प्रदेश में कब रुकेगा चिट्टे का कारोबार?

By: Nov 21st, 2019 12:05 am

प्रकाश चौहान 

मंडी

चिट्टा जो कि आज सरकार ही नहीं बल्कि प्रदेश के लोगों के लिए भी एक चुनौती बन चुका है। प्रदेश के अंदर करीब दो साल पहले इस चिट्टे के धंधे की शुरुआत हुई और आज के समय में यह नशा इतना फैल चुका है कि सैकड़ों की संख्या में युवा हर वर्ष इस नशे के कारोबार में संलिप्त पाए जा रहे हैं। ज्यादातर स्कूलों व कालेजों में पढ़ने वाले युवक इसके नशे के मामलों में संलिप्त पाए जा रहे हैं। बहुत से युवा ऐसे भी हैं जो इस नशे के आदि हो चुके हैं। ज्यादातर युवक जो इस नशे का प्रयोग कर रहे हैं, वही इस नशे को बढ़ावा भी दे रहे हैं। अब तक के चिट्टे से संबंधित मामलों में ज्यादातर वही युवा पकड़े गए हैं जो इस नशे के प्रयोग के साथ इसका  धंधा भी कर रहे हैं ताकि उनकी अपनी पैसे की जरूरत भी पूरी हो सके। इस नशे की कीमत सोने से भी ज्यादा महंगी बताई जा रही है। अब इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो युवक इतने महंगे नशे का प्रयोग कर रहा है उसे उसके घर वाले इतना ज्यादा पैसा नहीं दे सकते और जब पैसा कहीं से भी नहीं मिलता तो वही युवक इस नशे को बेचकर दोबारा से इस नशे का प्रयोग करने के लिए पैसे की कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं अब तो युवतियां भी इस धंधे में संलिप्त पाई जा रही हैं। आज स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि लगभग हर रोज इस नशे का प्रयोग करने वालों व बेचने वालों के खिलाफ  पुलिस मुकदमे दर्ज कर रही है। हिमाचल पुलिस के अनुसार नशे की तस्करी के मामलों में साल 2017 की अपेक्षा 2018 में 32 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017 में 3 किलो से भी ज्यादा पकड़ा था जिसकी संख्या बढ़कर साल 2018 में 7 किलो से भी ज्यादा पहुंच चुकी थी। वर्ष 2019 में अब तक 4 किलो के करीब चिट्टे पकड़ा जा चुका है। अब इन आंकड़ों के अनुसार अनुमान लगाया जा सकता है कि चिट्टे की जड़ें प्रदेश के अंदर कितनी तेजी से फैल रही हैं। अब सवाल यह है कि आखिरकार यह बढ़ोतरी हो क्यों रही है। सरकार कहती है कि हमने इस नशे की तस्करी के खिलाफ  अभियान चलाया है और पुलिस प्रशासन का कहना है कि उन्होंने पंजाब के साथ सीमावर्ती जिलों में चैकिंग और ज्यादा बढ़ा दी है, परंतु चिट्टे का धंधा रुकने के बजाय बढ़ता जा रहा है। जिन युवाओं को घर से स्कूलों व कालेजों में पढ़ने के लिए भेजा जाता है वे चिट्टे का प्रयोग करके जंगलों में मिल रहे हैं और बहुत से युवाओं की इस नशे का ज्यादा प्रयोग करने के कारण मृत्यु भी हो चुकी है। अब समय आ चुका है कि सरकार इस धंधे को उखाड़ फेंकने का अभियान तेज करके चिट्टा मुक्त हिमाचल बनाए। और जो युवा इस नशे के आदी हो चुके हैं उनके लिए हर जिले के अंदर रिहैबिलिटेशन सेंटर खोले ताकि वे इस नशे से बचकर अपना आने वाला भविष्य संवार सकें । हमें प्रशासन के साथ मिलकर देवभूमि को उड़ता हिमाचल बनने से रोकना होगा।


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