पहाड़ी दिवस के मौके पर सजी पहाड़ी कवि गोष्ठी

By: Nov 2nd, 2019 12:20 am

मंडी –आज के बदलते दौर में पहाड़ी बोली के संरक्षण के साथ-साथ इसे संविधान की आठवीं सूची में शामिल करवाना अति आवश्यक है। पहाड़ी दिवस के अवसर पर मंडी में पहाड़ी कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित इस कवि गोष्ठी में मंडी व सुंदरनगर से आए कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पहाड़ी कवि जगदीश कपूर ने कवि गोष्ठी की अध्यक्षता की। इस अवसर पर हाल ही में हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से साहित्य पुरस्कार के लिए चयनित उपन्यासकार डा. गंगा राम राजी बतौर विशेष अतिथि मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पहाड़ी बोली का संरक्षण एवं संवर्द्धन अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी भाषा के रूप में विकसित होने के लिए लोक शब्दों का उसी प्रकार संग्रह किया जाना चाहिए, जैसा कि पंजाबी शब्दों का संग्रह पंजाब के गांव-गांव में जाकर किया गया। पहाड़ी कविताओं में लोक शब्दों का समावेश इस अवसर पर विभिन्न कवियों ने पहाड़ी में कविताएं सुनाते हुए ठेठ मंडयाली लोक शब्दों का प्रयोग किया। डा. राकेश कपूर ने अपनी कविता में कहा आज हाऊं सोचेया करहां केसके गलाऊं गल पर गल करीही के बणनी गल। साहित्यकार मुरारी शर्मा ने अपनी कविता मेले लगे लोक मिलदे लगे जलेबी गांदे लगे गीत गांदे लगे मौज मनांदे लगे, जबकि निर्मला चंदेल ने आज की युवा पीढ़ी के नशे की गिरफ्त में फंसते चले जाने पर प्रहार करते हुए कहा  घुटुआं-घुटुआं रोंदी दे भी मैं मुन्नुये री माव, जेस रे जमणे रा किता था कितणा-कितणा चाव। पहाड़ की कठिन जिंदगी के बारे में डा. आर गुप्ता ने कुछ यूं कहा काठी हुई थी जरूर जिंदगी आसा रे पहाड़ा री। वहीं चूड़ामणि बड़पग्गा ने भाइयो गर्मियां रा मौसम सुहाणा किसाना होर जवाना रे कंधेया पर देशा रा नांव। डा. मनोहर अनमोल ने आसा रा हिमाचल प्यारा लोकोए जानी ते मिंजो प्यारा लोको गीत सुनाया। कवयित्री सविता कुमारी धवन ने कहा येस हिमाचला जो क्या हुई गयाए पैहले था छैल-छबिला हुण उड़दा पंजाब हुई गया। इस मौके पर मंच संचालन कर रहे कृष्णचंद महादेविया ने फिथड़ कविता सुनाने के साथ पहाड़ी के संरक्षण और संवर्र्द्धन पर भी अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि पहाड़ी को भाषा के रूप में विकसित होने केलिए दूसरी भाषाओं की श्रेष्ठ रचनाओं का अनुवाद करना जरूरी है। जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने पहाड़ी कवित गोष्ठी में उपस्थ्ति समस्त कवियों का स्वागत किया।


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