ड्ढकुंडलिनी साधनाएं : कुंडलिनी क्या है

By: Nov 9th, 2019 12:20 am

यस्य मध्ये दकारो वा कवचं मूर्ध्नि दृश्यते। त्रिविधं दृश्यते चास्त्रं तिरस्कृत उदाहृतः।। 41।। जिसके मध्य में द, आदि में हुं और अंत में फट् हो, उस मंत्र को तिरस्कृत कहते हैं।। 41।। हद्वयं हृदये शीर्षे वषट् वौषट् च मध्यतः। स एव भेदितो मंत्र, सर्वशास्त्रविर्वाज्जतः।। 42।। जिसके हृदय में दो ह, मस्तक में वषट् और बीच में वौषट् हो, उसे भेदित मंत्र कहते हैं। भेदित मंत्र की उपासना नहीं करनी चाहिए।। 42।। त्रिवणौ हंसहीनो यः स शुषुप्त उदाहृतः।। 43।। तीन अक्षर के मंत्र में हंसः बीज न हो तो उसे सुषुप्त मंत्र कहते हैं।। 43।।…

-गतांक से आगे…

यस्य मध्ये दकारो वा कवचं मूर्ध्नि दृश्यते।

त्रिविधं दृश्यते चास्त्रं तिरस्कृत उदाहृतः।। 41।।

जिसके मध्य में द, आदि में हुं और अंत में फट् हो, उस मंत्र को तिरस्कृत कहते हैं।। 41।।

हद्वयं हृदये शीर्षे वषट् वौषट् च मध्यतः।

स एव भेदितो मंत्र, सर्वशास्त्रविर्वाज्जतः।। 42।।

जिसके हृदय में दो ह, मस्तक में वषट् और बीच में वौषट् हो, उसे भेदित मंत्र कहते हैं। भेदित मंत्र की उपासना नहीं करनी चाहिए।। 42।।

त्रिवणौ हंसहीनो यः स शुषुप्त उदाहृतः।। 43।।

तीन अक्षर के मंत्र में हंसः बीज न हो तो उसे सुषुप्त मंत्र कहते हैं।। 43।।

मंत्रों वाप्यथवा विद्या सप्ताधिकदशाक्षरः।

फट्कारपंचकादिर्या मदोन्मत्त उदाहृतः।। 44।।

स्त्री दैवत या पुदैवत मंत्र यदि सप्तदशाक्षरात्मक और फट्कार पंचाकादि हो तो उसे मदोन्मत्त मंत्र कहते हैं।। 44।।

सप्तदशाक्षरो मंत्रो मध्ययेअर्द्ध च यदा भवेत।

मूर्च्छितः कथितो मंत्रः सर्वसिद्धिविवर्जितः।। 45।।

यदि 17 अक्षर के मंत्र के बीच में फट् हो तो उसे मूर्च्छित मंत्र कहते हैं। मूर्च्छित मंत्र सिद्धि नहीं देता है।। 45।।

पंच फट् यसय मंत्रस्य विरामस्थानसंयुतः।

हृतीवीर्यः स कथितो नास्ति तेन प्रयोजनम।। 46।।

मंत्र के अंत में पांच फट्कार होने से हृतवीर्य कहलाता है। हृतवीर्य जप न करें।। 46।।

आदौ मध्ये तथा चांते चतुरस्त्रयुतो मनुः।

स एवं हीनमंत्रः स्यात्तथा चाष्टादशाक्षरः।। 47।।

जिसके आदि, मध्य और अंत में फट्कार हों और यदि वह मंत्र 17 अक्षर का हो तो उसे हीन मंत्र कहते हैं।। 47।।

एकोनविंशो यो मंत्रस्तारवर्णसमन्वितः।

हृल्लेखाडकुशबीजाढ़य प्रवस्तं तं प्रचछते।। 48।।

21 अक्षर के मंत्र में ओउम हां क्रों, यह तीन बीज हों तो उसे प्रध्वस्त मंत्र कहते हैं।। 48।।

सप्तवर्णः स्मृतो बालः कुमारोअष्टाक्षरः स्मृतः।

षोडशार्णो युवा मंत्र सर्वसिद्धिविर्जितः।। 49।।

74 अक्षर के मंत्र को बाल, 8 अक्षर के मंत्र को कुमार और 16 अक्षर के मंत्र को युवा कहते हैं। इन सबकी आराधना नहीं करनी चाहिए।। 49।।    


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