फोरेस्ट क्लीयरेंस को ही दिल्ली के सौ चक्कर…काम कैसे करें

By: Nov 9th, 2019 12:03 am

हिमाचली निवेशकों ने ऊर्जा-वन मंत्रालय से मांगे जवाब, पावर प्रोजेक्ट्स को आसानी से क्यों नहीं मिलती मंजूरी

धर्मशाला – हिमाचल में सरकार तो बिजली क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की रियायतें घोषित कर चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार के वन मंत्रालय के अडंगे से यहां प्रोजेक्ट निर्माण में मुश्किलें पेश आ रही हैं। ऐसी पेचिदगियों को लेकर हिमाचली निवेशकों के कई बड़े सवाल थे, जिन्हें इन्वेस्टर्स मीट के मंच पर उठाया गया। दिल्ली से आए वन मंत्रालय व ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों को यहां के ऊर्जा उत्पादकों ने एक तरह से घेर लिया था। शुक्रवार को इन्वेस्टर्स मीट के आखिरी दिन सुबह रिन्यूएबल एनर्जी पर सेशन शुरू हुआ, जिसकी अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने की। यहां केंद्र सरकार के महानिदेशक वन सिद्धांता दास के साथ ज्वाइंट सेके्रटरी हाइड्रो अनिरुद्ध कुमार व एडिशनल सेके्रटरी ट्रांसमिशन एसकेजी रहाते हिमाचली ऊर्जा निवेशकों के सवालों के जवाब देने के लिए मौजूद थे। सेक्टोरल सेशन में सवाल-जवाब का दौर चला, तो साई इंजीनियरिंग के राजकुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार के वन मंत्रालय व ऊर्जा मंत्रालय दोनों की नीतियों में विरोधाभास है। इस कारण यहां के लघु उत्पादकों की कई परियोजनाएं मंजूरी के लिए अटकी हुई हैं। उन्होंने सवाल किया कि घराट से बिजली पैदा करने के मामले में भी फोरेस्ट क्लीयरेंस चाहिए, जिसके लिए दिल्ली जाना पड़ता है। ऐसे चक्कर लगेंगे, तो कौन काम करेगा। उनका कहना था कि एक हेक्टेयर तक फोरेस्ट लैंड की डायवर्जन का अधिकार प्रदेश को मिलना चाहिए, ताकि छोटे उत्पादकों को राहत मिले। एक अन्य सवाल था कि टनल निर्माण के लिए उसके ऊपर की जमीन भी लेनी पड़ती है, जिसमें भी फोरेस्ट क्लीयरेंस चाहिए। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि टनल प्रोजेक्ट्स में अंडरग्राउंड माइनिंग को लेकर केंद्र सरकार जल्द छूट देने वाली है। रोप-वे में 40 हेक्टेयर तक जमीन की डायवर्जन को लेकर भी मामला कैबिनेट को गया है। यहां राजेश शर्मा का कहना था कि राइट ऑफ वे नहीं मिल रहा, वहीं पीयूषी डोगरा ने प्रदेश में सौर ऊर्जा की क्षमताओं को लेकर बात कही। एसजेवीएनएल के सीएमडी नंद लाल शर्मा ने बताया कि हिमाचल में सोलर की क्षमताएं लाहुल-स्पीति में देखी गई हैं। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों को सोलर पर काम करने को कहा है और उनकी कंपनी हिमाचल में इसकी क्षमताओं के दोहन पर काम करेगी। वर्ल्ड बैंक ने भी कुछ साइट्स सिलेक्ट की हैं। हिमऊर्जा की सीईओ कृतिका कुलहरी ने पूछा कि हिमाचल के 55 छोटे प्रोजेक्ट केंद्रीय मंत्रालय के पास अटके हुए हैं, उन्हें कब क्लीयरेंस मिलेगी। उन्होंने सबसिडी का मामला भी उठाया और हिमाचल को अधिक सहायता उपलब्ध करवाने की मांग की।

प्रोजेक्ट्स में खर्च ज्यादा, टैरिफ उतना मिलता नहीं

ज्वाइंट सेके्रटरी हाइड्रो अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि प्रोजेक्ट्स की निर्माण लागत काफी ज्यादा आ रही है, जबकि टैरिफ उतना नहीं मिलता, जिस कारण इस क्षेत्र में निवेश कम हो रहा है। उनका कहना था कि जितना जल्दी प्रोजेक्ट बनेगा, उतना ही टैरिफ में फायदा होगा। इसलिए केंद्र सरकार निवेशकों की मदद के लिए गाइडलाइन ला रही है, जिसमें कांटै्रक्टरों के साथ करार में कुछ शर्तें लागू होंगी, जिसका फायदा निवेशक को मिलेगा। अतिरिक्त निदेशक ट्रांसमिशन भारत सरकार सुदीप रहाते का कहना था कि बिजली कानून 2003 में साफ है कि जब कोई परियोजना मंजूर होगी और उस पर काम शुरू होगा, तो साथ ही ट्रांसमिशन मैचिंग लाइन पर भी काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने प्रदेश में इंटर स्टेट नेटवर्क को बढ़ाए जाने की बात कही और बताया कि केंद्र सरकार इस दिशा में काफी काम कर रही है।

