भारतीय स्टेट बैंक में पिछले साल के मुकाबले सात महीने में ही तीन गुना ज्यादा कॉरपोरेट फ्रॉड

भारतीय स्टेट बैंक में इस वित्त वर्ष (2019-2020) के पहले सात महीनों में ही कॉरपोरेट जालसाजी पिछले पूरे साल के मुकाबले तीन गुना बढ़ गई है. खुद स्टेट बैंक ने यह बात स्वीकार की है. इस साल अप्रैल से नवंबर के बीच भारतीय स्टेट बैंक में 26,757 करोड़ रुपये के बड़े घपले हुए हैं, जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में 10,725 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ था.

असल में स्टेट बैंक से जुड़ी कंपनी एसबीआई कार्ड्स का प्रारंभि‍क सार्वजनिक निर्गम (IPO) आईपीओ आने वाला है. इसके लिए कंपनी ने जो दस्तावेज जारी किए हैं उनसे यह खुलासा हुआ है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 में एसबीआई में सिर्फ 146 करोड़ रुपये की जालसाजी हुई थी. वित्त वर्ष 2018-19 में जालसाजी के कुल मामले 25 हुए थे, जबकि 2019-2020 में यह बढ़कर 48 तक पहुंच गए. इस साल तो कम से कम हुई जालसाजी भी 100 करोड़ रुपये की है.

क्या है जालसाजी बढ़ने की वजह

इसकी वजह यह बताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक लगातार बैंकों पर इस बात के लिए दबाव बना रहा है कि वे जालसाजी की घटनाओं को तत्काल और सक्रियता से रिपोर्ट करें. केंद्रीय बैंक ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वह 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के निपटारा न हो पाने वाले एनपीए को जालसाजी की तरह ही देखें.

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल बड़े कॉरपोरेट घोटालों की पहचान के लिए 55 महीने लग जाते हैं. जानकार कहते हैं कि आज जो भी जालसाजी के खाते उजागर हो रहे हैं, वह पहले काफी लंबे समय तक एनपीए लग रहे हैं. हालांकि, आधिकारिक प्रक्रिया में काफी समय लगता है. कई मामलों में फॉरेंसिक ऑडिट की शुरुआत की गई है. जब तक पुराने सभी मामले निपटा नहीं दिए जाते, बैंक फ्रॉड में तेजी से बढ़त होता दिखेगा. अभी एक साल ऐसा और होता दिख सकता है.

क्या कहा था वित्त मंत्री ने

भारतीय स्टेट बैंक के बाद सबसे ज्यादा 10,821 करोड़ रुपये का फ्रॉड पंजाब नेशनल बैक में पकड़ा गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 19 नवंबर को बताया था कि इस साल अप्रैल से नवंबर 2019 तक भारतीय बैंकों में कुल 95,760 करोड़ रुपये का फ्रॉड पकड़ा गया है.

राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा था, ‘जालसाजी रोकने के लिए व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं. बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे 50 करोड़ रुपये से ऊपर के सभी एनपीए एकाउंट को संभावित फ्रॉड की तरह ही देखें. उनमें आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाए और भगोड़ा आर्थ‍िक अपराध कानून का सहारा लिया जाए.’