जंगलों के कायाकल्प पर सुप्रीम नजर
वन विभाग ने तय की जिम्मेदारी, करोड़ों की वन संपदा के दोहन को चल रहा अभियान
शिमला –प्रदेश में जंगलों की रीजुवेनेशन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी की पैनी नजर है। हिमाचल की तीन रेंज में इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है, जिसमें सफलता मिलती है, तो प्रदेश के सभी जंगलों में करोड़ों रुपए की बेकार पड़ी वन संपदा का उचित दोहन हो सकेगा। वन विभाग ने इस काम में सफलता हासिल करने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है। अधिकारियों को कहा गया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक तरीके से जंगलों में रीजुवेनेशन का काम अंजाम दें ताकि नियमों की अवहेलना न हो और यहां पर वन संपदा का भी उचित दोहन हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हिमाचल सरकार को तीन वन रेंज में काम करने को कहा है। इसमें सिरमौर की पांवटा वन रेंज, बिलासपुर की श्रीनयनादेवी वन रेंज व नूरपुर वन रेंज शामिल हैं, जहां पर सालों पुराने पेड़ सड़ी-गली हालत में खड़े हैं और उनका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह से जंगलों में गिरे हुए पेड़ भी हैं, जिनकी लकड़़ी को यूं काटा नहीं जा सकता। ऐसे प्रदेश के सभी जंगल हैं, जहां पर वृक्ष अपनी आयु पूरी कर चुके हैं, लेकिन उनका दोहन नहीं हो सकता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैज्ञानिक तरीके से इस लकड़ी का दोहन किया जाए और तय किया जाए कि उसकी जगह पर वहां नए पौधे लगें, जिनका सरवाइवल भी हो। वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने इसे लेकर अधिकारियों से बैठक की है, जिनसे पूरा फीडबैक लेने के बाद इस प्रोजेक्ट को नियम-कायदे के अनुसार सिरे चढ़ाने के लिए कहा गया है।
विभाग के समक्ष चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने वीपी मोहन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर रखा है, जो इस काम पर नजर रखे हुए है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट आगे फैसला लेगा। फिलहाल वन विभाग के सामने इस काम को सही तरह से अंजाम देने की बड़ी चुनौती है।
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