गीता रहस्य

By: Nov 30th, 2019 12:25 am

स्वामी रामस्वरूप

योग शब्द का अर्थ अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति है और क्षेम का अर्थ रक्षा है। श्रीकृष्ण महाराज यह ज्ञान दे रहे हैं कि हे अर्जुन जो साधक अनन्य भाव अर्थात वेद विद्या के दाता,निराकार ब्रह्म को त्यागकर किसी अन्य का चिंतन एवं उपासना नहीं करते तब स्वयं परमेश्वर ही उनका योग क्षेम कर देता है…

गतांक से आगे…

यह सत्य हम पुनः-पुनः समझने का प्रयास करें कि भगवद्गीता ग्रंथ में गीता ज्ञान नहीं अपितु योगेश्वर श्रीकृष्ण ने पूर्णतः वेदों पर आधारित ज्ञान दिया है। योग एवं क्षेम शब्दों को ही लीजिए। यह ऋग्वेद मंत्र 5/37/5 में अनादिकाल से कहे जा रहे हैं जिनका प्रयोग यहां श्रीकृष्ण महाराज ने किया है। योग शब्द का अर्थ अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति है और क्षेम का अर्थ रक्षा है। श्रीकृष्ण महाराज यह ज्ञान दे रहे हैं कि हे अर्जुन जो साधक अनन्य भाव अर्थात वेद विद्या के दाता,निराकार ब्रह्म को त्यागकर किसी अन्य का चिंतन एवं उपासना नहीं करते तब स्वयं परमेश्वर ही उनका योग क्षेम कर देता है।  परंतु जो गुरु के आश्रित होकर वेदाध्ययन एवं वेदों में कहे यज्ञ एवं योगाभ्यास आदि शुभ कर्म नहीं करता, तो परमेश्वर द्वारा बिना साधना-परिश्रम किए वेदविरुद्ध कर्म किए हुए साधक का योगक्षेम करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता अपितु मनुष्य शरीर पाकर पुरुषार्थ न करने का पाप अवश्य देता है। ऐसे आलस्य युक्त प्राणी के विषय में अथर्ववेद मंत्र 4/11/10 में कहा कि किसान बैल से पृथ्वी जोतता है और उसमें बीज डालता है तब समय आने पर ही वह अन्न प्राप्त करता है। भाव यह है कि बिना वेदाध्ययन, यज्ञ, योगाभ्यास आदि कठिन साधना रूप कर्म किए कोई भी ईश्वर की कृपा को प्राप्त नहीं कर सकता। ईश्वर केवल परिश्रम करने वाले साधक का ही योग क्षेम करते हैं। योग एवं क्षेम का अर्थ पीछे कर दिया गया है। निर्विघ्न और सदा जुड़े ही रहें ऐसी रक्षा हो, उसका नाम क्षेम है। इस विषय में अथर्ववेद मंत्र 4/30/ 3 में ईश्वर कह रहे हैं कि ‘अहम स्वयं एवं इदम वदामि’ अर्थात हे मनुष्यों मैं स्वयं ही इस वैदिक ज्ञान को उत्पन्न करता हूं और जो मनुष्य इस वेदविद्या में कहे ज्ञान,कर्म एवं उपासना को आचरण में लाते हैं और देव बन जाते हैं। ‘यम कामये’ इस प्रकार जिन्हें मैं चाहता हूं‘तम तम उग्रं कुणोमि’ उनको ही मैं स्वयं तेजस्वी और ओजस्वी बनाता हूं। ‘तम ब्राह्मणं तम ऋषिम’ उनको ही मैं ज्ञान और ऋषि बनाता हूं इत्यादि। इस प्रकार वैदिक शुभ कर्म करने वालो कठोर नियम धारण करने वाले एवं यज्ञ, योगाभ्यास आदि कठोर साधना करने वाले योगियों का योग क्षेम स्वयं परमेश्वर करता है।    


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