धर्म चंद जनता से लेता था बहुत कम राजकर

By: Nov 13th, 2019 12:19 am

राजा संसार चंद के उपरांत उसका पुत्र धर्म चंद गद्दी पर बैठा। इस राजा ने लोगों  से लिए जाने वाले राजकर को आधा से घटा करके छठा हिस्सा कर दिया। उसने हिंदूर की सीमा पर एक किला बनवाया। इसके कारण दोनों राज्यों में वैर बढ़ गया और  अंत में उनमें युद्ध हो गया जिसमें हिंदूर का राजा मारा गया…

गतांक से आगे …

 धर्म चंद: 

राजा संसार चंद के उपरांत उसका पुत्र धर्म चंद गद्दी पर बैठा। इस राजा ने लोगों  से लिए जाने वाले राजकर को आधा से घटा करके छठा हिस्सा कर दिया। उसने हिंदूर की सीमा पर एक किला बनवाया। इसके कारण दोनों राज्यों में वैर बड़ गया और  अंत में उनमें युद्ध हो गया जिसमें हिंदूर का राजा मारा गया। हिंदूर की रानी कहलूर के राजा ने अपने अवस्यक पुत्र के प्राणदान के लिए प्रार्थना की। राजा कल्याण चंद ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसके पुत्र को हिंदूर का राजा बना दिया। राजकुमार के व्यस्क होने तक कहलूरिया राजा ने राज्य की पूर्ण  देखभाल की तथा प्रजा को संरक्षण भी दिया। पंरतु यह घटना हिंदूर के इतिहास से मेल नहीं खाती क्योंकि संसार चंद ने 1701 ई. तक राज्य किया था। इसी राजा के राज्यकाल की एक और घटना का उल्ल्ेख मिलता है। वह यह कि कहलूर का राजा भीमचंद अपने पुत्र का विवाह गढ़वाल के राजा फतेह शाह की पुत्री के साथ करने के लिए गढ़वाल गया। बारात में हिंदूर के राजा हरिचंद का भी उल्लेख आता है। यह राजा भीम चंद की ओर से सन् 1686 ई. में गुरू गोविंद सिंह के साथ भगैणी के युद्ध में मारा माना जाता है।  हिंदूर की वंशावली में हरिचंद नाम के राजा का कोई नाम नहीं मिलता है। वह राजा का  भाई या परिवार का कोई और सदस्य हो सकता है। धर्म चंद को औरंगजेब के कुछ सैनिकों के साथ दो झड़पें हुई जिसमें वह विजयी रहा। ये झड़पें कोई बड़ा युद्ध नहीं थीं अपितु महत्त्वकांशी सैनिकों द्वारा की गई घुसपैठ मात्र थी।

हिम्मत चंद :

मुगल सम्राट औरंगजेब अब बहुत बुढ़ा हो गया था। चारों ओर विद्रोह के झंडे खड़े किए जा रहे थे। पहाड़ी राजाओं के इलाकों पर पठान लूटमार करने के लिए छापे मार रहे थे। इन लोगों ने हिंदूर पर भी आक्रमण किए। सन् 1701 में इन्होंने तीन बार लूटमार की। अपने राज्य की रक्षा करते हुए हिम्मत चंद पठानों के साथ लड़ते-लड़ते मारा गया। हिंडूरिया लोग बड़ी वीरता से लड़े और अपनी पूरी तरह से रक्षा की।

भूप चंद  :

 इसके समय में भारतीय इतिहास में तीन मुख्य घटनाएं घटीं। मुगल सम्राट औंरगजेब की 1707 ई. में मृत्यु हो गई और इसी के साथ मुगल साम्राज्य का पतन आरंभ हुआ। प्रांतीय सूबेदार स्वतंत्र होने लगे और सत्ता हथियाने के लिए एक-दूसरे को दबाना चाहते थे। छोटे-छोटे राजे रजवाड़े के बंधन भी ढीले होने लगे। इस अवधि में अदीना बंग जालंधर का सूबेदार था।

   – क्रमशः   


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