- उस विश्व संस्था का नाम बताएं, जो 1920 में स्थापित हुई और 1946 में भांग कर दी गई?
(क) क्रीमिया की संधि
(ख) लीग ऑफ नेशन्स
(ग) वारसा पैक्ट
(घ) यूरेशियन पैक्ट
- प्रजातीय पक्षपात का निराकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय दिन कब मनाया जाता है?
(क) 21 मार्च
(ख) 21 अप्रैल
(ग) 21 जून
(घ) 21 मई
- विश्व खाद्य दिवस किस दिन मनाया जाता है?
(क) 15 अक्तूबर
(ख) 21 अक्तूबर
(ग) 23 अक्तूबर
(घ) 16 अक्तूबर
- यूनेस्को ने किस मंदिर को विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित किया?
(क) वरदराज
(ख) महाबोधि
(ग) काली घाट
(घ) चामुंडेश्वरी
- विश्व जल दिवस कब मनाया जाता है?
(क) 5 मार्च
(ख) 17 मार्च
(ग) 20 मार्च
(घ) 22 मार्च
उत्तर 1 ख 2 क 3 घ 4 ख 5 घ
भारत में 20 यूजर्स पेगासस के शिकार
बीते दिनों व्हाट्सऐप पर पेगासस ‘स्नूपवेयर’ की मदद से जासूसी का मामला सामने आया, जिसने दुनिया भर के काफी यूजर्स को निशाना बनाया है। व्हाट्सऐप ने सरकार को जानकारी देते हुए बताया है कि भारत में 121 व्हाट्सऐप यूजर्स को शिकार बनाने की कोशिश की गई है जिनमें से 20 यूजर्स इस अटैक की चपेट में आए हैं। इजराइल की साइबर टेक कंपनी एनएसओ द्वारा बनाए गए रिमोट सर्विलांस सॉफ्टवेयर के जरिए 20 व्हाट्सऐप यूजर्स की जासूसी की गई है। टेक्निकल इन्फॉर्मेशन रिक्वेस्ट पर जवाब देते हुए व्हाट्सऐप ने कहा कि कंपनी लगातार पता लगाने की कोशिश कर रही है कि निशाना बनाए गए यूजर्स के डाटा को किस तरह एक्सेस किया गया। व्हाट्सऐप पर किए गए इस पेगासस अटैक का मकसद कुछ चुनिंदा सिलेब्स, पत्रकारों और मानवाधिकार से जुड़े यूजर्स के बारे में डाटा और उनकी जानकारी जुटाना था। बीते 18 नवंबर को इस मामले पर सरकार को व्हाट्सऐप ने जवाब दिया कि यह अटैक बड़े सामाजिक दायरे वाले और प्रभावशाली यूजर्स पर किया गया है। व्हाट्सऐप अब जांच कर रही है कि इस अटैक के पीछे के क्या-क्या कारण हो सकते हैं। व्हाट्सऐप ने सितंबर में कहा था कि इस अटैक में कैसी जानकारी चोरी हुई है व यूजर्स को किस तरह नुकसान पहुंचाया गया है, इसके बारे में पूरी तरह जानना संभव ही नहीं है।
नई नियुक्ति
कस्तूरीरंगन एनआईआईटी विश्वविद्यालय के प्रमुख
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन के कस्तूरीरंगन एनआईआईटी यूनिवर्सिटी (एनयू) के नए प्रमुख बन गए हैं। शनिवार को इसकी घोषणा एनआईआईटी यूनिवर्सिटी के 11वें सालाना व्याख्यान में नीमराना में की गई। कस्तूरीरंगन ने पूर्व सांसद डा. कर्ण सिंह की जगह ली। कस्तूरीरंगन 1994 से 2003 तक इसरो के प्रमुख रहे हैं। उन्हें पद्मविभूषण सम्मान मिल चुका है। वह राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं।