महज शोपीस बनी बायोमीट्रिक मशीनें

By: Nov 13th, 2019 12:01 am

शिमला – यह क्या, सरकार व शिक्षा विभाग का शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी लगाने का सपना पूरा नहीं हो रहा है। करोड़ों रुपए का बजट खर्च करने के बाद भी लगभग तीन हजार सरकारी स्कूलों में बायोमीट्रिक मशीनें शोपीस बनी हुई हैं। जी हां, जिन स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी लगाने के लिए बायोमीट्रिक मशीनें लगाई गई हैं, वह बेकार दिवारों पर पड़ी हैं। इसका कारण यह है कि आधारयुक्त बायोमीट्रिक के लिए सिम कार्ड व आधार नंबर की जरूरत है। शिक्षा विभाग ने शिक्षकोंं को अपने नाम व आधार नंबर पर सिम कार्ड लेने को कहा था, लेकिन हैरत है कि किसी भी स्कूल के शिक्षक अपने नाम पर सिम कार्ड लेने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि बायोमीट्रिक लगने के बाद भी स्कूलों में शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी नहीं लग पा रही है। शिक्षा विभाग के विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन कंपनियों को प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने मशीनें लगाने का टेंडर दिया है, उसने भी बीच में ही कई स्कूलों में बायोमीट्रिक लगाने का कार्य रोक दिया है। इसका कारण यह है कि जिन हजारों स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी की मशीनें लगाई भी गई हैं, वहां पर भी अभी तक यह मशीनें एक्टिव नहीं हो पाई हैं। बता दें कि शिक्षा विभगा का दावा था कि हिमाचल प्रदेश के 4474 सरकारी स्कूलों में इस साल से ही ऑनलाइन हाजिरी लगाई जाएगी।  शिक्षा विभाग का तर्क है कि शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी पर शिक्षा विभाग भी आसानी से नजर रख सकता है। जानकारी के अनुसार एक बायोमीट्रिक मशीन लगाने के लिए स्कूलों को 16430 रुपए का बजट दिया गया है। इससे पहले शिक्षा विभाग ने जो प्रोपोजल बनाया था, उनमें एक बायोमीट्रिक मशीन लगाने के लिए केवल 14410 रुपए का बजट देने की ही बात कही थी। अब जब एक स्कूल में बायोमीट्रिक के लिए इतना बजट दिया जा रहा है, उसके बाद भी ऑनलाइन हाजिरी न लगने की वजह से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

हो रहा दुरुपयोग

बता दें कि स्कूलों में आधारयुक्त बायोमीट्रिक मशीनों के लिए दिए गए बजट का दुरुपयोग हो रहा है। कई अधिकारियों का आरोप है कि कई स्कूलों में लगाई गई आधारयुक्त बायोमीट्रिक की क्वालिटी को लेकर शिक्षा विभाग भी नजर नहीं रख पा रहा है।


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