बिलासपुर में पथरी के आपरेशन का शतक

बिलासपुर – क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में दूरबीन से किए जा रहे पथरी के आपरेशन में बिलासपुर अस्पताल ने शतक लगाया है। गुरुवार को आपरेशन थिएटर में पित्ते की पथरी का 100वां सफल आपरेशन किया गया। अस्पताल में तैनात एमएस डा. रोजश आहलूवालिया, सर्जन डा. ऋषि नभ और सर्जन डा. शमसेर सिंह के प्रयासों से यह सफल हुआ है। इस दौरान उनके साथ एनेस्थीसिया डा. विपिन गर्ग, डा. मनुज व डा. नितेश मितल के अलावा ओटीए उमेश शर्मा व स्टाफ नर्स संतोष सहित अन्य टीम मौजूद रही। एमएस डा. राजेश आहलूवालिया ने बताया कि अस्पताल में वर्ष-2017 में इस सुविधा के बाद बिलासपुर अस्पताल ने करीब दो सालों की अविध के दौरान यह सफलता हासिल की है। उन्होंने बताया कि पूरी टीम की के सहयोग से ही यह उपलब्धि मिल पाई है। एमएस ने बताया कि इससे पहले इस तरह के आपरेशन को करवाने के लिए चिकित्सक शिमला, टांडा और चंडीगढ़ रैफर करते थे, लेकिन बीते दो सालों से बिलासपुर अस्पताल में इस आधुनिक सुविधा मिलने से जिलाभर के मरीज लाभान्वित हुए हैं। डा. राजेश आहलूवालिया ने बताया कि गुरुवार को किए गए 100वें आपरेशन में इस आपरेशन को सफल बनाने के लिए उनके सहयोगियों की विशेष भूमिका रही है। दूरबीन से पित्त की पथरी का आपरेशन करवाने के लिए मरीजों को अब बाहरी जिलों, राज्यों और निजी अस्पतालों की ओर रुख नहीं करना पड़ रहा है। निजी अस्पतालों व बाहरी राज्यों में न जाने से धन और समय की बर्बादी नहीं हो रही है। एमएस डा. रोजश आहलूवालिया ने बताया कि पित्त की थैली में पथरी होने पर उसे अनदेखा करना भारी पड़ सकता है। इस लापरवाही से आगे चलकर गॉल ब्लेडर कैंसर में तबदील होने के चांस बने रहते हैं। उन्होनें बताया कि पित्त की थैली में पथरी होने पर अक्सर लोग देशी व घरेलूइलाज में जुट जाते हैं। जबकि मरीज को तुरंत स्पेशलिस्ट डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। जब भी पित्त की थैली में दर्द हो तो उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। आयरन की कमी वालों में पथरी की शिकायत देखी गई है। कई बार पतले लोगों में पथरी होती है, उसकी वजह खाने में फैट की मात्रा ज्यादा होना है।