डीएवी कालेज में जुटे देशभर के विद्वान

By: Nov 28th, 2019 12:03 am

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष पर गांधीवादी विचारों से अवगत करवाईं छात्राएं

चंडीगढ़ – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में मेहर चंद महाजन डीएवी कालेज फॉर वूमन में भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित एक राष्ट्रीय कोलोक्वियम-मंथन समकालीन चुनौतियों और गांधीवादी विचारों की व्याख्या आयोजित किया। इस राष्ट्रीय कोलोक्वियम में गांधीवादी विचार और वर्तमान युग में इसके अनुप्रयोग के व्यावहारिक तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए देशभर के विद्वान आमंत्रित थे। गाँधी पीस मिशनए केरला से आये प्रो एन राधाकृष्णन इस अवसर पर बतौर मुख्यातिथि उपस्थित थे तथा सेंटर फॉर फिलॉसोफी, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नयी दिल्ली की चेयरपर्सन प्रो बिंदु पुरी ने बीज वक्तव्य दिया। प्रो डीन सोशल साइंसेज एवं शहीद भगत सिंह चेयर प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ़  पोलिटिकल साइंस, पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रो. रोनकी राम ने प्रेजिडेंशियल एड्रेस दिया तथा वोल्फसन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी  के विजिटिंग स्कॉलर एवं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूके के प्रोफेसर एमिरेट्स प्रोफेसर प्रीतम सिंह विशेष वक्ता के रूप में आमंत्रित थे। अन्य गणमान्य अतिथियों में एचआर गांधार, सीनियर गवर्निंग बॉडी मेंबर, डीएवी कालेज मैनेजिंग समिति, नई दिल्ली, माई भागो आर्म्ड फोर्सेस प्रिपरेटरी इंस्टीट्यूट फॉर गर्ल्स मोहाली के डायरेक्टर मेजर जनरल आई पी सिंहए पंजाब यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़  फिलॉसोफी के प्रोफेसर शिवानी शर्मा, प्रो. लल्लन सिंह बघेल, यूनिवर्सिटी इंस्टीच््यूट ऑफ़ लीगल स्टडीज, पंजाब यूनिवर्सिटी के डा. गुलशन कुमार उपस्थित थे। डिपार्टमेंट ऑफ़ गांधियन एंड पीस स्टडीजए पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के प्रो एम एल शर्मा इस राष्ट्रीय कोलोक्वियम के वेलिडिक्टरी सेशन पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। अपने बीज वक्तव्य में प्रो. बिंदु पूरी ने बहुलतावाद की समकालीन चुनौतियों और उनसे संघर्ष पर बात करते हुए दैनिक, सामाजिक और राष्ट्रीय गतिविधयों में गांधी प्रदत्त अहिंसा को आचरण में लाने पर बल दिया। मुख्य वक्तव्य में मुख्य अतिथि प्रो. राधाकृष्णन ने गांधी के आरंभिक जीवन से लेकर उनकी मृत्यु पर्यन्त समस्त जीवन का सिंहावलोकन प्रस्तुत करते हुए होंगे कामयाब एक दिन जैसी सकारात्मक सोच पर पाने वक्तव्य को विराम दिया।  उनके प्रबोधनात्मक वक्तव्य के मुख्य बिंदु अत्यंत प्रेरक एवं विचारणीय थे। प्रो प्रीतम सिंह ने पर्यावरण और प्रकृति के प्रति गांधी की सम्वेदनशीलता, दूरदृष्टि की प्रशंसा करते हुए अधिकाधिक लोगों तक पहुँच कर पानी बात पहुंचा पाने और उन्हें एक अहिंसापरक आंदोलन के लिए प्रेरित करने की गांधी की कर्मठ प्रतिबद्धता का लोहा माना।


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