बृजराज स्वामी मंदिर

By: Nov 23rd, 2019 12:21 am

हिमाचल प्रदेश में देवी-देवताओं का वास होने के कारण हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश में कई देवी-देवताओं के स्थल हैं तथा इन्हीं देवस्थलों में नूरपुर के ऐतिहासिक  एवं प्राचीन किले में स्थित भगवान श्रीबृजराज स्वामी का मंदिर भी सुप्रसिद्ध है। स्वामी बृजराज मंदिर प्रदेशवासियों सहित क्षेत्रवासियोंं व बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा का प्रतीक है। इस मंदिर में सालभर हिमाचल के अलावा बाहरी राज्यों से श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। स्वामी बृजराज मंदिर नूरपुर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा नहीं,बल्कि मीराबाई की मूर्ति विराजमान है। भगवान श्रीकृष्ण व मीराबाई की प्रतिमाएं ऐसी प्रतीत होती हैं जैसे साक्षात भगवान कृष्ण व मीराबाई खड़े हों। कथा के अनुसार इस मंदिर का इतिहास काफी रोचक है। एक बार नूरपुर के राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के साथ चितौड़गढ़ के राजा के निमंत्रण पर वहां गए। चितौड़गढ़ के राजा ने जगत सिंह व उसके पुरोहित को एक आलीशान महल में ठहराया। जिस महल में राजा जगत सिंह व पुरोहित को ठहराया गया था, उसके साथ ही एक मंदिर था। रात को सोए हुए राजा जगत सिंह को उस मंदिर में घुंघरुओं के बजने व संगीत की धुन सुनाई दी। धुन को सुनकर राजा ने जैसे ही मंदिर में झांक कर देखा तो एक औरत भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने भजन गाते हुए नाच रही थी। राजा जगत सिंह ने सुबह उठकर सारी बात राज पुरोहित को सुनाई जिस पर राज पुरोहित ने राजा जगत सिंह को सुझाव दिया कि वह चितौड़गढ़ के राजा से उक्त मूर्तियां उपहार स्वरूप मांग लें। राजा जगत सिंह ने वैसा ही किया तथा चितौड़गढ़ के राजा ने दोनों मूर्तियां राजा जगत सिंह को उपहार स्वरूप खुशी-खुशी दे दीं। इसी के साथ एक मौलश्री का पेड़ भी उपहार में दिया। राजा जगत सिंह ने वापस अपने राज दरबार में पहंुचकर इन मूर्तियों को दरबार-ए-खास में स्थापित किया। श्री कृष्ण की मूर्ति राजस्थानी शैली की काले संगमरमर से बनी हुई है व अष्टधातु से बनी मीराबाई की मूर्ति आज भी नूरपुर के किले में विराजमान है। लोग मंदिर में दूरदराज से आशीर्वाद लेने आते हैं।  इस मंदिर में जन्माष्टमी धूमधाम के साथ मनाई जाती है। पहले नूरपुर का नाम धमेड़ी था, लेकिन बेगम नूरजहां के आने उपरांत इसका नाम नूरपुर पड़ गया। मंदिर में वर्षभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।


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