तलवाड़ा बाइपास पर हो पार्किंग की सुविधा

By: Nov 15th, 2019 12:01 am

चिंतपूर्णी – माननीय उच्च न्यायालय ने चिंतपूर्णी मंदिर प्रशासन को पार्किंग हेतु सम्मन दिए हैं। यह सम्मन एक समाजसेवी द्वारा दायर की गई याचिका पर निकले हैं। एक समाजसेवी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है। याचिकाकर्ता, कई पंचायतों व स्थानीय लोगों ने माता चिंतपूर्णी मंदिर के समीप तलवाड़ा बाईपास पर एक पार्किंग की मांग की है। माननीय उच्च न्यायालय इससे पहले सन् 2008 में भी चिंतपूर्णी मंदिर प्रशासन को मंदिर के समीप पार्किंग बनाने के आदेश दे चुका है, लेकिन मंदिर प्रशासन ने मंदिर के समीप बनाने की बजाय मंदिर से डेढ़ से दो किलोमीटर दूर एक बहुद्देशीय निर्माण में पार्किंग का प्रावधान किया है, जो कि सफेद हाथी साबित हो रहा है। इसमें तकरीबन 50 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई है और यह पार्किंग मंदिर से दूर होने के कारण श्रद्धालु तलवाड़ा बाईपास से होते हुए मंदिर के समीप ले जाकर सड़कों के किनारे वाहन खड़े कर देते हैं। गौरतलब है कि मंदिर प्रशासन माननीय उच्च न्यायालय के 2008 के आदेशों पर मंदिर के नजदीक एक पार्किंग बनाने की योजना बना रहा है, लेकिन यह पार्किंग स्थल बहुद्देशीय निर्माण, जिसमें पार्किंग का प्रावधान है, महज डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। याचिकाकर्ता ने बताया कि तलवाड़ा बाईपास पर जहां अकसर ट्रैफिक जाम रहता है,  जिससे श्रद्धालुओं को और स्थानीय निवासियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। भीलवाड़ा बाईपास पर ट्रैफिक जाम की समस्या आए दिन रहती है, लेकिन मंदिर प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है, जिससे मजबूर होकर माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटकाना पड़ा है और माननीय उच्च न्यायालय ने भी याचिका को मंजूर कर मंदिर प्रशासन को समन जारी किए हैं। मंदिर के समीप तलवाड़ा बाईपास पर पार्किंग निर्माण हेतु कई पंचायतों और ब्लॉक समिति सदस्य ने अपने-अपने लिखे रेजोल्यूशंस मंदिर प्रशासन को दिए हैं। हैरत की बात तो यह है कि सन् 2015 में ट्रैफिक जाम के चलते मंदिर के समीप स्थानीय युवक की मौत तक हो चुकी है और प्रशासन की नींद अब तक नहीं टूटी है।

जहां जरूरत नहीं वहां बनी पार्किंग

तलवाड़ा बाईपास जहां पर पार्किंग की सख्त आवश्यकता है और जो इस जगह के बिलकुल विपरीत है, वहां मंदिर प्रशासन पार्किंग बनाने के बारे में कोई कदम नहीं उठा रहा है। मंदिर प्रशासन द्वारा बनाए गए बहुद्देशीय भवन, जिसमें पार्किंग का भी प्रावधान है, वह पहले से निर्मित एचआरटीसी की पार्किंग के बिलकुल साथ है, जहां पर पार्किंग की इतनी आवश्यकता नहीं थी।


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