाढ़ का प्रकोप फैलता जा रहा है। तेज बहाव व बाढ़ के कारण, भूमि में नमी की कमी होने के कारण जलस्तर भी कम हो रहा है। इस संदर्भ में हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. एसएस सामंत ने कहा कि हिमाचल की सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब नदियों का सर्वे किया जा रहा है तथा दिसंबर तक पहला ड्राफ्ट तैयार कर लिया जाएगा।

ऐसे किया जाएगा काम

हिमाचल की बड़ी नदियों में किन-किन सहायक नदियों, खड्डों व नालों से बहकर गाद व कचरा पहुंचता है, उस पर पूरी रिपोर्ट बनाई जाएगी। इसके बाद कहां-कहां पर इन खड्डों, नालों व छोटी नदियों में चैक डैम लगाए जाएं, किस स्थान पर बहुतायत मात्रा में पौधारोपण तथा कहां-कहां पर भूमि कटाव रोकने हेतु निर्माण कार्य किया जाए, इसका प्रारूप तैयार किया जाएगा।


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