न बाइपास…न ओवर हैड ब्रिज

By: Nov 18th, 2019 12:10 am

 अंब-मुबारिकपुर चौक पर बढ़ते ट्रैफिक से हादसे का डर, आज तक सुधार के लिए कोई इंतजाम नहीं

अंब –चिंतपूर्णी के अंब उपमंडल मुख्यालय के लिए सकारात्मक उपलब्धि अंब का रेलवे स्टेशन है जहां से यात्रियों के लिए  चंडीगढ़, अंबाला-दिल्ली-बरेली तक रेल सुविधा उपलब्ध है। परिणामस्वरूप जनसंख्या की भगदड़ के चलते बाजारों में वाहनों की भारी संख्या में आवाजाही यातायात के लिए चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र  की सबसे जटिल समस्या  बनती जा रही है। अंब क्षेत्र के समाजसेवी राजीव शर्मा ने कहा कि सरकार अंब-मुबारिकपुर चौकों पर लगने वाले ट्रैफिक जामों से निजात दिलाने के लिए बाइपास और फ्लाई ओवर ब्रिज का निर्माण नहीं करा पाई। आज भी यह समस्या दुर्घटनाओं को न्योता देती रहती है। चिंतपूर्णी के गांवों की पिछड़ेपन की दुर्दशा जब की तस बनी हुई है। चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र को हिमाचल प्रदेश का सबसे पिछड़ा विधानसभा क्षेत्र कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। चिंतपूर्णी के अनेक गांवों से पिछड़ेपन का शिकार लोग लगातार पलायन करते गए। रियासती राजा रघुनाथ सिंह ने पानी की किल्लत के चलते राजपुर जसवां गांव को छोड़कर अंब में राजमहल बनाकर बसेरा किया। आज दिन तक कोई भी सरकार राजपुर जसवां गांव का पुनर्वास बहाल नहीं कर पाई। आज भी जल भंडारण का जनस्वास्थ्य एवं सिंचाई विभाग कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कर पाया। चिंतपूर्णी के चाहबाग में कहने को रावमा विद्यालय चाहबाग है किंतु आज भी लोग भरवाईं व लोहारा आने के लिए पैदल या निजी वाहनों पर निर्भर है। चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं जिसके चलते चिंतपूर्णी माता, श्री सदाशिव महादेवन तलमेहड़ा, श्री बावा बड़भाग सिंह जी को टिंबर ट्राली परियोजना से जोड़कर पर्यटन को बढावा दिया जाना बांछित है।  चिंतपूर्णी में गन्ना उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है अतः यहां शूगर मिल भी लग सकती है। चिंतपूर्णी के गांवों को केंद्र सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार से विकासोन्मुखी योजनाओं को साकार करवाने का आज भी लंबा इंतजार है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को चिंतपूर्णी के पिछड़े गांवों की प्राथमिक आधार पर सुध लेने की इलाकावासियों ने जोरदार अपील की है।


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