तेल अवीव विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया दावा
अपंग पैदा हो सकता है बच्चा
गंगाराम अस्पताल के डा. धीरे गुप्ता ने कई शोध के हवाले से बताया कि गर्भवती महिलाएं जब प्रदूषित हवा में सांस लेती हैं तो यह फेफड़ों से आगे जा कर प्लेसेंटा तक पहुंच सकती है। वहां श्वेत रक्त कणिकाएं बढ़ जाती हैं। वहां जमावट हो जाने पर बच्चे तक रक्त प्रवाह में रुकावट होने लगती है। इससे विकास रुक जाता है। बच्चा शारीरिक या मानसिक रूप से अपंग हो सकता है। प्लेसेंटा ठीक से रक्त प्रवाह नहीं कर पाती तो समय पूर्व प्रसव, जन्म से ही शारीरिक या मानसिक दोष और मृत्यु तक हो सकती है।
वक्त से पहले हो रही मौत
पर्यावरण थिंक टैंक सीएसई के स्टेट ऑफ इंडियाज इन्वायरन्मेंट (एसओई) रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषित हवा के कारण भारत में 10,000 बच्चों में से औसतन 8.5 बच्चे पांच साल का होने से पहले मर जाते हैं।
बुजुर्गों पर आफत
एम्स के बुजुर्गों के डाक्टर विजय गुर्जर का कहना है कि प्रदूषण से बुजुर्ग भी परेशान हैं। बुजुर्गों को दिल, मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं सांस की दिक्कतें अधिक होती हैं। लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ने का भी खतरा अधिक होता है।