बैंकों से नहीं मिलते लांग टर्म लोन, 32 साल तक पर चर्चा

ऊर्जा निवेशकों को बैंकों से लांग टर्म लोन नहीं मिलते, जिसका मुद्दा एसएन कपूर ने यहां रखा। इस पर बताया गया कि बैंकों को कहा गया है कि वह 20 साल या फिर इससे अधिक 32 साल की अवधि तक लोन देंगे। इस मामले पर वह हिमाचल के विषय में बैंकों व मंत्रालय से चर्चा करेंगे।

ग्राउंड वाटर बढ़ाने के लिए वन संरक्षण पर काम करे सरकार

महानिदेशक वन सिद्धांता दास ने कहा कि पर्यावरण को बचाकर विकास को गति देने के लिए वन मंत्रालय नियमों पर सख्त है। फोरेस्ट का काम है कि ग्राउंड वाटर बढ़ाने के लिए वनों का संरक्षण करे, वहीं कार्बन सिंक को मेंटेन रखा जाएगा। साथ ही लोगों का लाइवलीहुड बचाए रखना भी जरूरी है और इन तीनों कार्यों के लिए नियम सख्त हैं।

धर्मशाला — औद्योगिक निवेशक समूहों के प्रतिनिधियों के साथ मंथन के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व अन्य

जमीन के लिए भूमि बैंक की भी फेसिलिटी

उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने निवेशकों को हिमाचल में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि निवेशकों की हरसंभव मदद देंगे। उद्यमियों को आसानी से जमीन उपलब्ध करवाने के लिए भूमि बैंकों की स्थापना की गई है।

साइन हुए समझौतों पर जल्द होगा काम

मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी ने निवेशक सम्मेलन के दौरान आयोजित गतिविधियों और कार्यक्रमों पर एक प्रस्तुतिकरण देते हुए कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी हस्ताक्षरित एमओयू जल्द से जल्द धरातल पर लागू हों।

जल्द पूरे होंगे सरकार के दिए प्रोजेक्ट

एसजेवीएनएल-एनटीपीसी ने दिलाया भरोसा; सुनिश्चित बनाएं ऊर्जा क्षमता का दोहन, दिक्कतें दूर करने के लिए सरकार से मांगी मदद

धर्मशाला – सार्वजनिक उपक्रमों को मिली बिजली परियोजनाओं पर यह उपक्रम तेजी से काम करेंगे और यहां की ऊर्जा क्षमता का दोहन सुनिश्चित बनाएंगे। सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड और एनटीपीसी ने कहा है कि उसे जो प्रोजेक्ट सरकार ने दिए हैं, वे जल्द तैयार किए जाएंगे। इन्वेस्टर्स मीट के दौरान सेक्टोरल सेशन में प्रधान सचिव ऊर्जा प्रबोध सक्सेना ने बताया कि चिनाब बेसिन में तीन हजार मेगावाट की क्षमता है, जिसका अभी तक दोहन नहीं हो सका है। एनएचपीसी को डुगर व एनटीपीसी को सेली व मियाड परियोजनाएं दी गई हैं, वहीं एसजेवीएनएल को पुर्थी, बरदंग के बाद रियोली दुगली परियोजना दी है। उम्मीद है कि जल्द यहां प्रोजेक्ट लगेंगे। एसजेवीएनएल के सीएमडी नंद लाल शर्मा ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में प्रदेश में बड़ी संभावनाएं हैं। 34 गीगावाट सोलर और 23.5 गीगावाट हाइड्रो यहां मौजूद हैं। जो परियोजनाएं उन्हें दी गई हैं, उन पर तेजी के साथ काम किया जाएगा। एनटीपीसी के चेयरमैन गुरदीप सिंह ने कहा कि थर्मल के बाद उनकी कंपनी ने हाइड्रो, सोलर और विंड पर काम शुरू किया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से और परियोजनाएं देने की बात कही। जेएसडब्ल्यू के सीईओ प्रशांत जैन ने कहा कि निर्माण लागत व टैरिफ को मीट आउट करना चुनौतीपूर्ण है। प्रोजेक्ट में देरी से टैरिफ बढ़ता है और फिर प्रोजेक्ट  फायदेमंद नहीं रहता। वर्तमान परिवेश में निजी उद्यमियों के साथ कई तरह की चुनौतियां पेश आ रही हैं, जिसमें सरकार को मदद करनी चाहिए। एसएन पावर नार्वे के पदाधिकारी एरिक्सन ने कहा कि वह यहां तीन परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं और तेजी के साथ प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। उन्होंने माना कि पहाड़ी राज्य होने के नाते यहां की भौगोलिक परिस्थितियां कठिन हैं, लिहाजा आधारभूत ढांचा तैयार करने में दिक्कतें आती हैं। ये कठिनाइयां दूर करने में सरकार को भी मदद करनी चाहिए।


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